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पढ़े-लिखे लोग ज्यादा कर रहे आत्महत्या : आचार्य प्रसन्न

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  • कर्नाटक से अहिंसा, संस्कार पदयात्रा लेकर कानपुर पहुंचे जैन समाज के आचार्य

कानपुर (विश्व परिवार)। आज भौतिकवाद में फंसे पढ़े-लिखे लोग ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं। पढ़े-लिखे लोग भी अवसाद में जाकर पागलपन का शिकार हो रहे हैं क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों को संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। यह बातें अहिंसा, संस्कार पद यात्रा के तहत कर्नाटक से कानपुर पधारे जैन मुनि आचार्य श्री 105 प्रसन्न सागर महाराज ने मंगलवार को रतनलाल नगर स्थित जैन मंदिर में कहीं।
आचार्य ने कहा कि आज के दौर में अधिकतर लोगों में झुंझलाहट, झुंझलाहट चिड़चिड़ापन, घुटन देखने को मिल रही है। बात-बात पर झुंझलाना और चिड़चिड़ाना हमारा स्वभाव बनता जा रहा है। अपनी उम्मीदों को दुनिया वालों से कम से कम रखें और सुखी रहे। सफलता खुशी की चाबी नहीं है, बल्कि खुशी सफलताओं की चाबी है। धन के साथ धर्म का होना भी जरूरी : उन्होंने कहा कि धन के साथ धर्म का सामंजस्य होना चाहिए। सामंजस्य बनाकर जीने वालों की नैया कभी नहीं डूबती है। धर्म औषधि है और धन मलहम है लेकिन आज के दौर में इसका उलटा हो रहा है। धन को औषधि की तरह गटका जा रहा है और धर्म की ऊपर से लगाया जा रहा हैको मलहम की इंसान के अंदर नैतिकता खत्म होती जा रही है। उदाहरण देते हुए बताया कि इंसान धर्म को पूजने के लिए मंदिर तो जाता है लेकिन मंदिर जाने के दौरान रास्ते में सड़क दुर्घटना में घायल की मदद करने में संकोच करता है। नैतिकता के बिना धर्म के मार्ग पर नहीं चल सकते।
प्रवचन कहते श्री प्रसन्न सागर जी महाराज व पीयूष सागार जी महाराज। संवाद
रतनलाल नगर स्थित जैन मंदिर में प्रवचन सुनते लोग। संवाद
हौसला बुलंद हो तो हल्ला मत करो, साबित करो
जैन मुनि ने कहा कि अगर शुभ कार्य करना है तो ज्यादा मत सोचो, शुरू कर दो, अगर श्रेष्ठ हैं तो वादा मत करो, करके दिखाओ। हौसला बुलंद हो तो हल्ला मत करो, साबित करके दिखाओ। आज की जिंदगी में कहने का नहीं, करके दिखाने का वक्त है। इस दौरान भजनों की धुन पर श्रद्धालु जमकर थिरके। बता दें कि, जैन मुनि आचार्य श्री 105 प्रसन्न सागर महाराज अब तक देश के 30 प्रांतों में 1.25 लाख किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं। इस अवसर पर नीलू व संजीव जैन ने मंदिर के हॉल की फॉल सीलिंग का कार्य कराने की घोषणा की।

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