सागर (विश्व परिवार)। तुम छोटे हो हम बड़े है यह अहंकार के मोह की परिणिति है।लघुता से ही प्रभुता को पा सकते है। अपनी लघुता को हमे अपनाना होगा। अहंकार को छोड़ें तो ही आनंद संभव है नहीं तो आनंद नहीं मिल सकता है। यह बात निर्यापक मुनिश्री योगसागर महाराज ने उदासीन आश्रम में धर्मसभा में कही।
उन्होंने कहा कि मानव जीवन कल्याण करने के लिए है किसी अन्य कार्य के लिए नहीं। दुख से दूर होना चाहते हो तो आपको हमेशा अच्छे और कल्याणकारी कार्य ही करना होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक आत्मा में वह शक्ति है वह भगवान बन सकता है। और एक बार भगवान बनने के बाद वापस वह संसार में नहीं आ सकता है। गुरुओं के चरणों में जाकर के हम अपने को धन्य कर सकते हैं। आप भी आराध्य बन सकते हैं जैसे गुरु आराध्य बन गए भक्त ही तो भगवान बनते हैं। इसके लिए अच्छे भक्त बनना होगा। बिना धर्म की शरण मिले आप महान नहीं बन सकते हैं।