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कलिंगा विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम, 2013 पर “प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण प्रमाणन पाठ्यक्रम” सफलतापूर्वक संपन्न हुआ

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रायपुर (विश्व परिवार)। कलिंगा विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा भारतीय राष्ट्रीय बार एसोसिएशन (आईएनबीए), नई दिल्ली के सहयोग से “यौन उत्पीड़न रोकथाम (POSH) अधिनियम, 2013 पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण प्रमाणन पाठ्यक्रम”, सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। यह एक व्यापक और विशिष्ट ऑनलाइन प्रमाणन कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के कानूनी और व्यावहारिक पहलुओं के बारे में प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करना था। प्रत्येक शनिवार और रविवार को एक महीने तक चलने वाला यह कार्यक्रम जनवरी 2025 में शुरू हुआ और फरवरी 2025 में संपन्न हुआ यह कार्यक्रम Microsoft Teams प्लेटफॉर्म के माध्यम से आयोजित किया गया और इसमें उद्योग पेशेवरों, मानव संसाधन विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और कॉर्पोरेट प्रतिनिधियों सहित भारत भर के विभिन्न क्षेत्रों के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस बड़े और विविधतापूर्ण समूह ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के विरुद्ध लड़ने/रोकथाम करने/समाधान करने के लिए व्यापक रुचि और प्रतिबद्धता को दर्शाया।
इस कोर्स का प्रमुख उद्देश्य प्रतिभागियों को POSH एक्ट, 2013 के तहत कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करना था तथा प्रतिभागियों को कानून के प्रमुख पहलुओं से अवगत कराना था। जिनमें नियोक्ता की जिम्मेदारी, आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की स्थापना और कार्य, और उत्पीड़न को रोकने के लिए संवाद रणनीतियों का कार्यान्वयन शामिल था।
इस कोर्स में विभिन्न विशेषज्ञों ने कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की रोकथाम (POSH) पर विस्तृत जानकारी दी। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता श्रीमती विनाक्षी कादन सिंह ने POSH अधिनियम के तहत कानूनी अधिकारों और जिम्मेदारियों पर चर्चा की और कार्यस्थल पर समानता को बढ़ावा देने पर जोर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट की अधिवक्ता नीतिका बजाज ने यौन उत्पीड़न के विभिन्न रूपों, जैसे शारीरिक, मौखिक और अप्रत्यक्ष व्यवहारों, पर ध्यान केंद्रित किया और अपराधियों के लिए कानूनी परिणामों पर चर्चा की। भारत पेट्रोलियम के डॉ. बद्रीनाथ श्रीनिवासन ने आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की भूमिका और POSH के कानूनी ढांचे, नियोक्ता की जिम्मेदारी और अपीलों के प्रबंधन पर चर्चा किया। जीडी गोयनका विश्वविद्यालय की श्रीमती हीना परवीन ने संवेदनशील चर्चाओं के लिए संवाद कौशल और प्रभावी POSH कार्यक्रम तैयार करने पर प्रकाश डाला। डॉ. डक्षिता सांगवान ने POSH पहल और नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करने पर व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया।
इस कोर्स का कुशल संचालन डॉ. सव्यसांची पांडे, सहायक प्रोफेसर, विधि संकाय, और रंजन कुमार रे, सहायक प्रोफेसर, विधि संकाय द्वारा किया गया। उनके लगातार प्रयासों और समर्पण के कारण यह कोर्स सफलतापूर्वक आयोजित किया गया और प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव सुनिश्चित किया।
यह प्रोग्राम प्रतिभागियों को POSH पर प्रभावी ट्रेनर बनने के लिए सशक्त करने में सफल रहा। इसने उन्हें यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए नीतियां और रणनीतियाँ डिज़ाइन करने, कार्यान्वित करने और मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक उपकरण और ज्ञान प्रदान किया। कोर्स ने व्यावहारिक कौशल, कानूनी ज्ञान और संवाद तकनीकों पर जोर दिया, ताकि प्रतिभागी एक सकारात्मक, सुरक्षित और समावेशी कार्यस्थल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए तैयार हों।
पाठ्यक्रम की सफलता कलिंगा विश्वविद्यालय के प्रबंधन के निरंतर समर्थन और नेतृत्व से संभव हो सकी। शिक्षा और कानूनी साक्षरता के माध्यम से सशक्तिकरण का उनका दृष्टिकोण ऐसी प्रभावशाली पहलों को प्रेरित करता रहता है।
यह ट्रेनर्स ट्रेनिंग सर्टिफिकेशन कोर्स POSH एक्ट की गहरी समझ और सभी के लिए सुरक्षित और समावेशी कार्यस्थल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसने पेशेवरों का एक विविध समूह एकत्र किया, जो अब अपनी-अपनी संगठनों में बदलाव लाने के लिए तैयार हैं। कलिंगा विश्वविद्यालय इस तरह के कार्यक्रमों को पेश करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो सभी व्यक्तियों के लिए सुरक्षित और उत्पीड़न-मुक्त कार्यस्थल के निर्माण में योगदान करते हैं।

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