रायपुर(विश्व परिवार)। 14 दिसम्बर 1998 पौष कृष्ण एकादशी का शुभ – पावन दिवस था जब युग संत जिनागम पंथ प्रवर्तक भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज मुनिराज ने वसुन्धरा का सर्वश्रेष्ठ रूप अर्थात जिनमुद्रा – दिगम्बर स्वरूप धारण किया था। गणाचार्य शुद्धोपयोगी संत सूरिगच्छाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनिराज के पवित्र कर कमलों में हुए भावलिंगी संत के मस्तक पर मुनि दीक्षा के संस्कार आज पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के मध्य 14 दिसम्बर, शनिवार को राजधानी दिल्ली के एसएबी ग्राउंण्ड के हेगडेवार भवन में संपन्न हुआ भाविलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी मुहामुनिराज का 27 वां मुनि दीक्षा महोत्सव रजत विमर्श संयमोत्सव 2022 – 24 के साथ ।
बरासो भिंड की पवित्र धरा से प्रारंभ हुआ था। भावलिंगी संत का साधना पथ –
चम्बल नदी के समीपस्थ भगवान महावीर की समयशरण स्थली अतिशय क्षेत्र बरासों भिण्ड की पावन धरती से 13 दिगम्बर मुद्राधारी साधकों के साथ भावलिंगी संत ने शुरू की थी अपनी मोक्षमार्ग की अनुपम साधना । 26 वर्षो की अवरूद्ध अखण्ड साधना करते हुए भावलिंगी संत अद्भूत व्यक्ति एवं अनोखे कृतित्व के उपरिम शिखर को प्राप्त हो रहे है।
भावलिंगी संत के अपने संयम दिवस से प्रारंभ की समयसार महाग्रंथ की महाटीका का लेखन प्राकृतिक भाषा में – विशाल चतुर्विद्या संघ के आदर्श संचालक साधना के पथ पर निरंत्तर अग्रसर हो रहे है। पृज्य आचार्य ने अपने साधन काल में श्री योगसागर प्राभृत गं्रथ पर प्राकृतिक भाषा में अप्पोदया महाटीका का सृजन किया है। आज संयम दिवस के शुभ अवसर दिवस से आचार्य श्री ने जैन धर्म के महान गं्रथ श्री समस सागर जी प्राकृतिक ग्रंथ पर मसयोदय नाम की प्राकृतिक भाषा में महान टीका लिखना प्रारंभ किया है। उपस्थित विद्वान समूह ने आचार्य श्री क इस महा अनुष्ठान की भूरि – भूरि प्रशंसा की।
चतुर्विध संघ के साथ विद्वान समूह एवं दिल्ली समाज ने समर्पित किय गुरू चरणों में संघ शिरोमणी का श्रेष्ठ अलंकरण – वर्तमान समय मेंं मुनि आर्यिका, श्रावक, श्राविका रूप चतुर्विद्य संघ अल्पमात्रा में ही दिखाई देते है। वहीं चतुर्विद्य संघ भी हो और अनुशासन की पराकाष्ठ भी हो ऐसा दुर्लभ संयोग कहीं देखने को मिल सकता हो जो वह एकमात्र आचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज का ही संघ है। अत: चतुर्विद्या संघ भी हो और अनुशासन की पराकाष्ठ भी हो, ऐसा दुर्लभ संयोग कहीं देखने को मिल सकता है तो वह एकमात्र आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज का ही संघ है। अत: चतुर्विद्य संघ के साथ डॉ. श्रेयांस जैन बडौत, डॉ नलिन के शास्त्री आदि विद्वत समूह एवं दिल्ली एनसीआर समाज ने मिलकर आचार्य श्री को संघ शिरोमणि अलंकरण समर्पित कर अपने सौभाग्य को बढ़ाया।
