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18 वर्षीय मस्तिष्क मृत्यु घोषित मरीज ने अपने अंग दान कर पांच लोगों की जान बचाई

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रायपुर (विश्व परिवार)। रायपुर के एक 18 वर्षीय युवक ने मस्तिष्क मृत्यु घोषित होने के बाद अंगदान कर पांच मरीजों को नई जिंदगी दी। सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद, 29 जनवरी 2025 को उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित किया। इस कठिन समय में भी, उसके परिवार ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए उसके अंग और कॉर्निया दान करने का निर्णय लिया, जिससे अंग विफलता से जूझ रहे मरीजों को नई आशा मिली।
छत्तीसगढ़ राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) ने इस पूरे अंगदान प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपन्न कराया। SOTTO के निर्देशानुसार, मरीज को अंग प्रत्यारोपण के लिए एम्स रायपुर में स्थानांतरित किया गया। एम्स रायपुर प्रशासन, SOTTO-छत्तीसगढ़ और विभिन्न चिकित्सा टीमों के समन्वय से यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न हुई। अंगदान और प्रत्यारोपण की इस जटिल प्रक्रिया को सफल बनाने में एम्स रायपुर की कई टीमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मेडिकल सुप्रिटेंडेंट ऑफिस से प्रो. रेणु राजगुरु और डॉ. नितिन बोरकर ने प्रशासनिक कार्यों की देखरेख की।

ट्रॉमा और आपातकालीन चिकित्सा टीम, जिसमें डॉ. देवेंद्र कुमार त्रिपाठी, डॉ. पल्लवी और डॉ. naman अग्रवाल शामिल थे, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मेडिसिन विभाग से प्रो. डॉ. विनय पंडित और डॉ. जस्केतन मेहर ने भी अहम योगदान दिया। फॉरेंसिक मेडिसिन टीम, जिसका नेतृत्व प्रो. कृष्णदत्त चावली कर रहे थे, ने मेडिकल- लीगल प्रक्रियाओं का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया, जबकि ट्रांसप्लांट समन्वयकों विषोक एन, विनिता और अम्बे ने मरीज के परिजनों को परामर्श दिया और अंगदान प्रक्रिया को पूरा किया। SOTTO के अंग आवंटन नीति के अनुसार, एक किडनी और दोनों कॉर्निया एम्स रायपुर को आवंटित किए गए, जबकि दूसरी किडनी और लिवर एक निजी अस्पताल को प्रदान किए गए। एम्स रायपुर में, एक किडनी का प्रत्यारोपण दुर्ग की 26 वर्षीय महिला को किया गया, जो पिछले सात वर्षों से क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थी। इससे पहले, उसने एक निजी अस्पताल में ABO-इनकंपेटिबल (असंगत रक्त समूह) किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था, जो असफल रहा और वह पिछले दो वर्षों से डायलिसिस पर निर्भर थी। एम्स रायपुर में किडनी प्रत्यारोपण की यह प्रक्रिया डॉ. अमित आर. शर्मा, डॉ. दीपक बिस्वाल और डॉ. सत्यदेव शर्मा (यूरोलॉजी टीम), डॉ. विनय राठौर (नेफ्रोलॉजी टीम), और डॉ. सुब्रत सिंघा एवं डॉ. मयंक कुमार (एनेस्थीसिया टीम) द्वारा सफलतापूर्वक की गई। डॉ. विनय राठौर ने बताया कि यह एम्स रायपुर में छठा बहु-अंगदान (मल्टी-ऑर्गन डोनेशन) और 11वां मृतदाता किडनी प्रत्यारोपण था। अब तक एम्स रायपुर में कुल 45 किडनी ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं।

डॉ. अमित शर्मा ने बताया कि दूसरा किडनी प्रत्यारोपण पहली सर्जरी की तुलना में अधिक जटिल होता है, क्योंकि इसमें इम्यूनोलॉजिकल रिजेक्शन (अंग अस्वीकृति) का खतरा अधिक रहता है और सर्जरी की चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं। डोनर के कॉर्निया का प्रत्यारोपण बेमेतरा और अंबिकापुर के 18-18 वर्षीय दो पुरुष मरीजों में किया गया, जिससे उनकी दृष्टि लौट आई। यह जटिल सर्जरी नेत्र रोग विभाग की टीम द्वारा की गई, जिसका नेतृत्व डॉ. विजया साहू ने किया। एम्स रायपुर के कार्यकारी निदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (से.नि.), ने डोनर के परिवार के इस महान निर्णय की सराहना की और समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने एम्स रायपुर की अंग प्रत्यारोपण सेवाओं को और सशक्तबनाने की प्रतिबद्धता दोहराई और समाज से इस नेक कार्य में सक्रिय भागीदारी की अपील की। इस सफल प्रत्यारोपण के साथ, एम्स रायपुर अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान के रूप में उभर रहा है और जरूरतमंद मरीजों को जीवनदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। संस्थान इस जीवनदायी पहल को सफल बनाने में योगदान देने वाले डोनर के परिवार, SOTTO-छत्तीसगढ़ और सभी चिकित्सा दलों का हार्दिक आभार व्यक्त करता है

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