Home धर्म दीक्षा एक अन्तर्मुखी घटना है – निर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज

दीक्षा एक अन्तर्मुखी घटना है – निर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज

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डोंगरगढ़ (विश्व परिवार)। “दीक्षा एक अन्तर्मुखी घटना है जो जगत और जीवन के रहस्यों को समझने पर अपने अंतर्मन में घटित होती है। ” उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में प्रातःकालीन धर्म सभा में व्यक्त किये”। मुनि श्री ने कहा कि वैराग्य कभी भी किसी भी कारण अथवा निमित्त मिलने से आ सकता है। तीर्थंकरों को कभी प्रकृति के कारण तो कभी परिवार के कारण तो कभी पूर्व भव के जातिय स्मरण आदि का निमित्त मिलने से तीर्थंकर प्रभु के वैराग्य भाव बने है |मुनि श्री ने कहा कि कोई न कोई निमित्त कोई न कोई भाव कोई न कोई कारण अंतरंग में आते ही वैराग्य के भाव उत्पन्न हो जाते है। उन्होंने कहा कि “दीक्षा दिवस” को गुरु उपकार दिवस के रुप में मनाना चाहिये” आचार्य कुंद – कुंद देव ने मानव समाज को उपदेश देते हुये लिखा है कि यदि संसार के दुःख से छुटकारा पाना चाहते हो तो मुनि दीक्षा ग्रहण करो। उन्होंने कहा कि जिसको संसार के राग रंग तथा आरम्भ – परिग्रह में रुचि रहती है वह उसी में ही लगा रहता है | उसके भाव कभी दीक्षा लेने के होते ही नहीं है | मुनि श्री ने कहा दीक्षा प्रदाता गुरु तो सौभाग्यशाली है ही हम सब भी बहुत सौभाग्यशाली है जो कि इतना पुण्य लेकर आये कि रत्नात्रय को धारण करके साधना करने की अनुकूलता बनी। मुनि श्री ने कहा कि 1982 में जब आचार्य श्री के साथ सम्मेद शिखर जी की वंदना पूर्ण हूई तो जो आर्यिका संघ यहां मौजूद है उन बहनों की दीक्षा की तैयारी पूर्ण हो चुकी थी तथा पिच्छी कमंडल भी इसी निमित्त से आऐ थे और गुरुदेव का आशीर्वाद भी इन्ही लोगों को मिल रहा था| हम लोग तो पीछे बैठे खुश हो रहे थे कि चलो हम लोगों को आर्यिका दीक्षा देखने मिलेगी लेकिन पता नही कैसे गुरुवर के भावों में परिवर्तन आया जो पिच्छी कमंडल आए ब्रहम्चारी बहनों के लिये थे वह हम सभी सातों ब्रहम्चारिओ जिसमें मै स्वयं तथा मुनि श्री सुधासागर जी आदि सातों ब्रहम्चारिओं की सीधे ऐलक दीक्षा चंद्रप्रभु मंदिर के समक्ष संपन्न हो गई और वह पिच्छी कमंडल हम लोगों को प्रदान कर दिये गये। सभी बहनों की आठ नौ प्रतिमाएं तो हो ही चुकी थी | जब श्री सम्मेदशिखर जी से आगे बडे़ और आगे चातुर्मास नैनागिर में संपन्न हुआ तभी वहां पर आप सभी बहनों की प्रथम आर्यिका दीक्षा वरिष्ठ आर्यिका गुरुमति माताजी, आर्यिकारत्न दृणमति माताजी सहित 9 आर्यिका माताओं की दीक्षा संपन्न हुई थी। मुनि श्री का प्रवचन चल रहा था और आर्यिकारत्न गुरु मति माताजी के संस्मरण में समस्त दृश्य झलक रहे थे और उन दृश्यों की वह भी प्रकट कर रही थी इस अवसर पर आर्यिका संघ भी मुनि श्री एवं गुरूमति बड़ी माताजी की बातों को बड़े ही ध्यान से सुन रही थी एवं उन भावों की अनुमोदना कर रही थी। उपरोक्त जानकारी राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन एवं क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख निशांत जैन (निशु) ने बताया मुनिसंघ तथा आर्यिका संघ चंद्रगिरी तीर्थ पर विराजमान है, प्रातः प्रवचन 8:30 से चल रहे है। इस अवसर पर चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष किशोर जैन, महामंत्री निर्मल जैन, कोषाध्यक्ष श्री सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, अनिल जैन, सप्रेम जैन,निखिल जैन, नरेश जैन, सप्रेम जैन, अमित जैन, दीपेश जैन उपस्थित थे ।मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र से आये श्रद्धालुओं ने तथा राजनांदगांव,कवर्धा, दुर्ग,रायपुर,से बड़ी संख्या में पधारे श्रद्धालुओं ने मुनिसंघ तथा आर्यिकासंघ का आशीर्वाद प्राप्त किया।

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