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धन्य है ये दिगंबर मुद्रा जो कोई भी मौसम हो, कोई भी परिस्थिती हो, अपने चर्या में लिन रहते है : विचित्र बाते प्रणेता मुनी श्री सर्वार्थ सागर जी महाराज

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कोल्हापूर(विश्व परिवार)। चर्या शिरोमणी आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के शिष्य श्रमण मुनी श्री अनुत्तर सागर जी महाराज, श्रमण मुनी श्री प्रणेय सागर जी, श्रमण मुनी श्री प्रणव सागर जी, श्रमण मुनी श्री सर्वार्थ सागर जी, श्रमण मुनी श्री संकल्प सागर जी और श्रमण मुनी श्री सदभाव सागर जी महाराज जी का उपसंघ मालगाव (महाराष्ट्र) में विराजमान हैं।
चर्याशिरोमणी आचार्य भगवन विशुद्धसागरजी महाराज जी के शिष्य विचित्र बाते प्रणेता मुनी श्री सर्वार्थ सागर जी महाराज जी ने मालगांव (महाराष्ट्र ) में अपने प्रवचन में कहा की, जब तक बच्चा दुध नहीं पी लेगा तब तक उसे सुख शांती नहीं मिलती।
भौरा जब तक फुलो का सुगंध पान नहीं कर लेता तब तक उसको सुख शांती नहीं मिलती।
साधु पुरुष जब तक आत्मरस का पान नहीं कर लेते तब तक उनको सुख शांती नहीं मिलती। धरमात्मा पुरुष जब तक देव पूजा, गुरू पूजा नहीं कर लेते तब तक उनको सुख शांती नहीं मिलती। उसी प्रकार जब तक गुणी पुरुष गुण को ग्रहण न करले तब तक उसको सुख शांती नहीं मिलती।
संत ना देखा ऐसा ग्रंथ ना देखा –
भीषण गर्मी में आप और हम अपने घरोसें बाहर नहीं निकलना चाहते हैं, वही धन्य है ये दिगंबर मुद्रा जो कोई भी मौसम हो, कोई भी परिस्थिती हो, अपने चर्या में लिन रहते है l दिगम्बर मुनी बनना आसन काम नहीं है।

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