- सूर्य नगर नगर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का तीसरा दिन
- हस्तिनापुर जन्मकल्याणक पर निकली विशाल शोभायात्रा – बाल तीर्थंकर के कलशाभिषेक में गूंजे जयकारे – बुधवार को होगी तप कल्याणक की क्रियाएं – शुक्रवार को मोक्ष कल्याणक के बाद नवीन वेदियों में होगें श्री जी विराजमान
जयपुर (विश्व परिवार)। तारों की कूट पर सूर्य नगर स्थित श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के द्वितीय तल पर नवनिर्मित जिनालय के बी टू बाई पास पर मेट्रो एन्क्लैव में बनाई गई हस्तिनापुर नगरी में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में मुनि समत्व सागर, शील सागर, गणिनी आर्यिका नंगमति एवं क्षुल्लिका पदममति के सानिध्य में मंगलवार को जन्म कल्याणक मनाया गया। जन्म कल्याणक की क्रियाएं और तीर्थंकर बालक शांति कुमार के पाडुंक शिला पर हुए जन्माभिषेक देखने के लिए जैन समाज उमड़ पड़ा । श्रद्धालुओं ने भगवान शांतिनाथ के जयकारे लगाकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
अध्यक्ष नवीन जैन एवं मुख्य समन्वयक सुरेश बाकलीवाल ने बताया कि सुबह महोत्सव के तहत जन्मकल्याणक की क्रियाएं हुई,जिसके तहत जिनेंन्द्र दर्शन, अभिषेक के बाद प्रकाश टोंग्या ने शांतिधारा का पुण्यार्जन किया ।तत्पश्चात प्रातः कालीन बेला में हस्तिनापुर के राजा विश्वसेन महाराज एवं रानी ऐरा देवी के तीर्थंकर बालक का जन्म हुआ। इस मौके पर इन्द्र सभा में बैठे सौधर्म इन्द्र नीरज – सुप्रिया का आसन कम्पायमान हो उठा। कुबेर का आगमन,ऐरावत हाथी रचना,शचि इन्द्राणी का अंतपुर में जाना,शचि इन्द्राणी का बाल तीर्थंकर को लाना,सौधर्म इन्द्र को सौपने के सुन्दर दृश्य देख श्रद्धालुओं में हर्षोल्लास छा गया।
इस मौके पर आयोजित धर्म सभा में नंगमति माताजी एवं मुनि शील सागर महाराज ने जन्मोत्सव का वर्णन किया।
मुनि समत्व सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि जहा पुण्य होता है, वहा स्वर्ग में सौधर्म का आसन कम्पायमान हो जाता है। तीर्थंकर बालक जब भी जन्म लेते हैं तीनों लोकों में हर्ष उल्लास का माहौल हो जाता है।
साढे बारह करोड़ वाद्य यंत्र एक साथ बजते है।
आकाश मण्डल देवों से छा जाता है। हस्तिनापुर में महाराज विश्वसेन के माता ऐरा देवी के गर्भ से जन्म होता है। विधि विधान का उल्लेख जिन आगम के अनुसार ही है। किसी से राग द्वेष नही करो लेकिन सत्यता को प्रकट जरुर करना चाहिए। सत्य से परिचित होना हो तो आगम से परिचित होना चाहिए। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव कोई नाटक नही है। आगम अनुरुप क्रिया विधि है।
परिवार नियोजन व गर्भपात क्रूरता है।
तीर्थंकरों ने अपने जीवन को सार्थक बना लिया है इसलिए उनका जन्म कल्याणक मनाया जाता है। इस मौके पर शांति देवी राजेश पापडीवाल परिवार ने पाद पक्षालन एवं जिनवाणी भेट करने का पुण्यार्जन किया।
महोत्सव में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी राजस्थान अंचल के अध्यक्ष राज कुमार कोठयारी, श्री वीर सेवक मण्डल के अध्यक्ष महेश काला, अतिशय क्षेत्र छोटा गिरनार के अध्यक्ष प्रकाश बाकलीवाल, श्योपुर जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष अशोक बाकलीवाल, राजस्थान जैन सभा जयपुर के कार्यकारिणी सदस्य चेतन जैन निमोडिया, मुनि भक्त मनोज झांझरी, आशीष बैद, सुरेश जैन बांदीकुई आदि गणमान्य लोगों ने मुनि संघ से आशीर्वाद प्राप्त किया।
