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आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से देशभर में विभिन्न स्थानों पर स्थापित हुए स्वदेशी शिक्षा और आयुर्वेदिक चिकित्सा के आयतन

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डोंगरगढ़ (विश्व परिवार)। कलयुग के कमल राष्ट्रिय विचार संप्रेरक और संपोषक के रूप में प्रसिद्ध राष्ट्रिय संत आचार्य श्री विद्यासागर जी ने अपने उदस्त विचारों से अपनी निर्मल वाणी और अपने श्रेष्ठ कार्यों से भारतीय संस्कृति को ऊँचाई प्रदान की है।
किसी भी देश की रीढ़ वहाँ की शिक्षा एवं चिकित्सा पद्धति होती है शिक्षा के क्षेत्र में आचार्य जी की प्रेरणा से भारत के पांच राज्यों जबलपुर (म.प्र.), इंदौर(म.प्र.),रामटेक(महाराष्ट्र),ललितपुर (उ.प्र.), एवं डोंगरगढ़ (छ.ग.)
ज्ञानोदय विद्यापीठ प्रतिभास्थाली के नाम से कन्या छात्रावास के साथ विद्यालय संचालित है शिक्षा के साथ संस्कारों का शंखनाद हो इस उद्देश्य से ये विद्यालय स्थापित किये गये है इन विद्यालयों में अध्ययन करने वाली सभी शिक्षिकाये आजीवन ब्रम्हचर्य व्रत से अलंकृत है।
प्रतिभा प्रतीक्षा इंदौर, प्रतिभा चयन इंदौर एवं जयपुर,आगरा,पुणे,हैदराबाद,भोपाल आदि में छात्रावास स्थापित किये गये है छात्र-छात्राये प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर सके इस हेतु जबलपुर, भोपाल एवं दिल्ली में अनुशासन प्रशासनिक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना आचार्य श्री जी की प्रेरणा का ही सुफल है।
चिकित्सा के क्षेत्र में भाग्योदय तीर्थ धर्मार्थ चिकित्सालय की स्थापना आचार्य श्री मांगलिक प्रेरणा से सागर (म.प्र.) में हुई जिसका उद्देश्य गरीब एवं मध्यम वर्ग जो चिकित्सा से वंचित रह जाता है उन्हें समुचित चिकित्सा उपलब्ध हो
आपकी प्रेरणा से जबलपुर (म.प्र.) में भारतीय शिक्षा पद्धति आयुर्वेद संरक्षण संवर्धन हेतु पूर्णायु आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं महाविद्यालय की स्थापना हुई।
विदेशी कम्पनीयों के भ्रमजाल से भारत मुक्त हो और सभी जीव सुख शांति चैन अमन से जी सकें, जियो और जीने दो के सिद्धांत को चरिचार्थ करने के लिए स्वदेशी और अहिंसक रोजगार को प्रोत्साहित करते हुए आचार्य भगवन ने लघु उद्योग के रूप में पूरी मैत्री जबलपुर में हथकरघा प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना बीनबारह, कुण्डलपुर, मंडला ,गुना ,अशोकनगर, भोपाल,आरोन आदि स्थानों में की है।

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