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एनआईटी रायपुर में “मन के स्वभाव एवं नियंत्रण” पर एक्सपर्ट टॉक का आयोजन हुआ

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रायपुर(विश्व परिवार)। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर के थिंक इंडिया क्लब , भास्कराचार्य स्टडी सर्कल द्वारा एनआईटीआरआर एफ आई ई ई और आईआईटी भिलाई के सहयोग से 12 दिसम्बर 2024 को ‘मन के स्वभाव एवं नियंत्रण, वैज्ञानिक और वेदांतिक दृष्टिकोण’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ एन.वी. रमन्ना राव, और मुख्य वक्ताओं में एन.एच अस्पताल के कंसल्टेंट मनोचिकित्सक डॉ. मूलचंद हर्जानी और यदातोरे श्री योगानंदेश्वर सरस्वती मठ के पीठाधीश्वर, पुज्य श्री श्री शंकरा भारती महास्वामीजी थे। इस कार्यक्रम का आयोजन भास्कराचार्य स्टडी सर्कल के फैकल्टी इन चार्ज डॉ राजाना सुरेश कुमार के मार्गदर्शन में किया गया | इस कार्यक्रम में डॉ दिलीप सिंह सिसोदिया, डॉ गोवर्धन भट्ट,फैकल्टी मेंबर्स, स्टाफ और छात्र उपस्थित रहे|
कार्यक्रम की शुरुआत में वंदे मातरम गीत के साथ राष्ट्रीय भावना को प्रकट किया गया, इसके बाद दोनों प्रमुख विशेषज्ञों का शॉल और श्रीफल से अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में जहाँ डॉ हर्जानी ने मन के स्वभाव एवं नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रकट किए वही स्वामीजी ने वेदांतिक दृष्टिकोण का वर्णन किया। डॉ. मुलचंद हरजानी ने मानसिक नियंत्रण के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने मनुष्य के विचारों और मानसिक स्थिति को समझने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। डॉ. हरजानी ने मन को नियंत्रित करने का एक रोडमैप भी प्रस्तुत किया मन नियंत्रण की प्रबल इच्छा विकसित करना , मन के स्वभाव को समझना, तकनीकों को सीख कर अभ्यास करना जैसी चीजों पर बात की |
उन्होंने मन नियंत्रण की महत्ता पर जोर देते हुए बताया कि यह आंतरिक शांति, खुशहाली, व्यक्तित्व के लिए अति आवश्यक है | उन्होंने बताया कि मानसिक नियंत्रण व्यक्ति की व्यक्तिगत यात्रा है और इसे प्राप्त करने के लिए संकल्प और अनुशासन की आवश्यकता है। डॉ. हरजानी ने पतंजलि के योग सूत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए कुछ मूलभूत दृष्टिकोणों को अपनाना चाहिए, जैसे की प्रसन्न लोगों की मित्रता , दुखी लोगों के प्रति करुणा, अच्छे कार्यों में आनंद और बुराई के प्रति उदासीनता।
इसके बाद शंकरा भारती महास्वामीजी ने वेदांतिक दृष्टिकोण से मन की प्रकृति, उसके स्वरूप और कार्यों पर गहरी चर्चा की। उन्होंने श्लोक पाठ किया और मन, इंद्रियों, बुद्धि और आत्मा के संबंध को स्पष्ट किया। स्वामिजी ने यह भी बताया कि कैसे मन की विभिन्न अवस्थाएँ – ‘स्थूल’, ‘सूक्ष्म’ और ‘आस्थरिक’ कार्य करती हैं और उनका प्रभाव हमारी सोच और व्यवहार पर कैसे पड़ता है। स्वामिजी ने ‘फंक्शनल एमआरआई’ तकनीक का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे इस तकनीक से मस्तिष्क के विचारों को पढ़ा जा सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने ‘प्राणायाम’ , ‘स्मरण’ और ‘आध्यात्मिक अभ्यास’ जैसे मानसिक नियंत्रण की विधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। यह कार्यक्रम छात्रों और शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत साबित हुआ, जिसमें मानसिक और आध्यात्मिक विकास के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का अवसर मिला।
कार्यक्रम के अंत में डॉ एन.वी. रमन्ना राव ने धन्यवाद भाषण मे सभी अतिथियों के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस तरह के कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया और छात्रों को मानसिक नियंत्रण के अभ्यास में निरंतर प्रयास करने की सलाह दी। कार्यक्रम का अंत राष्ट्रगान के साथ हुआ |

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