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जल ही जीवन है इसका काम से कम मात्रा में उपयोग करना चाहिए स्वास्तिभूषण माताजी

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केकड़ी (विश्व परिवार)। सूरज एक शक्तिमान, ऊर्जावान ,व प्रकाशवान शक्ति है इसी के द्वारा सारा संसार चलायमान है ।जिस दिन सूरज की रोशनी मिलनी बंद हो जाएगी उस दिन धरती पर जीवन समाप्त हो जाएगा।
इसी प्रकार जल ही जीवन है इसका कम से कम मात्रा में उपयोग करना चाहिए । यह उदगार बोहरा कॉलोनी स्थित शिवम वाटिका में आयोजित धर्म सभा में गणिनी आर्यिका 105स्वस्तिभूषण माता जी ने अपने धर्म उपदेश में कहे । उन्होंने कहा की आत्मा का वर्णन दो तरह से किया जाता है । मैं क्या हूं, और मैं कौन हूं ,सुख दर्शन ज्ञान एवं शक्ति के अलावा हमारे अंदर आत्मानंद के भरपूर गुण भरे हैं । यह तभी संभव है जब छोटे-छोटे नियम लेकर त्याग भावना बनाकर त्याग प्रवृत्ति को ग्रहण करें, इससे आत्म शक्ति को प्रबल किया जा सकता है।
त्याग शक्ति भावों के द्वारा बाहर निकल कर आत्म शक्ति को मजबूती प्रदान करती है।प्रातः शांतिधारा, जिनाभिषेक, जिनेंद्र अर्चना एवं धार्मिक क्रियाएं आर्यिका ससंघ के सानिध्य में संपन्न हुई ।
दोपहर की बेला में मोटिवेशनल स्पीकर सौरभ जैन जयपुर द्वारा छात्र-छात्राओं को एवं 40 वर्ष तक के महिला और पुरुषों को जीवन जीने की कला एवं आध्यात्मिक जीवन शैली की प्रति उद्बोधन के माध्यम से व्याख्या करते हुए समझाया।
चित्र अनावरण दीप प्रज्वलनव माताजी के पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य अनिल कुमार आकाश बंसल मेहरुकलां परिवार में प्राप्त किया । आर्यिका माताजी के दर्शन हेतु प्रतिदिन बाहर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं ।धर्म सभा का संचालन भैया निकेत शास्त्री द्वारा किया गया ।

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