इंदौर (विश्व परिवार)। रेखा संजय जैन जी ने बताया की गांधी नगर गोधा एस्टेट के सुमतिधाम पर आयोजित पट्टाचार्य महोत्सव में मुख्य आयोजन में लाखों श्रद्धालु के पहुंचने के बाद गुरुवार को पांचवे दिन विद्वानों के बीच सफल जल बिंदु महाकाव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दो सत्रों में हुई संगोष्ठी में दक्षिण, उत्तर, पश्चिम और पूर्व से आए विद्वावानाचार्यों ने अपने-अपने वक्तव्य रखें। राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के बाद नव पट्टाचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित किया। उन्होंने मंगल प्रवचन में कहा कि आचार्य विराग सागर ने जल बिंदु महाकाव्य की रचना की थी, बिंदु एक उत्कृष्ट शब्द है। पशु, पक्षी, मनुष्य सभी की उत्पत्ति बिंदु से हुई है। जल की बूंद ही नहीं जल से उत्पन्न होने वाले वीर का बोध भी बिंदु है, जो उत्कृष्ट साधना की ऊंचाई पर पहुंचाता है और सिद्ध परमात्मा बना देता है। इसलिए जल की रक्षा करो और शरीर रूपी इस बूंद की भी रक्षा करो। इससे प्राणों की रक्षा होगी और प्रण की भी रक्षा होगी और दोनों की रक्षा तुम्हें भगवान बना देगा। आचार्यश्री ने दृष्टांत के माध्यम से बताया कि एक घास पर ओंस की बूंद सूर्य की रोशनी में चमक उठती है। वहीं बूंद प्रचंड गर्मी से सूखकर खत्म हो जाती है। उसी तरह मित्रों जीवन जल की बूंद है। जब यमराज का प्रचंड तेज आएगा यह भी सूखकर खत्म हो जाएगी। जब तक बूंद पर ओस की चमक है। मुस्कुरा लो, अभी जीवन मोतियों सा चमक रहा है। इस चमकती बूंद के पानी को भगवान के चरणों में चढ़ा दो और स्वयं भगवान हो जाओ। उन्होंने एक अन्य दृष्टांत देकर बताया कि एक व्यक्ति एक पानी की बूंद छत पर डालता है तो वह भाप बनकर उड़ जाती है और वहीं बूंद जमीन पर पढ़ती है तो बीज को अंकुरित कर देती है। इसलिए कुल के वृद्धि कारक बनना, नाशक मत बनना। संगोष्ठी में पट्टाचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने सभी विद्वानों के उद्गारों की सराहना भी की।
धार्मिक क्रियाओं के साक्षी बने श्रावक श्राविकाएं
श्री सुमतिनाथ दिगंबर जिनालय गोधा एस्टेट, पट्टाचार्य महोत्सव समिति, गुरु भक्त परिवार एवं मनीष-सपना गोधा ने बताया कि सुबह के सत्र में विधानाचार्य धर्मचन्द्र शास्त्री, चन्द्रकांत ईडी, नितिन झांझरी के निर्देशन में सुबह स्तुति, देव स्तवन, आचार्य वंदना, स्वाध्याय के बाद सुबह 6 बजे अभिषेक और शांतिधारा की विधियां हुई। 7.30 बजे से चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन के साथ ही इंदौर सहित अन्य राज्यों से आए विद्ववत जनों का बहुमान भी किया गया। इसके बाद 12 आचार्य, 8 उपाध्याय और 140 मुनि महाराजों और आर्यिका मााताजी की आहाराचर्या संपन्न हुई। दो सत्रों में आयोजित संगोष्ठी की पट्टाचार्य, आचार्य और अन्य मुनिराजों तथा आर्यिका माताजी ने सराहना की।
देशभक्ति और जिन शासन की आकृतियों से आसमान जगमग
