बिलासपुर(विश्व परिवार) । छोटे बच्चों के गार्डन जाने के कुछ कारण होते हैं, जैसे ही उन्हें कोई गार्डन ले-जाने की बात कहता है, वैसे ही वे जाने को तैयार हो जाते है। गार्डन में बच्चों को धमाचौकड़ी करने के साथ ही विभिन्न प्रकार के झूले झुलने को मिलते हैं। इससे बच्चों का काफी मनोरंजन भी होता है। लेकिन इन सब के बीच बच्चे इन गार्डनों में एक सुविधा से वंचित हो जाते है और वह यह है कि उनके क्रिकेट, फुटबाल व अन्य प्रकार के खेल खेलने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं होती है। ऐसे में बच्चे अपना मनपसंद खेल से वंचित हो जाते है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए नगर निगम ने शहर के सभी वार्डों में बनवाए गए गार्डन को अब मैदान में तब्दील करना चाहती है। इसमे बच्चों को खेलने के लिए भी जगह मिल सके और उनका सही शारीरिक विकास संभव होने के साथ आगे चलकर वे खिलाड़ी भी बन सके।
नगर निगम ने अपने सभी 70 वार्डों में गार्डन बनवाए हैं। बड़े-बड़े वार्डों में तो कम से कम छोटे-बड़े चार से पांच गार्डन की सुविधा दी गई है। इसमें बच्चों के लिए झूले, बड़ों के लिए ओपन जिम के साथ सभी आयु वर्ग के लिए वाक जोन की सुविधा दी गई है और यहां हरियाली बनाए रखने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। लेकिन इन सब के बाद बच्चों को एक बात का अहसास होता है कि यदि वे क्रिकेट, फुटबाल के साथ अन्य पारंपरिक खेल खेलना चाहे तो उसके लिए उन्हें गार्डन में जगह नहीं मिल पाती हैं। यदि खेलने की भी कोशिश करते है तो गार्डन में घूमने वाले लोगों के साथ ही माली और चौकीदार उन्हें इस तरह के खेल खेलने से रोक देते है। इसमें उनका तर्क रहता है कि गार्डन हराभरा है और फूल आदि के पौधे लगे हैं ऐसे में बच्चे इस तरह के खेल खेलेंगे तो फुल व अन्य प्रकार के पौधे क्षतिग्रस्त हो जाएंगे। खेलने के लिए जगह नहीं मिलने पर बच्चे मायूस हो जाते हैं।
एक तरह से यह कार्य करके बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास को जाने-अनजाने में रोकने का कार्य किया जाता है। वहीं बच्चों के इस पक्ष को नगर निगम प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है। इसके लिए महापौर रामशरण यादव आगे आए और उन्होंने ही यह प्रस्ताव बनाया कि शहर के हर गार्डन का उन्नयन किया जाए और विशेष रूप से उसमें छोटे बच्चों के खेलने के लिए जगह आरक्षित किया जाए। इसमें विभिन्न प्रकार के झूले, फिसल पट्टी के लिए अलग जगह और उनके क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन खेलने के लिए अलग से जगह गार्डन में दिया जाए। जहां वे हरे-भरे वातावरण में रहते हुए खेल खेलते हुए अपने उचित शारीरिक और मानसिक विकास कर सके। वहीं अब आने वाले दिनों में शहर के गार्डन के स्वरूप में कुछ तब्दीली देखने को मिलेगा और बच्चों का खेल मैदान की कमी दूर हो सकेगी।
बनेंगे पिच, बैडमिंटन कोर्ट आदि
वैसे तो इन गार्डनों को पुरा विकसित मैदान तो नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन छोटे रूप में उन्हें इस तरह के खेल खेलने की जगह तो दी जा सकती है। इसमें क्रिकेट पिच का निर्माण, फुटबाल गोल, बैडमिंटन कोर्ट, बास्केट बाल कोर्ट आदि तो बन ही सकता है। जिसके माध्यम से बच्चे खेलते हुए अपने पसंद के खेल में आगे बढ़ सकते है।
बच्चों को नहीं मिलता है खेल मैदान
आज से लगभग 20-25 साल पहले हर मोहल्ले में खाली जगह होते थे। उस समय के बच्चे उन्हें खुद ही खेल मैदान में परिवर्तित कर देते थे और फुटबाल, क्रिकेट, बास्केट बाल, बैडमिंटन के साथ अन्य तरह खेल और पारंपरिक खेल खेला करते थे। लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है शहर में इस तरह के खाली जगह ही नहीं बचे हैं। गार्डन है पर उसमें मैदान की सुविधा नहीं है। वहीं जो बड़े मैदान है, उनपर भी अकादमी आदि वालों का कब्जा हो गया है। जो सीधे तौर पर प्रोफेशनल खिलाड़ी बनाने की सोच रखते है, जहां बकायदा शुल्क लेकर बच्चों को खेल खेलने दिया जाता है। ऐसे में अब के बच्चे स्वछंद रूप में खेल नहीं खेल पा रहे हैं।
सामान्य सभा में पारित होगा प्रस्ताव
एमआईसी की बैठक में महापौर रामशरण यादव ने यह प्रस्ताव बनाकर सभी के समक्ष रखे हैं। जिसे दोनों पक्ष ने पसंद किया है। ऐसे में अब 29 फरवरी को होने वाले सामान्य सभा में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा और जिसे स्वीकृति दी जाएगी। इसके बाद आने वाले दिनों में छोटे बच्चों के अपने घर के पास के गार्डन में ही खेल मैदान की सुविधा मिलने लगेगी।