चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ (विश्व परिवार)- भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व की जैन समाज के लिए आज का दिन घोर अंधकार लेकर आया जबकि क्षेत्र पर विराजमान दिगंबर आचार्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपनी प्रशस्त संलेखना पूर्वक प्रशस्त समाधि के साथ स्वर्ग आरोहण किया।
माघ शुक्ल नवमीं दिन शनिवार रात्रि 2:35 बजे अमृत सिद्धीयोग में दो दिन के निर्जल उपवास के बाद आचार्य श्री ने समाधिपूर्वक मरण किया। आचार्य भगवान विद्यासागर जी महराज विश्व के श्रेष्ठ संतों में से थे जिन्होंने जीवन भर लोगों को आत्म कल्याण के साथ-साथ जीवन जीने की सही पद्धति ज्ञान दर्शन और चरित्र की उपयोगिता को सिखाया।
आचार्य भगवान लगभग दो माह पूर्व डोंगरगढ़ क्षेत्र पहुंचे थे और अपनी अपने आत्म कल्याण हेतु संलेखना में संलग्न रह रहे थे।
आज मुनिश्री योग सागर जी, मुनि श्री समता सागर जी, मुनि श्री प्रसाद सागर जी मुनि संभव सागर मुनि श्री अभय सागर मुनि श्री चंद्रप्रभ सागर जी मुनि श्री निरामय सागर जी मुनि श्री महासागर मुनि श्री पूज्य सागर मुनि श्री निस्सीम सागर मुनि श्री निष्कंप सागर मुनिश्री निरीह सागर के साथ ऐलक जी छुल्कक जी सहित ब्रह्मचारी भाईया भैया बहिनों की उपस्थिति में महामंत्र णमोकार के जाप अनुष्ठान के मध्य आचार्य श्री का मृत्यु महोत्सव संपन्न हुआ।
उल्लेखनीय है कि विगत लगभग एक माह से अपने आहार की मात्रा को निरंतर कम करते चले गए एवं अंतिम देश में उन्होंने दो दिन तक आहार भी ग्रहण नहीं किया और अपने अंतर आत्मा में रह करके परम ब्रह्म में ली हो गए।
आचार्य श्री की समाधि का समाचार रात्रि 3:00 बजे के लगभग सभी जगह पहुंचा जो पूरे देश ही नहीं दुनिया में फैल गया और पूरे समाज जैन समाज में घनघोर अंधकार ऐसा वातावरण बना। सभी के मन शोकमग्न हो गए। लोगों के आंखों से अश्रु धारा बहती रही।
डोंगरगढ़ क्षेत्र में आज दोपहर 1:00 बजे आचार्य श्री का अंतिम संस्कार हेतु डोला निकला गया जिसमें देश भर से लगभग 40 हजार श्रद्धालुओं ने अपने अपनी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। लोग आचार्य श्री के जयकारों के नारे लगा रहे थे। उनका अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ी और नारियल भेला, कपूर, शुद्ध घी आदि से किया गया।
उल्लेखनीय है कि अभी दिगंबर जैन समाज के पर्यूषण पर्व चल रहे हैं और आज उत्तम सत्य धर्म का दिन था आचार्य भगवान दुनिया को सत्य धर्म का महत्व दर्शाते हुए जीवन की सच्चाई से परिचित कराते हुए संलेखना पूर्वक गमन कर गए।
आचार्य विद्यासागर जी महाराज जिन्हें राष्ट्र संत के रूप में जाना जाता था उन्होंने अपने विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से समाज सेवा, धर्म सेवा एवं आत्म कल्याण के मार्ग को प्रशस्त किया। उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में, हथकरघा के क्षेत्र में, गौशाला के क्षेत्र में, प्रतिभास्थली के माध्यम से बालिकाओं की शिक्षा आदि के क्षेत्रों में आशीर्वाद प्रदान कर प्रकल्पों हेतु मार्गदर्शन दिया, जो अपने आप में एक मिसाल हैं।
आचार्य श्री की आचार्य श्री की अंतिम समाधि संस्कार का संचालन ब्रह्मचारी विनय भैया बंडा सम्राट मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। इस अवसर पर देश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री अशोक पाटनी आरके मार्बल किशनगढ़ प्रभात जी मुंबई राजा भैया सूरत अतुल शराफ पुणे श्री विनोद बडजात्या रायपुर श्री प्रमोद कोयला दिल्ली पंकज जी पारस चैनल दिलीप घेवाड़े थाने किरीट भाई दोषी मुंबई तीर्थ के अध्यक्ष किशोर जैन महासचिव चंद्रकांत जैन श्री सुधीर जैन छई खदान सप्रेम जैन श्री नरेंद्र जैन गुरु कृपा श्री रितेश जैन डब्बू श्री राजकुमार जैन आदि ने समाधि महोत्सव की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संपन्न कराया।
आचार्य आचार्य श्री की श्रद्धांजलि का समाचार जैसे ही प्राप्त हुआ वैसे ही पारस चैनल के माध्यम से रात्रि के 3:30 बजे से ही लाइव प्रसारण प्रारंभ कर दिया गया था जिसे श्रद्धालु जनों ने घर में बैठकर आचार्य श्री के दर्शन का लाभ लिया। चैनल के निदेशक श्री प्रकाश मोदी एवं उनकी टीम ने इस आयोजन के प्रसारण को पूरी लगन से देश दुनिया में प्रस्तुत किया।
दैनिक ‘विश्व परिवारÓ परिवार आचार्य भगवंत के महाप्रयाण के शोक मय अवसर पर उनके श्री चरणों में अपनी विनयांजलि अर्पित करता है।
– प्रियेश जैन