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आचार्य धर्मसागर जी का 57वा आचार्य पद एवं आचार्य श्री वर्धमान सागर जी का 57 संयम वर्षवर्धन वर्ष भक्ति भावपूर्वक मनाया गया सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारंभ

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धरियाबाद (विश्व परिवार)। फागुन माह की अष्टाहिंका पर्व के पूर्व माध् माह ओर चैत्र माह में दश लक्षण पर्व आते है यह पर्व वर्ष में 3 बार आते है । सिद्ध भगवान अशरीरी हैं उनके पूजन के साथ भक्ति से हम शरीरी मानव की पूजा की । यह पूजन नंदीश्वर दीप में स्थापित अकृतिम चेत्यालय की पूजन चार निकाय के देवता करते हैं 8 दिन की पूजन के बाद इतना अभिषेक होता हैं जिसमें देवता तैरते हैं यह मंगल देशना आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने सिद्ध चक्र मंडल के प्रथम दिन प्रगट की।फागुन शुक्ल अष्टमी 7 मार्च अनेक शुभ संकेत लेकर आया जब धरियाबाद में आचार्य श्री धर्म सागर जी का 57 वा आचार्य पद ,आचार्य श्री वर्धमान सागर जी का 57 वा दीक्षा वर्ष के साथ सिद्ध चक्र महामंडल विधान का शुभारंभ,हुमड 27 समाज की कुल देवी स्थापना का संकल्प सहित मंदसौर बही पार्श्वनाथ में 16 से 20 अप्रैल तक आचार्य संघ सानिध्य में होने वाले पंच कल्याणक की पत्रिका के विमोचन सहित अनेक मांगलिककार्यक्रमों के साथ प्रारंभ हुआ।प्रातःकाल आचार्य श्री की चरण वंदना समस्त 51 साधुओं ने की बाद में श्री जी का अभिषेक पूजन पश्चात सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा आयोजित मंडल विधान का शुभारंभ शताधिक महिलाओं द्वारा घट यात्रा ,ध्वजारोहण ,आचार्य श्री की पूजन, आचार्य श्री को विनयांजलि ,धर्म उपदेश इंद्रो का सकलीकरण, मंडल विधान की पूजन, शाम को श्री जी आचार्य श्री की आरती शास्त्र प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए । आज शिष्या आर्यिका श्री पूर्णिमामति,श्री दिव्यांशुमति,श्री महायश मति,आर्यिका श्री प्रणत मति के केशलोचन भी हुए।
फागुन शुक्ल अष्टमी वर्ष 1969 शुभ दिवस है जिस दिन प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की अक्षुण्ण मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परंपरा के तृतीय पट्टाधीश आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज पदारूढ़ हुए उसी दिन उन्होंने 11 भव्य प्राणियों को मुनि आर्यिका क्षुल्लक दीक्षाएं प्रदान की। इसी दिन आचार्य श्री से सनावद के 19 वर्षीय युवा यशवंत ने आचार्य श्री से दीक्षा
प्राप्त कर मुनि श्री वर्धमान सागर की बने । संयोगवश धरियावद को ही नही वरन 51 साधुओं को महान आचार्यों का गुणानुवाद करने का अवसर मिला। सिद्ध चक्र मंडल विधान का ध्वजारोहण संजय, मानमल, छगन लाल गांधी ने किया। पंडित विशाल राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री शांति सागर जी एवं पूर्वाचार्यों के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रवज्जलन संघ के भैया दीदी 18000 दशा हूमड समाज अध्यक्ष दिनेश खोडनिया,गणेश सराफ बाहर से पधारे अतिथियों एवं स्थानीय पदाधिकारियों ने किया। मंगलाचरण पश्चात नृत्य मंगलाचरण आचार्य श्री शांति सागर पाठ शाला गामड़ी, आचार्य श्री कुंथू सागर पाठशाला पारसोला के बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया। बागड़ क्षेत्र के विभिन्न नगरों की रात्रि पाठ शाला के बच्चो को टी शर्ट जिस पर वात्सल्य वारिधी अंकित है इन्हें शिखरचंद,विनोद, घाटलिया परिवार उदयपुर द्वारा वितरित हुई।आचार्य श्री धर्मसागर जी को विनयांजलि संघ के साधुओं तथा आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने प्रगट की।आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के 57 वर्षों के दीर्घ कालीन वात्सल्य , ज्ञान उपदेशों के प्रति भावांजलि संघ के साधुओं ने दी। धर्म उपदेश के बाद दोनों आचार्यों की पूजन की गई। आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के चरणों का प्रक्षालन का सौभाग्य राजेंद्र छगनलाल गनोडीया को तथा जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य को प्राप्त हुआ।इस अवसर पर पंडित हंसमुख जी ने हूंमड समाज की 27 कुलदेवी के मंदिर नंदन वन में बनाने की कार्य योजना से अवगत कराया।दिनेश खौड़निया ने 2025 सहित अनेक वर्षायोग बागड़ में करने का निवेदन कर समाज की एकता पर ज़ोर दिया।सिद्धचक्र महा मंडल विधान के सौधर्म इंद्र जिग्नेश हर्षित चंपावत, महावीर सेठ कुबैर, बाबूलाल दोषी सनत, यज्ञ नायक,सहित सभी इंद्र इंद्राणी का सकलीकरण संहिता सूरी पंडित हंसमुख जी के निदेशन में पंडित विशाल ने किया। इसके बाद मंडल विधान की पूजन प्रारंभ हुई। प्रथम दिन 8 अर्घ्य मंडल पर अर्पित किए।शाम को श्री जी और आचार्य श्री की आरती, शास्त्र प्रवचन के बाद स्थानीय महिला मंडल द्वारा शिक्षा पद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अनेक नगरों की समाज पधारी। कार्यक्रम के सभी पात्रों को 6 मार्च को हल्दी रस्म हुई। 8 मार्च को दीक्षार्थी का कर पात्र में भोजन तथा दोपहर को गणधर विधान किया जावेंगा शाम को बिनोरी यात्रा ओर गोद भरी जावेगी

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