शीलकालीन प्रवास का मिला आशीर्वाद, राजधानी में गुरू विमर्श के चरणों में जिनागम पंथी मनायेंगे नया वर्ष – भावलिंगी संत संत का सन 2024 का मंगल चातुर्मास राजधानी में ऐतिहासिक उपलब्धियों के साथ संपन्न हुआ। राजधानी में सपन्न हुयी भगवती जिनदीक्षा भी संपूर्ण विश्व देखी मात्र दो दिन की तैयारी में प्रारंभ हुआ पंचकल्याणक महोत्सव भी अपना नया इतिहास गढ़ रहा है। इसी अवसर पर सम्पूर्ण कृष्णानगर यमुनापार जैन समाज ने आचार्य संघ के चरणों में निवेदन रख दिया, कि शीतकालीन प्रवास भी कृष्णा नगर समाज को ही प्राप्त होना चाहिए। भक्तों के द्वारा विशेष आग्रह देखकर आचार्य श्री को अपनी स्वीकृति सम्पूर्ण समाज को देनी ही पड़ी । 25 दिसम्बर को शान्ति भक्ति सिद्धि दिवस के उपरांत भावलिंगी संत के सानिध्य में 2025 का प्रथम सूर्योदय होगा।
फाल्गुन माह की आष्टाहिनका में राजधानी दिल्ली में भावलिंगी संत के सानिध्य में संपन्न होगा। सिद्धचक्र महामंडल विधान अहिंसा परिवार के नाम से विख्यात जैन परिवार गुरू विमर्श के राजधानी आगमन से ही विमर्श रत्न अहिंसा परिवार के नाम से पहिचाना जाता है। संयमोत्सव के पावन अवसर पर कृष्णा नगर जैन समाज के नेतृत्व में इस परिवार ने सिद्धचक्र महामण्डल विधान को गुरूवर को सानिध्य में सम्पन्न होने का निवेदन किया समाज के साथ परिवार की एकता को देखते हुए आचार्य श्री 07 मार्च 2025 तक राजधानी में महा अनुष्ठान का मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
दिव्यतीर्थ शान्ति जिनायतन में गुरू विमर्श भक्तों ने समर्पित की पुण्य की आहूतियां – तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मति सागर जी महामुनिराज की जन्म भूमि फफोतु एटा में भावलिंगी संत के मंगल आशीर्वाद से एक अद्भूत नवतीर्थ दिव्यतीर्थ शांति जिनायतन का निर्माण हो रहा है। राजधानी के गुरू भक्तों में दिव्यतीर्थ में अपने पुण्य कोष को समर्पित करते हुए भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श ने दिव्यतीर्थ में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया ।
राजत विमर्श संयमोत्सव 2022 – 24 का हुआ समापन – भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज के साधना करते हुए जब 25 वां वर्ष प्रारंभ हुआ तब 14 दिसम्बर 2022 से 14 दिसम्बर 2024 तक 2 वर्ष तक के दीर्घ काल तक सम्पूर्ण भारत वर्ष में अनेक धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होते रहे। आज 14 दिसम्बर 2024 को आचार्य श्री के 27 वें संयमोत्सव अवसर पर पंचकल्याण महोत्सव के मध्य रजत संयमोत्सव वर्ष 2022 – 24 का हुआ समापन।
गुरू उपकार दिवस पर आचार्य ने समर्पित की अपनी गुरू भक्ति – भावलिंगी संत आचार्य श्री ने अपने 27 वें मुनि दीक्षा दिवस पर अपने शिक्षा दीक्षा दाता गुरूवर आचार्य श्री विराग सागर जी महामुनिराज के महान उपकारों को स्मरण करते हुए आचार्य श्री ने कहा – आज तक जिनके जीवन में भी परिवर्तन हुआ है वह एकमात्र सद्गुरू के निमित्त से ही होता है। प्रत्येक शिष्य एक सरोवर की भांति हुआ करता है, ध्यान रहे कमलरूपी गुरू के आने से ही हमारे जीवन रूपी सरोवर की शोभा हुआ करती है। शिष्य की शोभा गुरू से ही हुआ करती है।