रायपुर(विश्व परिवार)। एम्स रायपुर में मानवीयता का एक असाधारण उदाहरण देखने को मिला, जब राजनांदगांव की 25 वर्षीय महिला, जो पिछले आठ वर्षों से इम्यून थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया (ITP) से जूझ रही थीं, मस्तिष्क में गंभीर रक्तस्राव के कारण ब्रेन डेड घोषित होने के बाद अपने अंग दान करके दो जीवन बचाने में सफल रहीं। 7 दिसंबर 2024 को एम्स रायपुर के ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग में भर्ती हुई इस मरीज की स्थिति गहन उपचार के बावजूद बिगड़ गई। ब्रेन डेड की संभावना को देखते हुए, डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी के नेतृत्व में ट्रॉमा टीम ने ट्रांसप्लांट टीम के साथ मिलकर अंग दान की संभावना को तलाशा। ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर टीम, जिसमें विषोक,अम्बे, पुष्पराज, और रीना शामिल थे, ने परिवार से संवेदनशीलता के साथ संपर्क किया और अंग दान के जीवनरक्षक महत्व को समझाया। परिवार ने करुणा का परिचय देते हुए उनकी किडनी दान करने की सहमति दी और साथ ही चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के लिए उनके शरीर को दान करने का भी निर्णय लिया। मरीज को ब्रेन डेड घोषित करने की प्रक्रिया विशेषज्ञों की टीम, जिसमें डॉ. नरेंद्र बोधे, डॉ. वासनिक, डॉ. श्रीवनन सुक्रिया, और डॉ. दिबाकर साहू शामिल थे, ने पूरी की। गहन देखभाल यूनिट (CCU) की टीम ने, जिसमें डॉ. सुभ्रत सिंह और डॉ. चिन्मय पांडा थे, महत्वपूर्ण देखभाल का प्रबंधन किया। SOTTO के अंग आवंटन प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों किडनी एम्स रायपुर को आवंटित की गईं। रायपुर की 37 वर्षीय महिला, जो तीन वर्षों से क्रॉनिक किडनी रोग से पीड़ित थीं, को पहली किडनी मिली। दूसरी किडनी रायगढ़ के 38 वर्षीय पुरुष, जो एक वर्ष से डायलिसिस पर थे, को प्रत्यारोपित की गई। प्रत्यारोपण सर्जरी एम्स रायपुर के कुशल टीम द्वारा सफलतापूर्वक की गई। इस टीम में यूरोलॉजिस्ट डॉ. अमित आर. शर्मा, डॉ. दीपक बिस्वाल, और डॉ. सत्यदेव शर्मा के साथ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. विनय राठौर और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ. सुभ्रत सिंह एवं डॉ. जितेंद्र शामिल थे। दोनों रोगी अब स्थिर हैं और ट्रांसप्लांट ICU में डॉक्टरों की देखरेख में हैं। मृतक अंग दाता को श्रद्धांजलि के रूप में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। एम्स रायपुर के कार्यकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने व्यक्तिगत रूप से परिवार से मुलाकात की और उनके इस नेक फैसले के लिए सराहना व्यक्त की। इसके बाद, मृतक का शरीर एम्स रायपुर के एनाटॉमी विभाग को चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के लिए सौंप दिया गया। इस युवा दाता और उनके परिवार का निस्वार्थ कार्य मानवता का प्रेरणादायक उदाहरण है, जो जीवन बचाने और चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने में अंग दान के महत्व को रेखांकित करता है।