Home धर्म अनंतानंत सिद्ध भगवन्तों की आराधना में डूबे श्रावक श्राविकाएं

अनंतानंत सिद्ध भगवन्तों की आराधना में डूबे श्रावक श्राविकाएं

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• सिद्धचक्र महामण्डल विधान के छठवें दिन श्रद्धालुओं ने किए अर्घ समर्पित

झांसी (विश्व परिवार)। महानगर के गांधी रोड स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा मन्दिर में मुनिश्री विलोकसागर जी महाराज एवं मुनिश्री विबोधसागर जी महाराज के मंगल सान्निध्य एवं विधानाचार्य बाल ब्रह्मचारी नवीन भैया जी के मंत्रोच्चार निर्देशन में चल रहे सिद्धचक्र महामण्डल विधान के छठवें दिन श्रद्धालुओं ने इन्द्र इंद्राणियों के स्वरूप में अर्घ समर्पित करते हुए अनंतानंत सिद्ध भगवन्तों की आराधना में डुबकी लगाई। इस अवसर पर मुनिश्री विलोकसागर जी महाराज ने अपनी दिव्यवाणी में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कर्मों को क्षय करने का सबसे उत्तम साधन है भगवान की आराधना, कर्म का उदय हो तो घर में सब प्रकार का द्रव्य होते हुए भी भोग नहीं सकते।। घर में सब प्रकार का भोजन होते हुए भी कोई बनाकर खिलाने वाला नहीं हो वह कर्म है। बाहर के लोगों को हम दुश्मन समझते है,जबकि सबसे बड़ा दुश्मन हमारे भीतर बैठा हमारा कर्म है। इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य पंचायत समिति के उपाध्यक्ष श्री रविन्द्र जैन रेल्वे ने प्राप्त किया। शास्त्र भेंट का सौभाग्य श्रीमति दीप्ति जैन मावा परिवार एवं श्री देवेंद्र जैन श्रीमति विमलेश जैन को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर श्री दिगंबर जैन पंचायत समिति से उपाध्यक्ष रविन्द्र जैन रेल्वे, बड़ा मन्दिर मंत्री सुनील जैनको, करगुंवा मंत्री संजय सिंघई,ऑडिटर राजकुमार भंडारी, दिनेश जैन “डीके” ने पूज्य मुनि श्री को आगामी महावीर जयंती के लिए श्रीफल अर्पित किया। प्रवचन सभा में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रदीप जैन आदित्य,श्री पदमचंद्र मिट्ठया,श्री रमेशचन्द जैन अछरौनी, आलोक जैन विश्वपरिवार,जितिन जैन, गौतम जैन, रवि जैन मगरपुर आदि उपस्थित रहे। संचालन पंचायत महामंत्री वरुण जैन ने किया।

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