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भारत गौरव तपाचार्य प्रसन्नसागर जी महाराज का 14 वर्ष बाद कल होगा छतरपुर में भव्य मंगल प्रवेश

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  • कल छतरपुर में होगा अंतर्मना आचार्य प्रसन्नसागर महाराज का मंगल प्रवेशः जन्मभूमि में होगी अद्भुत, अकल्पनीय ऐतिहासिक अगवानी

छतरपुर /औरंगाबाद (विश्व परिवार)। परम पूज्य अन्तर्मना आचार्य 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं उपाध्याय मुनिश्री पीयूष सागर महाराज ससंघ का छतरपुर की पुण्यधरा एवं प्रसन्न सागर महाराज की जन्मभूमि पर भव्य मंगल प्रवेश कल 12 जनवरी 2025 को सुबह ठीक 7 बजे बिजावर नाका स्थित चन्द्रप्रभु चैत्यालय से विशाल जन समूह के साथ होगा। जैन समाज के डा. सुमति प्रकाश जैन तथा उपाध्यक्ष रीतेश जैन के अनुसार आचार्यश्री जनसमूह के साथ मुख्य मार्ग से छत्रसाल चौक होते हुये पुरानी तहसील प्रांगण लगभग 9 बजे पहुंचेंगे। यहां एक भव्य धर्मसभा का आयोजन होंगा, जिसमें हजारो की संख्या में उनके जैन तथा जैनेतर भक्त उनके मंगल प्रवचनों का लाभ लेंगे। उल्लेखनीय है कि आचार्य प्रसन सागर महाराज 14 वर्षों बाद अपनी जन्मभूमि छतरपुर आ रहे हैं, जिसके लिए नगर के जैन मंदिरों की नयनाभिराम विद्युत सज्जा की गई है।

गौरतलब हो वर्तमान में आचार्यश्री प्रसन्न सागर महाराज तप के उच्चतम शिखर पर पहुँच चुके है। इनकी तप एवं आराधना को देखने दूर दूर से लोग आते हैं और पुण्य का संचय करते हैं। सर्वविदित है कि आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज का जन्म छतरपुर की पुण्यधरा पर हुआ उनके गुरु एवं पुष्पगिरी प्रणेता गणाचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज की शिक्षा दीक्षा छतरपुर में हुई थी, जो उनके गृहस्थ जीवन के चाचा हैं और उन्हीं के वैराग्य को देखकर ही प्रसत्र सागर जी ने भी वैराग्य को धारण कर मोक्ष मार्ग को ग्रहण किया।

जीवन परिचयः आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज का जन्म 23-07-1970 को छतरपुर (मध्य प्रदेश) में हुआ उनका बचपन का नाम दिलीप जैन माताजी श्रीमती शोभा जैन, पिता का नाम अभय कुमार जैन एवं भाई संजय जैन पदम् इलेक्ट्रिकल्स छतरपुर जिनका पैतृक निवास बेनीगंज मोहल्ला छतरपुर में है उनकी प्राम्भिक शिक्षा छतरपुर में हुई। 21-01-1986 को उन्होंने गृहत्याग कर दिया और 12-04- 1986 से ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया। महावीर जयन्ती के दिन 18-04-1989 को उन्होंने मुनि दीक्षा राजस्थान के परतापुर में दीक्षा गुरुः परम पूज्य वात्सल्य दिवाकर आचार्य 108 पुष्पदंत सागर जी महाराज से लौ एवं आचार्य दीक्षा सोनकच्छ, देवास, मध्य प्रदेश में दिनांक – 29-11-2020 को दीक्षा गुरु आचार्य 108 पुष्पदंत सागर जी महाराज से ली.

आजीवन शक्कर और चटाई का त्यागः अंतर्मना आचार्य १०८ प्रसन्न सागर जी महाराजने आचार्य विद्यासागर जी महाराज के चरण पखार कर आजीवन शक्कर एवं चटाई का त्याग कर दिया था।
दिगम्बर जैन संत अन्तर्मना आचार्य प्रसत्र सागर जी महाराज को मध्यप्रदेश सरकार ने राजकीय अतिथी घोषित कर गौरव प्रदान किया है। अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी जैन समाज के एकमात्र युवा तपस्वी संत हैं, जिनने 557 दिवसीय आर्य अखंड मौन साधनारत रहते हुए तीर्थ क्षेत्र सम्मेदशिखर जी पर्वत पर रहते हुए 486 दिन सिह निष्क्रीडित व्रत किया। आचार्य का वर्तमान में तेलांगना कुलचाराम क्षेत्र से बद्रीनाथ धाम की तरफ पद विहार चल रहा है, इसी दौरान आचार्य 16 पिच्छीधारी संघ सहित 12 जनवरी को सुबह 9 बजे छतरपुर नगर की सीमा में प्रवेश करेंगे। मध्यप्रदेश में आचार्य प्रसन्न सागर जी जबलपुर, दमोह, कुंडलपुर, बिजावर, द्रोणगिर, छत्तरपुर, भिण्ड आदि शहरों में प्रवास प्रदान करते हुए बद्रीनाथ पहुंचेंगे।

जैन समाज के अध्यक्ष अरुण जैन अन्नु, उपाध्यक्ष अजय फट्टा, रीतेश जैन, महामंत्री स्वदेश जैन, कोषाध्यक्ष जितेन्द्र जैन, सहमंत्री अजित जैन एवं व्यवस्थापक आरके जैन सहित समस्त कार्यकारिणी ने आचार्यश्री की मंगल आगवानी में उपस्थित होकर पुण्यर्जन करने का आव्हान किया है।

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