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“समय का काल चक्र है,कब किसके साथ कैसा घूम जाऐ कहा नहीं जा सकता”

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डोंगरगढ़ (विश्व परिवार)। “पूजा” पूज्यकी की जाती है,और पूज्यता उनके गुणों के कारण आती है, एक भक्त भगवान की पूजा इसलिये करता है कि वह भी एक दिन उनके समान भगवान बन सके” उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के समाधि स्थल पर आयोजित प्रातःकालीन धर्म सभा को सम्वोधित करते हुये व्यक्त किये।
मुनि श्री ने कहा “संसारी भव्यआत्माओं में जब रत्नात्रय के गुणों का प्रकटीकरण होता है,तथा वह परम बंदनीय निर्ग्रन्थ मुद्रा की अबस्था में आते है तो ऐसे पांचों परमेष्टी के स्वरुप में वर्तमान आचार्य उपाध्याय तथा साधू परमेष्टी की पूजा की जाती है,आप सभी लोग प्रतिदिन “देव शास्त्र गुरु” की पूजा में अरिहंत सिद्ध परमात्मा को देव का स्वरूप मानकर के उनके गुणों की पूजा करते है, तथा अरिहंत भगवंतों की एवं तीर्थंकर केवलिओं की बाणी को आगम शास्त्र मानकर उनकी पूजा करते है, आचार्य उपाध्याय और साधू तीनों गुरु की श्रैणी में आते है इसलिये इन सभी की पूजा की जाती है।उन्होंने कहा भक्त भगवान की पूजा उनके अंदर के गुणों को पाने के लिये करता है।एक बार आचार्य गुरुदेव ने भक्त और भिखारी में अंतर बताते हुये कहा था कि एक भिखारी भगवान के द्वार पर जाकर भगवान के सामने वह सब कुछ मांगता है जो भगवान ने छोड़ दिया है,वंही एक भक्त भी भगवान के द्वार पर जाकर मांगता है और वह कहता हे कि हे भगवन् आपने जो प्राप्त किया है वह मुझे भी प्राप्त हो अर्थात एक भक्त उनसे उनके गुणों को मांगता है इसलिये जैन परंपरा में भक्त को भक्त कहा जाता है भिखारी नहीं,लेकिन उस भक्त को यह भी विश्वास है कि में भगवान से उनके गुणों को मांग तो रहा हूं और यदि वह गुण न भी मिल पाऐं तो पुण्य के योग से मुझे वह सब तो मिल ही जाऐगा जो भगवान ने छोड़ा है, जैसे वृक्ष के नीचे जाकर छाया मांगने की जरूरत नहीं पड़ती वह तो विन मांगे ही मिल जाती है उसी प्रकार सांसारिक सुखों को मांगना नहीं पड़ता वह तो आपको पुण्य के योग से अपने आप मिल जाया करते है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख निशांत जैन निशु ने बताया प्रातःकाल भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा के उपरांत संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महामुनिराज की संगीतमय पूजन संपन्न हुई इस अवसर पर मुम्बई से महिला महासमिति ऊर्जा संभाग की महिलाओं ने गुरुपूजन में अनन्य भक्ती का अनुराग प्रस्तुत किया इस अवसर पर गोटेगांव तथा बुढार तथा राजनांदगांव एवं छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों से आये भक्त जन उपस्थित थे।
अंत में मुनिसंघ के साथ विहार करा रहे बेगमगंज के संदीप जैन तथा नागपुर परवार पुरा के शीतल जैन की अचानक हुई देह के परिणमन पर चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र कमेटी एवं उपस्थित जन समुदाय द्वारा श्रदांजलि सभा आयोजित की गई इस अवसर पर मुनि श्री ने कहा जैसा कि मुझे जानकारी मिली शीतल जैन एक धर्म निष्ट कार्यकर्ता थे परवार पुरा नागपुर के रहने बाले एवं नागपुर से मुनिसंघ का विहार करा रहे थे वह पूरी तरह सावधान थे लेकिन समय का काल चक्र है कब किसके साथ कैसा घूम जाऐ कहा नहीं जा सकता उनकी टृक से तो टक्कर नहीं हुई लेकिन वह रोड़ क्रास करते समय अचानक घबरागये और आगे से पीछे हुये इस हड़बड़ाहट में पीछे गिरपड़े मर्मान्तक चोट आई और प्राणांत हो गया।मुनि श्री ने कहा कि यह कर्मो की विचित्रता ही है उन्होंने समस्त परिजनों को आशीर्वाद देते हुये सभी के स्वास्थ लाभ की मनो कामना की।इस अवसर पर चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष किशोर जैन,सप्रेम जैन, महामंत्री निर्मल जैन चंद्रकांत जैन, अनिल जैन,आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।

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