वेटिकन सिटी (विश्व परिवार)। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरू पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह निधन हो गया. कार्डिनल केविन फेरेल ने पोप के निधन की घोषणा की.
फेरेल ने अपनी घोषणा में कहा, ”रोम के स्थानीय समय सुबह 7:35 बजे पोप फ्रांसिस ने आखरी सांस ली. पुरांसिस का पूरा जीवन लॉर्ड और चर्च की सेवा में समर्पित था. पोप फ्रांसिस ने हम सबको हमेशा साहस, प्यार और हाशिए के लोगों के पक्ष में खड़ा रहने के लिए प्रेरित किया. पोप फ्रांसिस लॉर्ड जीसस के सच्चे शिष्य थे. पोप फ्रांसिस को कैथोलिक चर्चों में सुधार के लिए भी जाना जाता है. इसके बावजूद पोप परंपरावादियों के बीच भी लोकप्रिय थे. फ्रांसिस दक्षिण अमेरिका (अर्जेंटीना) से बनने वाले पहले पोप थे. रविवार को ही पोप फ्रांसिस ईस्टर संडे को वेटिकन में सेंट पीटर्स स्क्वेयर
पर सब से मुखातिब हुए थे. बयान में कहा गया कि वह रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी थे। उनके दोनों
फेफड़ों में न्यूमोनिया था। वह लंबे समय तक अस्पताल में थे। वेटिकन के कार्डिनल केविन फेरेल ने कहा कि पोप फ्रांसिस का पूरा जीवन ईश्वर की सेवा में समर्पित रहा।
पोप फ्रांसिस अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार 21 अप्रैल, 2025 को 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उन्होंने वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर सुबह 7.30 बजे (स्थानीय समयानुसार) अंतिम सांस ली। वेटिकन समाचार के मुताबिक, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीते दिन ईस्टर के अवसर पर लंबे समय के बाद वे लोगों के सामने आए थे।
पोप फ्रांसिस जेसुइट ऑर्डर से पहले पोप थे। 8वीं शताब्दी के बाद से यूरोप के बाहर से पहले पोप थे। अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जॉर्ज मारियो बर्गीग्लियो के रूप में जन्मे पोप फ्रांसिस 1969 में कैथोलिक पादरी नियुक्त किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पोप प्रसिस को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘पोप प्रसिस के निधन से बहुत दुख हुआ। दुख की इस घड़ी में वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। पोप प्रसिस को हमेशा दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा। छोटी उका से ही उन्होंने प्रभु मसीह के आदशों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने गरीबों और वंचितों की लगन से सेवा की। जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना जगाई। मैं उनके साथ अपनी मुलाकातों को याद करता हूं और समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका खेह हमेशा संजोया जाएगा। उनकी आत्मा को ईश्वर की गोद में शांति मिले।’
बाद 13 मार्च को एक पोप सम्मेलन ने कार्डिनल बर्गोग्लियो को उनका उत्तराधिकारी चुना। उन्होंने सेंट शंसिस ऑफ असीसी के सम्मान में फ्रांसिस को अपना पोप नाम चुना। अब आधिकारिक शोक की 14 दिन की अवधि होगी, जिसके बाद कार्डिनल मसीह के नए विकर का चुनाव करने के लिए सम्मेलन में जाएंगे।
लंबे समय से बीमार चल रहे थे पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस लंबे समय से बीमार चल रहे थे। लगभग एक महीने तक अस्पताल में इलाज कराने के बाद पोप 24 मार्च को अपने निवास स्थान कासा सांता मार्ट लौटे थे। अस्पताल से लौटने पर उन्होंने बड़ी संख्या में अस्पताल के बाहर जमा हुए लोगों को आशीर्वाद दिया था। सार्वजनिक रूप से पोप को देखने के बाद लोग काफी खुश दिखे थे और जयकारे भी लगाए थे । पोप फ्रांसिस को 14 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।