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हूँ पतित अनादि से , पावन कर दो स्वामी, यह अर्घ्य बना लाया , स्वीकारो जगनामी

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  • जय चौबीस जिनेश्वर स्वामी भूतल पर वन्दों जगनामी
  • समवशरण रचना मन्हारी श्रीमंडप भूमि अघहारी
  • महामंडल में मनाया आचार्य विशुद्ध सागर महाराज का तेतीसवां दीक्षा दिवस
  • युवा पुरुषार्थ के साथ पुण्य भी कमाये – मुनि समत्व सागर
  • समोवशरण में हुई सोना चाँदी की बरसात

जयपुर(विश्व परिवार)। सांगानेर थाना सर्किल स्थित चित्रकूट कॉलोनी में मुनि समत्व सागर महाराज ससंघ सानिध्य में चल रहे कल्पद्रुम महामंडल एवं विश्व शांति महायज्ञ में चौथे दिन श्रीमंडप भूमि मंडित अहर्त पूजा कर समोवशरण में विराजमान जिनेंद्र देव के समक्ष 75 अर्घ्य चढ़ाये गये।
मंदिर समिति अध्यक्ष केवलचंद गंगवाल ने बताया कि महामण्डल विधान में पूजा अर्चना के साथ आचार्य विशुद्ध सागर महाराज का तेतीसवां दीक्षा दिवस बड़ी धूम धाम के साथ मनाया गया । मुनि समत्व सागर ने आचार्य विशुद्ध सागर के जीवन पर प्रकाश डालते हुये बताया कि आचार्य श्री ने सदैव कृत्यों व परिणामों की शुद्धता पर ज़ोर दिया है। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से आचार्य श्री की पूजन कर नाचते गाते भक्ति करते हुए अर्घ्य चढ़ाये।
समिति मंत्री अनिल जैन काशीपुरा ने बताया कि धर्मसभा से पूर्व एक आह्वान पर समोवशरण में भक्तों ने सम चाँदी की बरसात सी कर दी । समाज श्रेष्ठी कपूर चंद अशोक बोहरा काशीपुरा परिवार ने सोने का कलश भेंट किया । कमलादेवी कैलाश चंद सौगानी परिवार चनानी ने चाँदी की पाण्डुकशिला दान की, महाआरती पुण्यार्जक गुणमाला सुनील बडजात्या लालसोट परिवार ने चाँदी का आरती का थाल दान किया।
इसके अलावा श्रावकों ने सात चाँदी के सिंहासन भी भेट किए एवं सैकड़ो लोगो ने सौ सौ ग्राम चाँदी देने की घोषणा की। कुछ लोगो ने एक ग्राम, दो ग्राम, पाँच ग्राम सोना देने की भी घोषणा की है। उस समय ऐसा लग रहा था कि समोवशरण में सोने चाँदी की बरसात हो रही है। हर कोई अपनी श्रद्धा अनुसार दान दे रहा था।
एडवोकेट महावीर सुरेन्द्र जैन के मुताबिक सुबह जल्दी ही विशेष पूजा अर्चना के साथ कल्प द्रुम मण्डल विधान की पूजा प्रारंभ हुईं। श्री जी का अभिषेक कर वृहत शान्तिधारा करने का सौभाग्य समाज श्रेष्ठी प्रदीप कुमार विमल बाकलीवाल साँवरिया , रामचंद्र आशीष बैद परिवार
ने प्राप्त किया ।
अंतरंग की विशुद्धता से फैलती यश और कीर्ति – मुनि समत्व सागर
मुनि श्री ने प्रवचन करते हुये कहाँ कि गुरु की दृष्टि बहुत व्यापक होती है इसीलिए जीव को श्रेष्ठ बनना है तो अपने आप को गुरु चरणों में समर्पित कर देना चाहिए । बुद्धि का विकास अंतरंग की विशुद्धि से होता है इसीलिए जीवन में विशुद्धि चाहिए तो कषायों का त्याग करना होगा । अंतरंग की विशुद्धि होने से यश कीर्ति अपने आप फैलने लगती है । उन्होंने युवाओं से कहाँ कि उन्हें सुखद जीवन के लिए पुरुषार्थ के साथ साथ पुण्य भी कमाना चाहिए । इससे पूर्व पाद पक्षालन का पुण्यार्जन विशाल ठोलिया परिवार ने प्राप्त किया।
मीडिया प्रभारी विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि गुरुवार, 22 नवम्बर को प्रातः अभिषेक, शांतिधारा, विधान पूजा होगी। प्रातः 9.00 बजे मुनि श्री के मंगल प्रवचन होगें ।सायंकाल 6 बजे से गुरु भक्ति, आरती, शास्त्र प्रवचन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे ।
24 को निकलेगी भरत चक्रवर्ती की दिग्विजय यात्रा
समिति सदस्य बाबू लाल वैद ने बताया कि मण्डल महाविधान में रविवार 24 नवम्बर को भरत चक्रवर्ती की विशाल दिग्विजय यात्रा निकलेगी जो समोवशरण से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गो से होती हुई नगर भ्रमण करेगी। यात्रा में हाथी घोड़े बग्गी आदि लवाज़मे के साथ बैंडबाजे के साथ केसरिया वस्त्र धारण किए इंद्रो के साथ श्रावकगण भी हाथो में पताकाये लेकर साथ साथ चलेंगे।

 

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