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जैन समाज के सभी तीर्थ क्षेत्रो का अस्तित्व खतरे में जरूर विचार करे कहा खड़ा है जैन समाज : पारस जैन

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कोटा (विश्व परिवार)। मुंबई में पूरा दिगम्बर जैन मंदिर गिरा दिया गया मां जिनवाणी रोड पर भगवान खुले आकाश में ओर संपूर्ण भारत का जैन समाज देखता रहा किसी अन्य समाज का यदि मंदिर होता तो शायद झांकी कुछ ओर होती निर्णय हो चुका होता।एक दिन मुंबई समस्त जैन समाज द्वारा एक विशाल रैली जरूर निकली गई। मुंबई जैन मंदिर की अभी भी ज्यों की त्यों स्थिती बनी हुई है। पूरे भारत मे जहाँ जहाँ जैन है विरोध रैली निकाल कर शासन प्रशासन के अधिकारियों को ज्ञापन देने जरूर जाना चाहिए।संथारा की तरह एक लहर पूरे भारत में चले । अपने अपने नगर शहर गांव कस्बे में चाहे भले ही पाँच परिवार भी हो। एक निश्चित दिन विरोध रैली निकाल कर अपना ज्ञापन जरूर देवे। पूरे भारत मे एक स्वर में एक आवाज उठे ये समय की मांग है अभी नहीं तो कभी नहीं।भले ही हम संख्या में कम है परन्तु अन्याय की विरुद्ध आवाज बड़ी जोरदार तरीके से उठा सकते है। श्वेतांबर जैन समाज के पास केंद्रीय नेतृत्व करने वाला विराट स्तर पर आंनद जी कल्याण जी ट्रस्ट है । जब भी पूरे भारत मे कहीं भी कोई मंदिर या तीर्थ स्थल पर कोई भी घटना घटती है ये ट्रस्ट तुंरत गतिविधि में आ जाता है। दिंगबर जैन समाज के पास इस तरह का ट्रस्ट नहीं है जो तुरंत निर्णय ले सके।केंद्रीय नेतृत्व का अभाव सबसे बड़ी कमजोरी है। इसका साक्षात प्रमाण मुंबई मंदिर धराशाही होते हुए देख चुके है। एक दिगंबर जैन समाज का भी आंनद जी कल्याण जी ट्रस्ट की तरह ट्रस्ट बनवाना वर्तमान समय की मांग है। अभी नहीं जागे तो कभी नहीं जाग पाएंगे। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण धरती स्वर्ग संपूर्ण भारत की जैन समाज की आस्था का केन्द्र बीस तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली तीर्थराज सम्मेद शिखर जी स्थिति भी सही नहीं है वहां के आदिवासी लोगो द्वारा समय समय पर अलग अलग गेट बनाए जाते है मकर संक्रांति पर लाखों की संख्या में अजैन लोग पर्वत पर पर्यटन के हिसाब से पहुंचकर अपवित्रता फैलाते है। अब गुजरात के गिरनार पर्वत पर जहाँ – से नेमीनाथ से नेमीनाथ भगवान ने संसार शरीर भोगों को छोड़कर वैराग्य धारण कर संयम तप ओर साधना कर मोक्ष को प्राप्त किया उस स्थान पर दूसरे समाज के लोगो द्वारा दत्तात्रेय जी की स्थापना कर दी गई। पूरे पर्वत पर एक दो टोंक छोड़कर सभी टोंक बन्द कर दी गई है। दूसरी समाज के लोगो द्वारा जैन यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। जैन श्रद्धालु वहां वंदना के लिए जाने से रुकने लगे हैं । अजमेर राजस्थान में ढ़ाई दिन का झोपड़ा जो अभी मजार के रूप में है वो कभी जैन प्राचीन मंदिर हुआ करता था। दिल्ली का कुतुबमीनार जो बना हुआ है उसमे न जाने कितने जैन मंदिरो को गिरा कर बनाया गया। इंदौर दिगंबर जैन तीर्थ गोमटगिरी जी पहाड़ी पर दूसरे धर्म समाज के लोगो को उनके मंदिर के लिए जगह देनी पड़ी।उन्होंने भी वहां अपना मंदिर बना लिया था। यह विवाद कई सालो से चला आ रहा था। यदि वहां पहले से बाउंड्रीवाल चारों ओर होती तो वो लोग पहाड़ी पर उनका मंदिर नहीं बना पाते। अभी हाल ही में महाराष्ट्र के सांगली में झरी पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र पर हजारों साल प्राचीन मनोहारी मूर्ति के असामाजिक तत्वों द्वारा नाक काट लिए गए। और भी न जाने कितने “तीर्थ क्षेत्र अतिशय क्षेत्र सिद्ध क्षेत्र का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है” सबसे पहले सभी तीर्थ स्थलों चाहे वो तीर्थ क्षेत्र हो अतिशय क्षेत्र हो या सिद्ध क्षेत्र हो उनके चारों ओर बाउंड्री वाल का कार्य अतिशीघ्र किया जाए। पूरे भारत मे जैन समझ के जितने भी लोग है चाहे 50 लाख मानो या एक करोड़ । अपने घर में एक गुल्लक तीर्थ रक्षा के लिए रखे उसमे एक रुपए की राशि प्रतिदिन डाले यदि रोज एक मेंबर्स के हिसाब से डालते है तो जितनी भी संख्या में जैन समाज है उतनी राशि एक दिन में एकत्रित हो जाएगी एक महीने में कितनी राशि हो गई ओर एक साल में करोड़ों की राशि हो जाएगी। कुछ सालो में बाउंड्री वाल का कार्य बड़ी सरलता के साथ किया जा सकता है यदि जैन समाज दृढ़ संकल्प कर लेवे। चारों ओर बाउंड्रीवाल होने से सभी तीर्थ क्षेत्रो की प्राचीनता,प्रमाणिकता, पुरातत्वता, पावनता ज्यो की त्यों बनी रहेगी। सभी साधु संत भी इस विषय पर गंभीरता से मार्गदर्शन ओर प्रेरणा देवे। मेरा किसी की कोमल भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई मन नहीं है। सभी से “मैत्री भाव जगत में मेरा सब जीवो से नित्य रहे उन्हीं जैसी दीन – दुखी जीवो पर मेरे उर से करुणा स्रोत बहे “। इन्हीं मंगल भावनाओ के साथ।

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