गुरु भक्त परिवार ने बताया कि जैन महाकुंभ के महोत्सव में बुधवार देर शाम आंधी तूफान भी सुमतिधाम में पहुंचे भक्तों की आस्था को डिगा नहीं पाया। देर शाम प्रोजेक्शन मेपिंग, लेजर शो के बाद रात 9 बजे मुंबई के कलाकारों ने सम्राट खारवेल नाटिका का मंचन किया। जिसे देख धर्मावलंबी भाव-विभोर हो उठे। इसके पश्चात 2100 ड्रोन के माध्यम से एक दर्जन से ज्यादा आकृतियां आसमान में उकेरी गई। सुस्वागतम और अतिथि देवो भव की परंपरा को चरितार्थ करते हुए ड्रोन शो ने सबसे पहले अतिथियों का सत्कार किया और इसके बाद देश को सलाम करते हुए आसमान में तिरंगों से वंदे मातरम लिखा। जिसके बाद परिसर में भारत माता का जयघोष गूंजा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की आकृतियां ड्रोन संचालकों ने हुबहू आसमान में प्रदर्शित की। जिसे देख हर कोई अपने मोबाइल के कैमरों में कैद करता नजर आया। अयोध्या की तर्ज पर बने सुमतिधाम जिनालय की आकृति भी उकेरी गई और इसके बाद भगवान सुमतिनाथ की प्रतिमा का साक्षात दर्शन हुआ। पांच किमी के दायरे में यह आकृतियां जैनत्व के दर्शन को बयां कर रही थी। णमोकार महामंत्र के पांच काव्यों को भी आसमान में प्रदर्शित किया गया। ड्रोन शो में आचार्य विद्या सागर, विराग सागर, पट्टाचार्य विशुद्ध सागर, पुष्पदंत सागर, ज्ञानमती माताजी की आकृतियां भी उकेरी गई। इससे आसमान तारों से भरा महसूस हो रहा था। परिसर में मौजूद दर्शकों के साथ-साथ कई किमी के दायरे से देख रहे दर्शक अचंभित हुए बिना नहीं रह सके।
सर्वसुविधायुक्त टेंट सिटी अतिथियों को भाई
भारतीय परंपरा अतिथि देवो भव: को चरितार्थ करते हुए सुमतिधाम में मेहमानों के लिए कई एकड़ में टेंट सिटी बनाई गई। छोटे-छोटे गुंबजनुमा टेंट में एयर कंडीशनर सहित सर्वसुविधाओं का इंतजाम किया गया। आचार्य आदित्य सागर महाराज के गृहस्थ जीवन के परिवारजन जबलपुर से बड़ी संख्या में पधारे। वहीं अन्य आचार्यों व महाराजों के गृहस्थी परिजन भी इस आयोजन के साक्षी बने और उन्हें इन सर्वसुविधायुक्त टेंट सिटी में ठहराया गया। गुरु भक्त परिवार और मनीष-सपना गोधा ने बताया कि सर्वसुविधायुक्त टेंट सिटी को सम्मेद शिखर और साकेत नगर के रूप में बसाया गया। गांधी नगर क्षेत्र में स्थित सभी जैन जिनालय, उपाश्रय, आश्रयगृहों सहित पूरे क्षेत्र के होटल, लॉज और अतिथि निवास गृह एक माह पहले ही बुक हो चुके थे।
वो आसमा हो जाए मां-बाप जो साथ निभाए
सुमतिधाम में प्रतिदिन आयोजित हो रहे सांस्कृतिक आयोजनों की झड़ी में एक से एक आयोजन हो रहे हैं। 28 राज्यों सहित विदेशों से पहुंचे जैन धर्मावलंबियों को महोत्सव के आयोजनों के साथ-साथ सांस्कृतिक आयोजन अपना कायल बना रहे हैं। विभिन्न तीर्थकरों की जीवन गाथा नाटिकाओं के प्रसंग के साथ-साथ वर्तमान परिस्थितियों से रूबरू कराने वाले आयोजन भी करवाए जा रहे हैं। हाल ही में हुई स्वस्ति मेहुल की भजन संध्या में माता-पिता और बेटी के बीच के नाजुक लेकिन, मजबूत बंधन को विभिन्न काव्यों के माध्यम से वर्णित किया गया। वो आसमां हो जाए मां-बाप जो साथ निभाएं… दो कुल को रोशन कर दे जब बेटी नाम कमाए… जैसे गीतों की प्रस्तुति दे मेहुल श्रोताओं की खास बन गई। बेटियों की महिमा का गुणगाण कर उन्होंने स्वरचित गीत छन-छन करती जब नन्हीं परी गाया तो जहां नन्ही परियों का दिल जीत लिया तो वहीं कई माता-पिता की आंखे भर आई।
कल हुआ समापन
गुरु भक्त परिवार ने बताया कि शुक्रवार 2 मई को सुबह 5 बजे से नित्य पूजन, अभिषेक और शांतिधारा के साथ गणाचार्य श्री विराग सागर गुरुदेव का 62 वां जन्म जयंती समारोह मनाया गया। जिसके अंतर्गत महापूजा, आरती और गुणानुवाद सभा होगी। आहाराचर्या के बाद कई विशेषांकों का विमोचन भी किया गया और रात को आचार्य विराग सागर महाराज के जीवन पर आधारित नाटिका का मंचन हुआ।