रायपुर (विश्व परिवार)। छत्तीसगढ़ में एक साल में बैंक खातों से हुई आनलाइन ठगी में कई मामले ऐसे हैं, जिनमें समय पर पुलिस को खबर मिल गई और इससे पहले कि ठग पैसे निकाल पाते, पुलिस ने उन खातों को होल्ड करवा दिया, लेकिन ऐसे जितने भी खाते होल्ड किए गए, उनमें लोगों के पैसे तो सुरक्षित रह गए लेकिन उन्हें अब तक मिल नहीं पाए। प्रदेश में पुलिस ने एक वर्ष में लगभग पांच करोड़ रुपये ठगी के लिए उपयोग हो रहे खाते में होल्ड करवाए हैं।
बैंकों ने कानूनी बाध्यता बताकर होल्ड किए खातों के पैसे रोक दिए हैं। अकेले रायपुर जिले में ही कुल 2162 प्रकरणों में 1.81 करोड़ रुपये होल्ड कराया गया है। ये पैसे लोगों को वापस नहीं मिले हैं। इसके लिए ठगी के शिकार पीड़ितों को अपने खून-पसीने की कमाई वापस पाने के लिए पुलिस थाना,साइबर सेल और बैंकों का चक्कर काटना पड़ रहा हैं। वहीं पुलिस भी कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
साइबर सेल से मिली जानकारी के अनुसार साइबर ठगी के ऐसे कई मामले है जिनमें एफआइआर तक दर्ज नहीं की गई है, ऐसे पीड़ित चक्कर लगाते-लगाते थक गए लेकिन पैसे वापस नहीं मिल पाए।रायपुर में पिछले साल चार हजार से अधिक लोग आनलाइन ठगी का शिकार हुए थे। ठगों ने उनके खाते सेंध लगाकर चार करोड़ से ज्यादा पार किए हैं। इनमें से कुछ लोगों ने मोबाइल पर ट्रांजेक्शन का मैसेज आया,तब ठगी का पता चला और उन्होंने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।पुलिस व साइबर सेल ने उनका पैसा होल्ड करवाने के साथ ठगों का खाता फ्रीज भी कराया।यही स्थिति पूरे प्रदेश की है।आनलाइन ठगी के शिकार पीड़ितों के करीब पांच करोड़ रुपये अटके हैं।अभी तक होल्ड कराए गए पैसों की वापसी का कोई सिस्टम ही नहीं बन पाया है।
कानूनी दावंपेच में उलझा पैसा
पुलिस ने जिस समय पैसे होल्ड करवाए थे,तब तक पीड़ितों ने एफआआर दर्ज नहीं करवायी थी।लोगों को जैसे ही मोबाइल पर पैसे निकालने का पहला मैसेज आया, उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी।उस समय एफआइआर दर्ज कराने का समय नहीं मिला, इसलिए पुलिस ने शिकायत के आधार पर ट्रांजेक्शन रुकवा दिए।अब बैंक प्रबंधन की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि जब तक एफआइआर नहीं होती और पूरी कानूनी औपचारिकता नहीं की जाती, वे होल्ड खातों में ट्रांजेक्शन शुरू नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट के आदेश पर वापस मिलेगा पैसा
साइबर सेल के अधिकारियों ने बताया आनलाइन ठगी शिकायत मिलते ही सबसे पहले चेक करते हैं पैसा किसके खाते या ई-वालेट, यूपीआई में गया है। उसके बाद पैसा होल्ड करने के लिए मेल करते हैं। ई-वालेट और यूपीआई में गया पैसा तुरंत पीड़ित के खाते में आ जाता है। लेकिन जो पैसा ठगों के खातों में जाता है, वह कोर्ट के आदेश से वापस होता है।
गुजरात का सिस्टम होगा लागू
अधिकारियों का कहना है कि कानूनी दांवपेच में उलझे ठगी के पैसों की वापसी के लिए गुजरात का सिस्टम लागू करने की कोशिश कर रहे हैं।पीड़ित धारा 457 की आवेदन लगाएं, कोर्ट के आदेश पर पैसा मिलेगा।पुलिस मुख्यालय की ओर से बैंकों को पत्र लिखा गया है कि जो पैसे पुलिस होल्ड करवाती है, उनमें पुलिस के ईमेल को सीआरपीसी की धारा 91 का कानूनी नोटिस माना जाए। फिर उन पैसों को सीआरपीसी की धारा 102 के तहत होल्ड किया जाए।
कानूनी विशेषज्ञों ने बताया कि जिस पीड़ित व्यक्ति को रकम चाहिए, उन्हें ऐसे मामलों में सीआरपीसी की धारा 457 के तहत कोर्ट में अर्जी लगानी होगी।इसकी प्राथमिकता से सुनवाई होती है और कोर्ट की ओर से बैंक को आदेश दिया जाता है कि संबंधित व्यक्ति का जितना पैसा होल्ड हुआ, उसकी श्योरिटी ली जाए और बैंक से पैसे लौटा दिए जाएं। इसके बाद अगर कोई व्यक्ति कानूनी दावा करते हुए प्रमाण प्रस्तुत करता है तो जिसने श्योरिटी लिखकर दी है, उससे पैसे लिए जाएंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक गुजरात में इसी फार्मूले से कोर्ट के माध्यम से पीड़ितों को पैसे लौटाए जा रहे हैं।
ऐसे लौटाए गुजरात कोर्ट ने पैसे
गुजरात कोर्ट ने पुलिस के शिकायत नंबर के आधार पर लोगों का पैसा लौटाया है।पुलिस में जो लोग सिर्फ शिकायत कर रहे हैं और उनका पैसा होल्ड किया जा रहा है।वे पुलिस शिकायत नंबर के आधार पर कोर्ट में अर्जी लगा रहे हैं।कोर्ट उसी के आधार पर पैसा वापसी के लिए बैंक को निर्देश देती है।उसके बाद होल्ड पैसा पीड़ित को मिल जाता है।
पुलिस ने 61 लाख रुपए करवाए रिफंड
रायपुर पुलिस के मुताबिक वर्ष 2022 में एनसीसीआर पोर्टल में 2163 लोगों ने सीधे शिकायत की थी।पुलिस को 355 लोगों के 33 लाख 18 हजार रुपए होल्ड करने में कामयाबी मिली, जो थोड़ी देरी पर ठग निकाल चुके होते। इसमें चार लाख 90 हजार रुपए ही पीड़ितों को मिले हैं, बाकी पैसा ठगों के खाते में होल्ड है।इसी तरह साइबर सेल ने 617 लोगों का 81.68 लाख रुपए होल्ड करवाए थे, जिसमें 56.14 लाख रुपए लौटाए जा चुके हैं।वहीं वर्ष 2023 में कुल 2162 प्रकरणों में एक करोड़ 81 लाख 34 हजार 407 रुपये होल्ड कराए गए है।इन पैसों के लौटाने की प्रक्रिया चल रही है।
ठगी के शिकार पीड़ितों से न्यायालय में आवेदन लगवाकर पैसे वापसी की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।कई लोगों को हमने न्यायालय के आदेश पर पैसे दिलवाए भी है।ठगों के अलग-अलग खातों में पैसा होने के कारण भी दिक्कते होती है।