Home धर्म मै तो नीरा बांस था गुरुदेव ने बांसुरी बना दिया

मै तो नीरा बांस था गुरुदेव ने बांसुरी बना दिया

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  • पूज्य मुनि १०8 श्री अरह सागर जी महाराज)
  • गुरु उपकार दिवस हर्षोल्लास के मंगलमय वातावरण में मनाया

कोटा (विश्व परिवार)। राणा प्रताप मीरा और पन्नाधाय के तप त्याग और साधना की पावन वसुंधरा शिक्षण के लिए संपूर्ण भारतवर्ष में सुविख्यात धर्मप्राण नगरी कोटा में परम पूज्य आचार्य शिरोमणि विद्यासागर जी महाराज के सुशिष्य मुनि 108 श्री अरह सागर जी महाराज श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर तलवंडी में विराजमान है। परम पूज्य मुनि श्री के सानिध्य में तलवंडी समाज में धर्म की महती प्रभावना हो रही है। दैनिक धार्मिक कार्यक्रमों में पूज्य श्री के मुख से जिनाभिषेक, शांति धारा तत्पश्चात मुनि श्री के प्रवचन व संध्या काल में शंका समाधान एवं आचार्य भक्ति तथा संगीतमय आरती नित्य प्रतिदिन भक्तों द्वारा श्रद्धा भक्ति ओर समर्पण के साथ आयोजित की जा रही है।तलवंडी के प्रचार प्रसार मंत्री राजकुमार ने बताया कि आज दिनांक 22 अप्रैल को पूज्य मुनि श्री का 27 वा दीक्षा दिवस समाज में धूमधाम से मनाया गया। आज ही के दिन पूज्य मुनिश्री ने 27 वर्ष पूर्व आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से गृहस्थ जीवन त्याग कर संसार शरीर ओर भोगो के मार्ग को छोड़कर संयम के व्रत आदि ग्रहण कर मुनि पद को स्वीकार किया था ।आज के दिन तलवंडी समाज में पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की संगीतमय सामूहिक पूजन एवं पूज्य मुनिश्री के समक्ष गुणानुवाद अर्घ समर्पित किए गए ।समाज जनों द्वारा दीप प्रज्वलन चित्र अनावरण एवं शास्त्र भेंट आदि कार्यक्रम संपन्न किये गये। राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार ने बताया कि इस अवसर पर श्रीमान जे के जैन, सुरेश जी हरसोरा, अशोक जी पहाड़िया प्रकाश जी सांमरिया अजय जैन उपेंद्र जी जैन सहित महिला मंडल की सदस्याये भी उपस्थित रही और सभी ने भक्ति भाव पूर्वक मुनि श्री की दीक्षा जयंती मनाई।
पूज्य मुनि अरहर सागर जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 27 वर्ष पूर्व यह मेरा परम सौभाग्य रहा कि मुझे परम पूज्य आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद मिला और उन्होंने मेरे जीवन को सही दिशा प्रदान करी मैं तो नीरा बास था मुझे गुरुदेव ने बांसुरी बना दिया मैं अनगढ़ पत्थर था गुरुदेव ने मुझे पूजनीय बना दिया।मेरे परिवार के संस्कार इस प्रकार के थे कि मैं शुरू से ही गुरुजनों के संपर्क में रहा उनके सानिध्य में मुझे संयम का मार्ग ग्रहण करने की प्रेरणा मिली। सभी को आशीर्वाद देते हुए पूज्य मुनिश्री ने कहा कि आपको भी अपने जीवन में मोह माया का त्याग कर स्वयम को कल्याण के मार्ग की ओर प्रशस्त करना चाहिए।

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