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जो पानी से नहाता है वो लिबास बदलता है,और जो पसीने से नहाता है वो इतिहास बदलता है

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  • 108 निर्यापक श्रमण श्री समतासागर महाराज जी

डोंगरगढ़ (विश्व परिवार)। श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र में 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी कि समाधी स्थली में 108 निर्यापक श्रमण श्री समतासागर महाराज जी ने कहा कि अतिशय क्षेत्र चंद्रगिरी सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ का दिगम्बर जैन तीर्थ है । इस स्थान को हम सबके गुरुवर ने चुना। कुछ इस तरह से उनके चयन में आया कि उन्होंने अपनी अंतिम यात्रा यहीं पर कि। कोई जानता भी नहीं था और कोई जानकर भी विश्वास नहीं कर पा रहा था। समय का चक्र ऐसा चला कि जैसे एक भरी – पूरी बिल्डिंग सामने देखते ही देखते आँखों के सामने धरासाई हो गयी हो और हम सामने बचाओ करते करते भी बचाओं न कर पाए हो। 15 फरवरी 2024 को यहाँ आये थे दो दिन गुरुजी का सानिध्य मिला। पुनः 26 जनवरी 2025 में आगमन हुआ। उस समय कि सारी स्मृतियाँ आँखों के सामने घूम रही है। विचार, चिंतन कुछ भी किया जाये तो अभी अपने हाँथ में कुछ भी नहीं है। प्रभु का स्थान भले ही बड़ा है लेकिन कयी मायनों में प्रभु से भी बड़ा स्थान गुरु का होता है, क्योंकि गुरु ही प्रभु का परिचय कराते है, ऐसे में गुरु के प्रति प्रशस्त राग होंना लाजमी है ” उन्होंने कहा कि वह तिथी जो अंतिम तिथी थी वह रात जो अंतिम रात थी वही रात कल भी थी वही रात आज भी है उस रात्रि के सारे दृश्य स्मृति में घूम रहे है उस समय ज्येष्ठ श्रेष्ठ निर्यापक श्रमण योग सागर महाराज जी तथा संघस्थ सभी मुनिराज बहुत सावधानी पूर्वक कार्य कर रहे थे एवं संघस्थ सभी निर्यापक श्रमण समयसागर जी महाराज, अभय सागर जी महाराज, संभव सागर जी महाराज सभी से संपर्क चल रहा था लेकिन योग कुछ ऐसा मिला कि वह हम सभी को छोड़कर चले गये, गुरवर का वियोग अवश्य हुआ है लेकिन वह आज भी हम सभी के हृदय में श्वास – श्वास में विराजमान है, रात्रि में विश्राम किया लम्वी यात्रा करके आये थे स्वपन आया और ऐसा लगा कि गुरुदेव सामने ही है और चलते फिरते नजर आये, आओ बाबा पधारो बाबा सभी की स्वांस – स्वांस में गुरुदेव समाऐ हुये है। मुनि श्री ने कहा कि “जो पानी से नहाता है वह लिबाश बदलता है, जो पसीने से नहाता है वह इतिहास बदलता है” हमारे गुरूजी भी इतिहास बदलने वालों में थे।

यह स्थान उन सभी के लिये महत्वपूर्ण है जो उनसे दीक्षा एवं संस्कार लिये हैं। वियोग छठवें, सातवें गुण स्थान तक अनुभव कराता रहता है। सन्देश यही है कि गुरुवर का वियोग हुआ है लेकिन उनकी उपस्तिथि को मानते हुए कार्यक्रम संपन्न करेंगे। ह्रदय में, स्वास – स्वास में गुरुवर विराजमान है। जो भी बंधू जिस देश – विदेश में हो उन्हें आस्था का अर्घ्य समर्पित करने के लिये यहाँ आना चाहिये। सिद्ध चक्र मंडल विधान में सम्मिलित होकर, मांगलिक गुरु चरण अपने मंदिर में स्थापित करके, पौधारोपण करके समाधि स्मारक से जुड़े।
आपका छोटे से छोटा योगदान भी काम आयेगा। गुरुवर के सन्देश को घर – घर तक पहुचाया जायेगा। बार – बार स्मरण करेंगे, बार – बार समाधि में आयेंगे| गुरुवर बात जरा गहरी है, गुरुवर बात जरा गहरी है, क्योंकि हम सबकी जिन्दगी आप में ही ठहरी है। आप सभी को आशीर्वाद.. इस अवसर पर मुनि श्री आगम सागर महाराज एवं मुनि श्री पुनीत सागर महाराज, ऐलक श्री धैर्य सागर महाराज ऐलक श्री निश्चयसागर महाराज ऐलक श्री निजानंद सागर महाराज सहित आर्यिका गुरुमति माताजी,आर्यिका दृणमति माताजी सहित बड़ी संख्या में आर्यिकायें मौजूद थी दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन निर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज के साथ विहार चल रहे थे ने बताया संघस्थ बाल ब्र अनूप भैया,रिंकू भैया, सुवोध भुसावल, सौरभ सुल्तान पुर साथ चल रहे थे।

भोपाल से आर्यिका रत्न गुरुमति माताजी एवं आर्यिका रत्न दृणमति माताजी भी भोपाल चातुर्मास के उपरांत पद विहार करती हुई लगभग 650 किलोमीटर का लम्वा पद विहार करते हुये पहुंचे भोपाल से विहार में चौका आदि व्यवस्था के लिये भोपाल जैन समाज के अध्यक्ष मनोज बांगा एवं चौका में चल रही महिलाओं का सम्मान तथा अविनाश जैन विदिशा का सम्मान कमेटी के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन, निर्मल जैन, सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, सप्रेम जैन, डोंगरगढ़ जैन समाज के अध्यक्ष श्री अनिल जैन, कोषाध्यक्ष श्री जय कुमार जैन, सचिव श्री यतीश जैन, सुरेश जैन, निशांत जैन, विद्यातन पदाधिकारी श्री निखिल जैन, दीपेश जैन, अमित जैन, सोपान जैन, जुग्गू जैन, यश जैन, प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री पप्पू भैया सहित समस्त पदाधिकारियों ने किया। विद्यातन के अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या ने बताया कि 1 फरवरी 2025 से 6 फरवरी 2025 तक होने वाले प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव कि पूर्ण रूपरेखा बना ली गयी है जिसमे सभी साथियों को कार्यविभाजन कर आवास, यातायात, भोजन, सिक्यूरिटी आदि व्यवस्था सुनिश्चित कर दी गयी है एवं देश – विदेश के सभी लोगो से करबद्ध निवेदन किया है कि सभी उक्त कार्यक्रम में अपनी गरिमामयी उपस्तिथि दर्ज कर धर्म लाभ लेवे। उक्त जानकारी निशांत जैन (निशु) द्वारा दी गयी है।

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