- आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि स्थल “चंद्रगिरी” से निर्यापक श्रमण मुनिश्री समतासागर, मुनि श्री पवित्रसागर, मुनि श्री वीरसागर महाराज ससंघ का मंगल विहार डोंगरगांव की ओर हुआ
डोंगरगांव (विश्व परिवार)। विगत एक माह से चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि स्थल पर समाधि के एक वर्ष पूर्ण हो जाने पर दिनांक 1 फरवरी से 18 फरवरी तक लगातार कार्यक्रम चलते रहे इस बीच 6 फरवरी को भारत के गृहमंत्री श्री अमित शाह एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित उनके मंत्रीमंडल के सदस्यों का भी आना हुआ एवं राष्ट्रीय स्मारक बनाये जाने का सिलान्यास कार्यक्रम गुरूदेव की स्मृति में भारत सरकार द्वारा 100 रूपये का सिक्का जारी किया जाना आदि विशेष कार्यक्रम के साथ संतों का आवागमन लगा रहा।एक माह बीत जाने के उपरांत आज से चंद्रगिरी से संतों का विहार शुरु हो गया है।राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं प्रचार प्रमुख निशांत जैन ने बताया निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने संघ सहित 26 जनवरी को चंद्रगिरी में मंगल प्रवेश किया था एक माह प्रवास के उपरांत मुनि श्री आगमसागर जी एवं मुनि श्री पुनीतसागर महाराज एवं वरिष्ठ आर्यिका गुरमति माताजी संघ सहित तथा आर्यिका दृणमति माताजी, आर्यिका आदर्शमति माताजी एवं ऐलक श्री धैर्यसागर महाराज ने उनकी भावभीनी विदाई दी निर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज ने कहा कि आचार्य श्री के समाधि स्थल पर आकर उनको बहुत अच्छा लगा सभी महाराज एवं आर्यिका संघों के साथ प्रातः एवं मध्याहन का स्वाध्याय तथा आचार्य भक्ती में सभी उपस्थित श्रावकों ने भी लाभ उठाया तथा सभी ब्रहम्चारिओं तथा तीर्थक्षेत्र कमेटी के सभी कार्यकर्ताओं का पूर्ण समर्पण एवं सहयोग रहा| सभी के लिये आशीर्वाद देते हुये उन्होंने कहा कि हमारे गुरुदेव ने हमें एक ही शिक्षा दी है कि विनय बहुत महान गुण है| यदि आप सामने वाले की विनय करोगे तो वह भी आपकी विनय अवश्य करेगा|
आप लोग भी इस बात का अवश्य ध्यान रखेंगे तो कभी भी आपके परिणाम आकुल व्याकुल नहीं होंगे उन्होंने कहा कि “भावनाओं से ही उच्च गोत्र की प्राप्ती होती है और ऐसा पुण्य का बंध होता है कि जो आप चाहते है वह आपको मिल जाता है। आचार्य श्री ने हमेशा स्वावलंबी बनने का ही आशीर्वाद दिया है वह हमेशा कहा करते थे कि किसी के पीछे मत लगो किसी की जरुरत नहीं, अपने ध्येय का ध्यान रखो तब हम लोग पीछे से कह दिया करते थे कि आचार्य श्री आपको हम सभी की जरूरत नहीं लेकिन हमें आपकी जरुरत है। मुनि श्री ने कहा सूरज के लिये अनेक कमल हो सकते है लेकिन कमलों के लिये तो एक अकेला सूरज ही होता है| हमारे गुरुदेव हम सभी के लिये सूरज के समान थे जिनके प्रकाश में हम सभी आगे बड़ रहे है उन्होंने कहा कि गुरूदेव के साथ ब्रहम्चारी अवस्था में श्री सम्मेद शिखर की वंदना हुई थी अब उन्ही के आशीर्वाद से तथा आचार्य महाराज की अनुमोदना से हम लोगों के भाव उसी ओर पुनः वंदना के हुये है एवं अनुकुलता के साथ आगे बड़ना है |
आप सभी भी यह भावना भायें कि शास्वत सिद्धक्षेत्र श्री सम्मेदशिखर जी की वंदना हम सभी की अच्छे से हो उन्होंने कहा कि आचार्य श्री अपनी चर्या के प्रति बहुत कठोर एवं अनुशासन प्रिय थे लेकिन सामान्य जन के प्रति बहुत नरम थे यदि कोई दीन, दुखी, विकलांग, वृद्ध व्यक्ती आ जाऐ और उनकी नजर पड़ जाऐ तो ठीक – ठाक लोगों को भले ही छोड़ दें लेकिन उनकी करूणा उन असहाय और विकलांग व्यक्तिओं पर अवश्य बरसती थी| गुरुदेव के विचार और व्यवहार हमेशा मार्दव धर्म को लेकर होते थे उन्होंने कभी भी किसी से भी अपशब्दों का प्रयोग नहीं किया | साधारण से साधारण इंसान को भी वह हमेशा जी लगाकर संबोधन देते थे| गुरु ने किसी को बांधा नहीं है हम सभी उनसे बंधे हुये थे | कभी किसी को बुलाकर व्रत आदि नहीं दिये फिर भी उनके पास व्रत ग्रहण करने की होड़ लगी रहती थी| वह कभी आदेशात्मक शव्दों का उपयोग नहीं करते थे, कभी कोई ब्रहम्चारी आये और उन्होंने कुछ पूंछा तो उनका एक ही जवाब होता था आप देख लो… आज रात्रि विश्राम प्राथमिक शाला टप्पा पर होगी तथा 26 फरवरी 2025 को प्रातः मंगल प्रवेश डोंगरगांव में होगा तथा आहारचर्याभी वहीँ संपन्न होगी।