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आचार्यश्री विद्यासागर जी केवल जैनों के नही बल्कि जन जन के मसीहा थे

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(विश्व परिवार)- श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ संरक्षिणी सभा छत्तीसगढ़ प्रांत के प्रांतीय महामंत्री , श्री नागपुर प्रांतीय दिगम्बर जैन खंडेलवाल सभा के रायपुर के संयोजक , छत्तीसगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ के प्रदेश के पूर्व कोषाध्यक्ष अरविंद जैन ने बताया संत शिरोमणि आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज तो देह से विदेह की ओर प्रस्थान कर सिद्धत्व के मुख्य मार्ग पर अपने कदम बढ़ा दिए , उन्होंने तो दीक्षा ही इसी लिए लिए थे कि समता पूर्वक संलेखना लेकर ये भव मे तो अपना कल्याण करें ही और भावी उच्च भव को सुनिश्चित कर मोक्ष की प्राप्ति कर सकूं।
उन्होंने तो अपनी मृत्यु को महोत्सव बना दिया, हम सभी उनके मुनि काल में जन्म लेने वाले भी निश्चित रूप से पुण्यशाली ही है जो उनके जैसे चतुर्थ काल के मुनि की चर्याओं को साक्षात देखा और एक श्रावकों के नवधा भक्ति की क्रियाओं द्वारा पुण्यार्जन भी किया, आचार्यश्री केवल जैनियों के ही संत नही थे बल्कि यूं कहें कि वे भगवान के प्रतिनिधि थे और उनके मानस पटल पर जात- पात, अमीरी- गरीबी, ऊंच-नीच, मनुष्य , पशु किसी मे भेदभाव नही था उनको सबकी चिंता थी सबके कल्याण के भाव थे,तभी तो उन्होंने चिकित्सा, शिक्षा, रोजगार, संस्कृति व मूक पशुओं एवं प्राणिमात्र के उद्धार के क्षेत्र में अनेकों योजनाओं को सफलता पूर्वक संचालन करवाने कार्य किया, निश्चित ही आचार्यश्री प्रत्यक्ष रूप में हमारे बीच में नही है किंतु उनके उपदेश , उनकी सोच , उनका बताया मार्ग हमारा पथ प्रदर्शन करेगा और उनका आशीर्वाद सदा हमारे ऊपर रहेगा , हम श्री भारत वर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षणि सभा , श्री नागपुर प्रांतीय दिगम्बर जैन खंडेलवाल सभा की ओर से अपनी ओर से अपने परिवार की ओर से उनके चरणों मे नमन नमोस्तु करते हुए अपनी हार्दिक विनयांजलि अर्पित करते है , साथ ही हमारे नए आचार्य 108 श्री समय सागर जी महामुनिराज को नमन नमोस्तु करते हुए उनमें संत शिरोमणि आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी की ही छवि देखते हुए उनके विचारों और भावनाओं , सिद्धान्तों।को जन जन तक पंहुचाने तथा प्राणिमात्र की सेवा में अपने जीवन का लक्ष्य रखेंगे ।

 

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