कोटा (विश्व परिवार)। परम पूज्य मुनि 108 चिन्मय सागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित आर के पुरम स्थित श्री 1008 श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर में मनोहारी मूलनायक मुनिसुव्रतनाथ भगवान का जन्म व तप कल्याण महोत्सव हर्षोल्लास के मंगलमय में वातावरण में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया गया।
मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि प्रातः काल मुनिसुव्रतनाथ भगवान की मूर्ति को चांदी की पालकी में विराजमान कर गाजे बाजे के साथ विभिन्न चौराहों से होते हुए मंदिर परिसर में लाया गया। पालकी उठाने का सौभाग्य राकेश जैन परिवारजन ने प्राप्त किया। उसके बाद प्रातः काल प्रथमाभिषेक 108 रिद्धि मंत्रो द्वारा दोनों ओर से किया गया। मंदिर समिति के महामंत्री अनुज गोधा ओर कोषाध्यक्ष ज्ञान चंद जैन ने बताया कि इसके बाद विश्व में शांति की मंगल कामना के साथ मलनायक भगवान मुनिसुव्रतनाथ पर शांति धारा की गई। राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवम मंदिर समिति के प्रसार प्रसार मंत्री पारस जैन “पार्श्वमणि” एवम कार्याध्यक्ष प्रकाश जैन ने बताया कि बैशाख कृष्ण पक्ष दशमी बुधवार को मुनिसुव्रतनाथ महामंडल विधान श्रद्धा भक्ति ओर समर्पण के साथ आयोजित किया गया। विधि विधान की मांगलिक क्रियाएं पंडित वीरेंद्र शास्त्री जी ने करवाई। विधान में इन्द्र ओर इंद्रानियो में झूम झूम कर भक्ति नृत्य किया। इस पावन अवसर पर भगवान का खुबसुरत पालना भी सजाया गया बालक मुनिसुव्रतनाथ को पालने में सजाकर बिठाया उसके बाद सभी ने उनको पालना में झुलाया। सायकल 48 मंगल दीपकों से भक्तामर आराधना एवम महाआरती की गई।