गरियाबंद (विश्व परिवार)। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी खत्म नहीं हुई। नगर पालिका चुनाव में भी यही हाल है। पार्टी के कई नेता बागी होकर मैदान में हैं। कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। संगठन पूरी तरह नदारद है। अध्यक्ष और 15 वार्डों के प्रत्याशी अकेले पड़ गए हैं। पूर्व विधायक अमितेश शुक्ला गरियाबंद का दौरा कर रहे हैं, लेकिन गुटबाजी पर चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने भी संगठन की तरह जिम्मेदारी से किनारा कर लिया है। भाजपा ने इसे कांग्रेस की स्वाभाविक हार बताया। निकाय प्रभारी किशोर महानंद ने कहा कि कांग्रेस की गुटबाजी से जनता पहले ही नाराज है। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो जाएगी।
भाजपा ने रूठों को मनाया, कांग्रेस नाकाम
टिकट वितरण के बाद भाजपा ने नाराज नेताओं को मना लिया। प्रशांत मानिकपुरी, गफ्फू मेमन, आसिफ मेमन और आशीष शर्मा को टिकट नहीं मिला, लेकिन वे अब पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में जुटे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस में स्थिति उलट है। टिकट नहीं मिलने से ऋतिक सिन्हा अपने वार्ड में सिमट गए और वार्ड 15 से (निर्दलीय) चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों को अपनी सीट बचाने की चुनौती है। कांग्रेस अध्यक्ष प्रत्याशी गैंदलाल सिन्हा को संगठन से कोई मदद नहीं मिल रही। कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशी भी उनके साथ एकजुट नहीं हैं। जनता के मन में सवाल उठ रहा है कि जो पार्टी अपना घर नहीं संभाल पा रही, वह नगर कैसे संवारेगी?
पार्षद प्रत्याशियों के लिए भी राह मुश्किल
कांग्रेस की गुटबाजी कई वार्डों में हार की वजह बन सकती है। पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों को भाजपा से ज्यादा अपने ही बागियों से चुनौती मिल रही है। वार्ड 1, 2, 4, 12, 13, 14 और 15 में कांग्रेस के 12 बागी मैदान में हैं। इनमें वार्ड 1 से विकास यादव, वार्ड 2 से निरंजन प्रधान और घनश्याम यादव, वार्ड 4 से ज्योति साहनी, गीता जगत और झरोखा सोरी, वार्ड 12 से पुरुषोत्तम यादव, वार्ड 13 से मुकेश भोई और जीवेश सिन्हा, वार्ड 14 से उर्वशी सोनी और योगिता सिन्हा, वार्ड 15 से ऋतिक सिन्हा शामिल हैं। इनमें ऋतिक सिन्हा और ज्योति साहनी पहले पार्षद रह चुके हैं। गीता जगत, घनश्याम यादव और पुरुषोत्तम यादव का नाम अंतिम समय में काट दिया गया। अब यही नेता कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। भाजपा को इसका सीधा फायदा मिल रहा है। बागी जीतने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन कांग्रेस के वोट काट रहे हैं। इससे कांग्रेस का पूरा समीकरण बिगड़ गया है। अगर यही स्थिति बनी रही तो इन वार्डों में कांग्रेस की जीत मुश्किल हो जाएगी।
चुनाव प्रचार में भी नहीं दिखे बड़े चेहरे
प्रचार प्रसार में भी कांग्रेस बीजेपी की तुलना में अब तक पीछे रही। कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने ना पार्टी संगठन सामने आया ओर ना पार्टी के कोई बड़े नेता कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार प्रसार करने गरियाबंद पहुंचे। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी से सांसद रूप कुमारी चौधरी और विधायक रोहित साहू लगातार प्रचार प्रसार में सक्रिय रहे। विधायक ने शहर के अलग-अलग कई वार्ड में घूम-घूम कर प्रचार प्रसार किया वहीं सांसद ने भी नगर के अलग-अलग वार्डों में सभाएं की। भाजपा का संगठन भी चुनाव में दमदारी से जुटा है। इसके उलट कांग्रेस में केवल अमितेश शुक्ल ही एक दो बार चुनाव प्रचार के लिए गरियाबंद पहुंचे। बीच में पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू के गरियाबंद आने की चर्चा हुई लेकिन वह भी नहीं आए। देखा जाए तो चुनाव प्रचार में भी कांग्रेस बीजेपी से पीछे रहें।