Home  बिलासपुर अमित शाह के जांजगीर से चुनावी शंखनाद के खास हैं मायने

अमित शाह के जांजगीर से चुनावी शंखनाद के खास हैं मायने

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HIGHLIGHTS

  • विजय संकल्प शंखनाद रैली में शामिल हुए केंद्रीय गृह मंत्री शाह
  • लोकसभा चुनाव का फूंका बिगुल, जांजगीर व रायगढ़ लोकसभा पर              फोकस
  • बसपाई वोटों पर नजरबिलासपुर (विश्व परिवार)। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने विजय शंखनाद परिवर्तन रैली का आयोजन किया था। छत्तीसगढ़ में इसकी शुरुआत बिलासपुर से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया था। रेलवे फुटबाल मैदान में सभा को संबोधित करते हुए परिवर्तन का बिगुल फूंका था। राज्य में भाजपा ने प्रभावी जीत दर्ज की और सत्ता में दमदारी के साथ वापसी भी। प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियां पूरी तरह भाजपा के पक्ष में है।

    गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जांजगीर के हाई स्कूल मैदान में आयोजित विजय संकल्प शंखनाद रैली में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव का अपने अंदाज में शंखनाद कर दिया। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में शाह के चुनावी शंखनाद को लेकर अब चर्चा का दौर भी शुरू हो गया है।

    राजनीतिक पंडित अपने-अपने तरीके से इसे लेकर अटकलें लगा रहे हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ की 11 में से नौ सीटों पर भाजपा व दो पर कांग्रेस विजयी रही। दो में एक सीट बस्तर और दूसरी कोरबा लोकसभा। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार काबिज थी। प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियां बीते लोकसभा चुनाव से एकदम उलट है। या यूं कहें कि भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ की सियासी परिस्थितियां पूरी तरह अनुकूल और निरापद। विधानसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो सत्ताधारी दल भाजपा के लिए जांजगीर और रायगढ़ जिले का परिणाम प्रतिकूल रहा। जांजगीर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी आठ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।

    भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। रायगढ़ जिले के अंतर्गत पांच विधानसभा सीट को शामिल किया गया है। चार सीटों पर कांग्रेस व एकमात्र रायगढ़ की सीट ही भाजपा जीत पाई है। जशपुर जिले में भाजपा सुदृढ़ है। यहां की तीनों सीटों पर भाजपा विधायक काबिज है। कांग्रेस खाता नहीं खोल पाई। आंकड़ों पर नजर डालें तो रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस की स्थिति चार-चार की है। बराबरी की स्थिति में लोकसभा चुनाव भी रोचक अंदाज में होने की संभावना जताई जा रही है। विधानसभा चुनाव परिणाम को सामने रखकर दोनों लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाना या यूं कहें कि रणनीतिक तैयारी करना भाजपाई रणनीतिकारों के लिए आसान नहीं होगा। केंद्रीय गृहमंत्री शाह की सभा के पीछे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ाना, चुनाव के लिए सक्रिय करना और मतदाताओं के बीच सकारात्मक माहौल बनाना माना जा रहा है।

    बसपाई वोटों पर नजर

    भाजपा व कांग्रेस के रणनीतिकारों व चुनाव प्रबंधन से जुड़े प्रमुख नेताओं की नजरें बसपा के प्रतिबद्ध मतदाताओं के साथ ही पदाधिकारियों पर टिकी हुई है। विधानसभा चुनाव में बसपा की कमजोर स्थिति और बिखरे चुनावी प्रबंधन का लाभ कांग्रेस को मिला। बसपाई मतदाताओं के वोटों के धुव्रीकरण का सीधा लाभ कांग्रेस को मिला। यही कारण है कि जांजगीर जिले में इस बार बसपा और भाजपा दोनों का खाता नहीं खुल पाया। राज्य निर्माण के बाद जांजगीर जिला बसपा के लिए अनुकूल रहा है। एक या दो विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचते रहे हैं।

    रायगढ़ में भाजपा का बड़ा दांव

    अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण रायगढ़ लोकसभा सीट को राजनीतिक रूप से सुदृढ़ करने और जीत का सिलसिला जारी रखने के लिए भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। भाजपा नेत्री सरोज पांडेय की राज्यसभा की खाली हो रही सीट के लिए रायगढ़ राजघराना से जुड़े व जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह को राज्यसभा भेज रही है। उन्होंने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है। अनुसूचतित वर्ग के बीच पैठ बनाने और इस वर्ग के मतदाताओं को रिझाने के लिए भाजपाई रणनीतिकरों ने यह संकेत दे दिया है।

    प्रमुख नेताओं ने बनाया था माहौल

    विधानसभा चुनाव के दौरान जांजगीर जिले में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सभा हुई थी। रायगढ़ जिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावी सभा की थी। मोदी की छत्तीसगढ़ में यह पहली चुनावी सभा थी। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने जशपुर व रायगढ़ में रोड शो के जरिए चुनावी माहौल बनाने की कोशिश की थी। पीएम मोदी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे की रायगढ़ में सभा हुई थी।

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