डोंगरगढ़ (विश्व परिवार)। “विरह रो रही है, मिलन गा रहा है,आवागमन का क्रम बतला रहा है ऐ मानव तू कंहा जा रहा है” एक पवित्र भाव को लेकर के इस पवित्र स्थली पर हम और आप सभी उपस्थित हुये है,अंतिम समय गुरुवर की कठोर साधना का यंही पर बीतने के कारण यह क्षेत्र सुमेरु पर्वत के समान शोभायमान हो रहा है” उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण समतासागर महाराज ने चंद्रगिरी पर्वत पर प्रातःकालीन धर्म सभा में व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से गुरुदेव का इतिहास जुड़ा हुआ है उन क्षणों को आपने भी महसूस किया है,और हम सभी ने भी महसूस किया है। मुनि श्री ने कक्षा 10 बोर्ड एग्जाम की सभी छात्राओं को आशीर्वाद देते हुये कहा कि आप सभी सफल हों और आगे बड़े तथा क्षेत्र पधारे सभी अभिभावकों तथा श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुये कहा कि आप लोग श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का मंडल यंहा से लेकर जाऐं तथा जो भी श्रद्धालु इसे लेकर जा रहे है वह अपने क्षेत्र के मंदिरों में भी ले जाकर रख सकते है, तथा अपने घरों पर भी रख सकते है जिससे समय समय पर पूजा पाठ विधान कर स्मृति को ताजा रख सकें। मुनि श्री एवं आर्यिकासंघ ने चंद्रगिरी प्रतिभास्थली और आचार्य श्री के आशीर्वाद से चल रहे सभी कल्पवृक्षों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर प्रातःकालीन बेला में आये निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीरसागर महाराज वहूत ही भाव विहल थे उन्होंने आचार्य गुरूदेव को स्मरण करते हुये कहा कि 2011 एवं2012 के वह क्षण पल पल याद आ रहे है,जब पूज्य गुरूदेव के साथ यंहा पर मेंने दो चातुर्मास किये थे उन्होंने कहा कि 12 वर्ष का वह काल बीत गया अब तो यंहां पर गुरुदेव की मात्र स्मृति शेष है मुनि श्री ने इस क्षेत्र की वर्गणाओं की चर्चा करते हुये कहा कि हमने साक्षात तीर्थंकर भगवान को तो नहीं देखा लेकिन उनकी निसिद्धिका क्षेत्र श्री सम्मेद शिखर जी को देखा है जंहा से उनकी निर्वाण की प्राप्ती हुई थी जैसे उस माटी को छूने का भाव हम सभी को होता है उसी प्रकार चंद्रगिरी की यह माटी जंहा पर आचार्य भगवन ने अपना अंतिम समय बिताया उनके एक एक कदम जंहा जंहा भी पड़े वह माटी धन्य हो गई। मुनि श्री ने स्मरण करते हुये कहा कि आचार्य गुरुदेव ने सिरपुर महाराष्ट्र में 25 दिसंवर 2022 को मुनि श्री उत्कृष्टसागर महाराज को मुनि दीक्षा प्रदान कर वंहा से विहार किया था तथा 30 जनवरी 2023 को विना कंही रुके इस क्षेत्र पर सीधे पधारे थे और 17 फरबरी 2024 तक तक इस माटी के कण कण को पवित्र करते रहे, उन्होंने कहा कि यंहा के कण कण में गुरुदेव के पावन चरण रज की धुली विद्यमान है, उन्होंने 2011-12 की उन स्मृतियों को याद करते हुये कहा कि घंटों खड़े रहकर चंद्रप्रभु भगवान की मूर्ति का निर्माण कराया तथा चेतन कृति का भी उन्होंने ही निर्माण किया उन्होंने कहा कि जैसे श्री सम्मेद शिखर सभी जैनिओं के लिये पावन तीर्थ क्षेत्र है बैसे ही चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र का कण कण पवित्र है,यंहा कि वहने बाली हवा भी औषधि का ही काम करती है,उन्होंने कहा कि श्रीसम्मेद शिखर में जैसे लाखों करोड़ों वर्ष बीत गये है लेकिन बंहा की वर्गणायें आज भी जीवंत है,ऐसे ही यह क्षेत्र भी गुरदेव की प्रेरणा से ओतप्रोत है जैसे कर्नाटक में आचार्य कुंद कुंद की समाधि स्थल सिमोगा क्षेत्र है,उसी प्रकार चंद्रगिरी भी किसी सिद्धक्षेत्र से कम नही है,यंहा पर आकर मन में शांति मिली है। राष्ट्रीय प्रवक्ता आविनाश जैन विद्यावाणी तथा प्रचार प्रसार प्रमुख निशांत जैन निशु ने बताया प्रातःकालीन बेला में निर्यापक श्रमण वीरसागर महाराज स संघ की मंगल अगवानी क्षेत्र पर विराजमान निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज,मुनि श्री पवित्रसागर महाराज, मुनि श्रीआगमसागर महाराज, मुनि पुनीतसागर महाराज, वरिष्ठ आर्यिका गुरुमति माताजी,आर्यिकारत्न दृणमति माताजी, आर्यिकारत्न आदर्श मति माताजी, सहित संपूर्ण आर्यिका संघ ने तथा ऐलक श्री निश्चयसागर, ऐलक श्री धैर्यसागर ,ऐलक श्री निजानंद सागर,ऐलक श्री स्वागत सागर क्षु.संयम सागर ने की इस अवसर पर त्रय मुनिराजों की बंदना की तथा समस्त संघस्थ क्षु. श्री मनन सागर,क्षु. श्री विचार सागर,क्षु.श्री विचार सागर,क्षु.श्रीमगनसागर,क्षु.श्री विरलसागर सहित समस्त आर्यिका संघ ने सभी मुनिराजों की त्रय बार बंदना की इस अवसर पर प्रतिभास्थली की समस्त शिक्षिकाओं एवं समस्त छात्राओं ने आचार्य गुरुदेव विद्यासागर महाराज की जयजयकार से आकाश गुंजायमान कर दिया। इस अवसर पर चंद्रगिरी समाधि स्थल विद्यायतन के परिसर में आयोजित धर्म सभा का संचालन चंद्रकांत जैन ने किया आचार्य श्री के चरण चिंह का पाद प्रछालन किया गया तथा नागपुर से आऐ श्रैष्ठिओं का सम्मान अध्यक्ष किशोर जैन, महामंत्री निर्मलजैन, सप्रेम जैन, अनिल जैन,निखिल जैन, सहित समस्त पदाधिकारियों एवं संघस्थ बाल ब्र.अनूप भैया,रिंकू भैया मुनि भक्त,सुवोध जैन भुसावल,शेलेष जैन दमोह सचिन जैन (सप्पी) जे. सी नगर आदि उपस्थित थे।