जगदलपुर (विश्व परिवार)। प्रधानमंत्री भारत शासन के वार्षिक कार्यक्रम परीक्षा पर चर्चा के सातवें संस्करण का आयोजन आज नई दिल्ली के भारत मंडपम किया गया, जिसका सीधा प्रसारण पूरे भारतवर्ष में किया गया जिसमें प्रसारण को देखने के साथ अन्य रोचक कार्यक्रम भी कराए गए । प्रधानमंत्री श्री मोदी के ऑनलाइन परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का आयोजन शहर के धरमपुरा में स्थित ज्ञानगुड़ी के ऑडिटोरियम में किया गया। इसके आलावा जिले के विभिन्न स्कूलों में भी प्रधानमंत्री के परीक्षा पे चर्चा का ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजन किया। ज्ञानगुड़ी में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती वेदवती कश्यप, उपाध्यक्ष जिला पंचायत एवं शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्री मनीराम कश्यप, पार्षद सुरेश गुप्ता अन्य गणमान्य जनप्रतिनिधि, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री प्रकाश सर्वे, जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान, डीएमसी अखिलेश मिश्रा सहित धरमपुरा, तितिरगांव सहित अन्य स्कूलों के माध्यमिक और हायर सेकेण्डरी के बच्चे और पालक उपस्थित थे । प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम के प्रसारण के उपरांत रंगोली एवं कई अन्य रोचक कार्यक्रम करवाए गए, उपस्थित बच्चों ने प्रधानमंत्री जी के कट आउट के साथ सेल्फी खिंचवाया, परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम से बच्चों को परीक्षा के तनाव से राहत प्राप्त हुआ।
प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा 2024 के दौरान छात्राएं शिक्षकों और अभिभावकों से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमारे बच्चों में लचीलापन पैदा करना और उन्हें दबावों से निपटने में मदद करना महत्वपूर्ण है। छात्रों की चुनौतियों का समाधान अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों को भी सामूहिक रूप से करना चाहिए। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा छात्रों के विकास के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि शिक्षक नौकरी की भूमिका में नहीं हैं बल्कि वे छात्रों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी निभाते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को उनका विजिटिंग कार्ड नहीं बनाना चाहिए। छात्रों और शिक्षकों के बीच का बंधन पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या से परे होना चाहिए। अपने बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता के बीज कभी न बोएं। बल्कि भाई-बहनों को एक.दूसरे के लिए प्रेरणा बनना चाहिए। अपने सभी कार्यों और अध्ययन में प्रतिबद्ध और निर्णायक बनने का प्रयास करें। जितना संभव हो उत्तर लिखने का अभ्यास करें। यदि आपके पास वह अभ्यास है तो परीक्षा हॉल का अधिकांश तनाव दूर हो जाएगा। प्रौद्योगिकी को बोझ नहीं बनना चाहिए। इसका विवेकपूर्ण उपयोग करें। सही समय जैसा कुछ नहीं है इसलिए इसका इंतजार न करें। चुनौतियाँ आती रहेंगी और आपको उन चुनौतियों को चुनौती देनी होगी। यदि लाखों चुनौतियाँ हैं, तो अरबों समाधान भी हैं। असफलताओं से निराशा नहीं होनी चाहिए। हर गलती एक नई सीख हैं। उचित शासन के लिए भी नीचे से ऊपर तक उत्तम सूचना की व्यवस्था और ऊपर से नीचे तक उत्तम मार्गदर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए। मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं