(विश्व परिवार)। जैसा कि इस पर्व का नाम है- क्रिसमस अर्थात क्राइस्ट का मास या यीशु मसीह का बलिदान । जब हम इस संसार की ओर दृष्टि करते हैं तो हमें इस पर्व के अनेक रंग दिखाई देते हैं, जैसे- कैंडेल्स,बेल्स, क्रिसमस ट्री, गिफ्ट्स, सेंटा क्लॉज़ आदि | लेकिन इसके ठीक विपरीत जब हम पवित्र बाइबिल- शास्त्र जो कि परमेश्वर का वचन है तो उसमें इन सबका कोई भी विवरण कहीं भी नहीं पाते हैं, आप जब पढ़ेंगे तो उसमें सिर्फ तीन बातों का जिक्र पायेंगे –
1) चरनी या गौशाला (यीशु की जन्मस्थली)
2) क्रूस – लकड़ी का वह ढांचा, जिस पर यीशु ने स्वयं को बलि होने के लिए दिया और
3) खाली कब्र- वो गुफा जहाँ यीशु की देह को मरने के बाद रखा गया लेकिन वह कब्र आज खाली है क्योंकि यीशु मरने के तीन दिन बाद सशरीर जीवित हो उठे| जैसा उन्होंने पहले से ही बता दिया था और आज सर्वदा के लिए जीवित हैं l इन तीन चरणों में ही परमेश्वर की मुक्ति की योजना जो सारी मनुष्य जाति के लिए है , वो प्रगट हुई है।
इस सृष्टि का रचयिता, अद्वैत स्वामी और सनातन परमेश्वर्, जो परम पवित्र है, जिसने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया उसकी पवित्रता के मानदंड तक मनुष्य कभी भी पहुँच नहीं सकता क्योंकि परमेश्वर अति (परम) पवित्र है और मनुष्य अपनी पापमय दशा के कारण अपवित्र है। इस पापी मनुष्य का पवित्र परमेश्वर से कभी भी मिलन नहीं हो सकता था। इस दुखदायी स्थिति को दूर करने के लिए स्वयं परमेश्वर ने देहधारी होकर चरनी में यीशु नाम से जन्म लिया। यह उसका गहरा स्वर्गीय प्रेम था जिसने उसे विवश किया कि सारी सृष्टि का अद्वैत स्वामी और सृजनहार; सनातन परमेश्वर के इस पृथ्वी पर मानव स्वरूप में जन्म ले और मनुष्य के पापों हेतु अपने प्राणों को बलिदान होने के लिए दे, यीशु ने साढ़े तेन्तीस ( 33 ½) वर्ष का पवित्र जीवन इस पृथ्वी पर जिया। मुर्दों को जीवित किया, अंधों को आँखे, लंगड़ों को पैर, लूलों को हाथ दिए। बीमारों को चंगा किया। बहरों का बहरापन दूर किया। कोढ़ी चंगे हुए। असाध्य रोगियों के रोगों को चंगा किया l
क्रूस – लकड़ी का ढाँचा जिसमें यीशु मसीह ने हर मनुष्य के पापों की सजा – मृत्यु अपने ऊपर ले ली | क्रूस पर यीशु ने इस संसार के हर, कुल, गोत्र, भाषा, समुदाय और धर्म के लोगों के पापों से मुक्ति के लिए अपना पवित्र लहु बहाया यह वो लहु है जिसमें कुछ भी पाप नहीं था और यही वह लहु है जिसमें हर व्यक्ति को पापों की क्षमा और मोक्ष मिलता है
खाली कब्र – वो स्थान जहाँ यीशु की देह को रखा गया l वहाँ से तीसरे दिन यीशु सशरीर जीवित होकर मृत्यु के बंधन को तोड़कर यानी मृत्यु की शक्ति को हरा कर कब्र के बाहर निकल आए और चालीस दिन तक बहुतों को दिखाई देकर अपने जिंदा होने का प्रमाण दिया तब वे बहुतों के देखते हुए जीवित ही स्वर्ग में उठा लिए गए और जाते समय एक बड़ी प्रतिज्ञा देकर गए कि हर वो इंसान जो उसके बलिदान पर विश्वास करने के dwara पापों की क्षमा प्राप्त कर चुका है उसे अपने साथ वापस स्वर्ग ले जाने बहुत जल्दी आने वाले हैं|
जब एक व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से यीशु के पास आकर अपने पापों का अंगीकार करता है और उसके बलिदान पर विश्वास करता है, तो यीशु उसके पापों की क्षमा और छुटकारा दोनों देते हैं l साथ ही प्रेमी परमेश्वर् से उसका मिलन हो जाता है परमेश्वर् उसे अपना पुत्र – पुत्री बना लेता है और उसे अनंत जीवन का वरदान देते हैं l आज की तारीख में भी परमेश्वर् अपने यीशु नाम में लोगों के जिंदगियों में आश्चर्य कार्य कर रहे हैं l
कुछ महत्वपूर्ण आयत जो पवित्र बाइबिल से उद्धरित है, जो कुछ सोचने पर प्रेरित कर देते हैं –
रोमियों 3:23
क्योंकि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं
रोमियों 6:23
क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है
(इब्रानियों की पत्री 9:27 )
और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है
यूहन्ना 3:16
क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
इफिसियों की पत्री 2:8
क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है
(यूहन्ना 14:12)
मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि जो मुझ पर विश्वास करेगा, ये काम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े काम करेगा