Home धर्म अपने मन को धार्मिक आजादी प्रदान करें, मन को स्वच्छंद न बनायें

अपने मन को धार्मिक आजादी प्रदान करें, मन को स्वच्छंद न बनायें

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  • भावलिगी संत आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी मुनिराज

दिल्ली (विश्व परिवार)। हमें अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए अपने मन को आजाद करना होगा। आप कहोगे कि गुरुदेव मन तो हमारा वैसे ही आजाद है उसे क्या आजादी देनी ? ध्यान रहे, आपका मन आज़ाद नहीं है आपका मन स्वच्छंद है। आपका मन स्वच्छंद है पंचेन्द्रियों के पापवर्धक विषयों में। आपका मन स्वच्छंद है मन-वचन काय की उद्‌दण्डताओं में। आपका मन स्वच्छंद है पापों में एवं व्यस्नों में। यह स्वच्छंदता आपकी असली आजादी नहीं है। वास्तविक आजादी वह है जहाँ आप धर्म कार्य करने के लिए स्वतंत्र हों। अभी तो आप धर्म-अनुष्ठान भी परतंत्रता में करते हैं। यदि आपका मन अधिक समय मंदिर आदि धर्म स्थानों में लगने लग जाए तो परिवार के द्वारा आपके ऊपर प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं। बन्धुओ । जागना होगा, कब तक आप स्वच्छंदता को ही आजादी मानते रहोगे। आज़ादी का यह भ्रम आपको पतन मार्ग की ओर बढ़ा रहा है।
कर्तव्य पथ पर चलना मन की आजादी है। अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह आदि व्रत-भावना रूप चिन्तन के लिए मन को स्वतंत्र कर देना मन की आजादी है। धार्मिक चिन्तन में मन स्वतंत्रता प्राप्त करे वही मन की सच्ची आज़ादी है।
अपने मन को धार्मिक आजादी प्रदान करें। जीवन को खुशहाल बनाने के लिए मन को तीर्थ बनाना होगा । आपका मन तब ही तीर्थ बनेगा जब आप अपने मन को धार्मिक आज़ादी प्रदान करेंगे ।
माघ कृष्ण चतुर्दशी, 28 जनवरी 2025 मंगलवार को प्रथम तीर्थकर आदिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक निर्वाण दिवस के रूप में सम्पूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाएगा। परम पूज्य राष्ट्र‌योगी भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज ससंघ (37 पीदी) का सानिध्य राजधानी दिल्ली के ऋषभाविहार जैन समाज के साथ सकल समाज दिल्ली को प्राप्त हो रहा है। ऋषभ विहार कालोनी के सेन्ट्रल पार्क में प्रथम तीर्थकर आदिनाथ स्वामी की महापूजा एवं निर्माण लाइ चढ़ाकर आराधना की जाएगी। साथ ही जिनालय की मूल वेदिका पर 64 न्यंवरों की स्थापना की जावेगी !
28 जनवरी को ही भाचार्य संघ संध्या वेला में ऋषभ विहार सूर्यनगर की ओर पर विहार करेंगे ।

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