पारसोला(विश्व परिवार)। प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज की अक्षुण्ण मूल बाल ब्रह्मचारी पट्टपरंपरा के पंचम पट्टाघीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी अपने 35 साधु सहित पारसोला में विराजित है। जयंतीलाल कोठारी अध्यक्ष दशा हूंमड समाज तथा ऋषभ पचौरी अध्यक्ष वर्षायोग समिति ने बताया कि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी सहित सभी साधुओं का पिच्छी परिवर्तन 21 नवंबर को श्यामा वाटिका में दोपहर को आयोजित किया गया है ।दोपहर को सकल जैन समाज द्वारा स्थानीय सन्मति भवन से आचार्य संघ के साथ समस्त नवीन पीछीयो जुलूस के माध्यम से ले जावेगी जहां पर आचार्य संघ को सौभाग्यशाली परिवारों द्वारा नई पीछी देकर पुरानी पीछी प्राप्त की जावेगी।
इस अवसर पर आचार्य शांति सागर जी की पूजन तथा आचार्य श्री वर्धमान सागर जी की पूजन ,चरण प्रक्षालन जिनवाणी भेंट सौभाग्यशाली परिवारों द्वारा की जावेगी। उल्लेखनीय है कि विगत 13 नवंबर से 25 नवंबर तक श्यामा वाटिका में सर्वतोभद्र महा मंडल विधान की पूजन चल रही है। प्रतिष्ठाचार्य पंडित कीर्ति एवं विधानाचार्य पंडित अशोक जी के निर्देशन में ऋषभ धनपाल चंदावत श्रीमती संध्या ऋषभ पचोरी सौधर्म इंद्र, श्रीमती तारा सेठी एवं श्रीमती आरती सनत कुमार जैन चक्रवर्ती परिवार एवं समस्त इंद्रो इंद्राणियों द्वारा तीन लोक के कृत्रिम और अकृत्रिम जिनालयों की पूजन की जा रही है। ब्रह्मचारी गज्जू भैया राजेश पंचोलिया अनुसार उल्लेखनीय है कि तीन लोक में 8 करोड़ 56 लाख 97 हजार 481 जिनालयों में 108 प्रतिमाएं है जिसअनुसार 925 करोड़ 53 लाख 27 हजार 948 प्रतिमाओं की पूजन की जा रही है। पूजन में चढ़ाए जाने वाले अर्घ्य का मंत्रोच्चार वाचन आचार्य एवं संघ के साधुओं द्वारा किया जा रहा है।