भव्य लवाजमे के साथ निकली जन्मकल्याणक की शोभायात्रा,उमड़े समाजबंधु प्रचार प्रभारी विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि इसके बाद बैंड बाजों, 3 हाथियों तथा 25 बघ्घियों के साथ जन्मकल्याणक की शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में सौधर्म इन्द्र बने नीरज – सुप्रिया जैन सहित अन्य इन्द्र-इन्द्राणियों ने ऐरावत हाथी पर तीर्थंकर बालक को लेकर सुमेरू पर्वत की ओर शोभायात्रा के साथ प्रस्थान किया। इस शोभायात्रा में इन्द्र-इन्द्राणियों के साथ श्रद्धालु ‘बजे हस्तिनापुर में बधाई कि नगरी में शांति कुमार जन्में….,धन्य-धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है….रोम-रोम से निकलें प्रभुवर नाम तुम्हारा…जैसे भजनों की स्वर लहरियों पर नाच-गाकर अपनी भक्ति को प्रदर्शित किया। जिन-जिन मार्गों से यह शोभायात्रा गुजरी वे सभी मार्ग श्रद्धा और आस्था की त्रिवेणी में भीगे नजर आए। यह शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होती हुई पांडुक शिला पहुंची। जहां पर सौधर्म इंद्र के बाद प्रथम अभिषेक उम्मेद मल- पाना देवी धनेश-रविता सेठी परिवार ने किया।
द्वितीय कलश प्रेम चन्द- ललिता, रोबिन गोधा, तृतीय कलश अभय जैन बरेली, चतुर्थ कलश रितेश – सुमिता पाटनी, पंचम कलश विमल-रेखा पापडीवाल परिवार ने किया।
तत्पश्चात सभी इन्द्र-इन्द्राणियो सहित पूरे देश से पधारे श्रद्धालुओं ने 1008 कलशों से तीर्थंकर बालक का जन्माभिषेक किया।
समन्वयक धनराज जैन एवं प्रकाश चन्द जैन ने बताया कि दोपहर में मंदिर जी में वास्तु विधान किया गया। तत्पश्चात ध्वज यात्रा निकाली जाकर महाध्वज स्थापना की गई।
तत्पश्चात महामहोत्सव में प्रतिष्ठित होने के लिए आई 222 प्रतिमाओं पर 96 औषधियों से लेपन कर मंत्रोच्चार के साथ उनकी शुद्धि की गई।
सह निर्माण मंत्री महेन्द्र जैन ने बताया कि सायंकाल गुरु भक्ति, आरती के बाद तीर्थंकर बालक का पालना झुलाने का आयोजन हुआ जिसमें इन्द्र – इन्द्रणियो सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पुण्यार्जन किया।
तत्पश्चात बाल क्रीडा, काजल श्रृंगार क्रिया व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए,जिन्हें देख श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। सलाहकार डाॅ राजेश जैन एवं ललित दीवान ने बताया कि बुधवार, 22 जनवरी को संसार से वैराग्य की ओर तप कल्याणक महोत्सव मनाया जाएगा। इस मौके पर अन्न प्रासन्न विधि, बाल क्रीड़ा के बाद मुनि संघ के प्रवचन होगें। दोपहर में महाराजा विश्वसैन का दरबार, राज्याभिषेक, राज तिलक के दृश्य दिखाए जाएगें। तत्पश्चात चक्रवर्ती दिग्विजय जुलूस निकाला जाएगा। तत्पश्चात वैराग्य, लौकान्तिक देवों का आगमन, वन प्रस्थान एवं दीक्षा की क्रियाएं होगी। सायंकाल गुरु भक्ति, आरती, शास्त्र वाचन के बाद श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन महिला मण्डल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा।
गुरुवार, 23 जनवरी को केवलज्ञान कल्याणक की क्रियाएं होगी। प्रचार प्रभारी विनोद जैन कोटखावदा के मुताबिक शुक्रवार, 24 जनवरी को मोक्ष कल्याणक के बाद विश्व शांति महायज्ञ होगा। अन्त में रथयात्रा के साथ श्री जी को नवीन वेदियों में विराजमान किया जाएगा।