केकड़ी (विश्व परिवार)। इंसान हर वस्तु का मालिक बनना चाहता है, वह धन के पीछे भागता है और खूब धन कमा लेने के बाद मालिक बनकर भी वह संतुष्ट व सुखी नहीं रह पाता है ।लक्ष्मी चंचलास्वरूप है,आज है कल नहीं है, यदि मालिक न बनकर माली बनने की सोचे ओर मल्कियत को छोड़ देवे तो सुख शांति प्राप्त कर सकता है ।
बोहरा कॉलोनी स्थित शिवम वाटिका में आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी ने आयोजित धर्म सभा में अपने धर्मोपदेश में कहे।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म जन-जन का धर्म है इसमें ताप एवं त्याग का विशेष महत्व है ।बिना त्याग के जीवन संयममय नहीं हो सकता है । विज्ञान भी जैन धर्म पर आधारित धार्मिक एवं नैतिक ज्ञान को ग्रहण कर रहस्य को समझने का प्रयास कर रहा है।
प्रातः जिनाभिषेक, शांतिधारा, जिनेन्द्रार्चना व अन्य धार्मिक क्रियायें आर्यिका माताजी के सानिध्य में सम्पन्न हुई।शांतिधारा करने का सौभाग्य पारस मल महावीर प्रसाद भाग चंद त्रिलोक चंद लाभचंद बघेरा परिवार को मिला।भगवान महावीर व आचार्य श्री का चित्र अनावरण पदम चंद विनय कुमार कटारिया ने किया ।
राजुल महिला मंडल ने माताजी को शास्त्र भेंट किया ।