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सुरक्षित यात्रा के लिए यातायात नियमों का पालन करें यह हमारा कर्तव्य भी…- टी. के. भोई, यातायात प्रशिक्षक

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रायपुर (विश्व परिवार)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित समर कैम्प के तीसरे दिन यातायात नियमों की जानकारी देेते हुए ट्रैफिक ट्रेनर टी. के. भोई ने कहा कि यातायात के सारे नियमों का पालन करना हमारा कर्तव्य है जिससे कि हम स्वयं सुरक्षित रहकर दूसरों की भी मदद कर सकेंगे। यह हमारे जीवन की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। कभी भी शार्ट कट के चक्कर में अपनी जान को जोखिम में नहीं डालना चाहिए।
उन्होंने बतलाया कि ज्यादातर दुर्घटनाएं चालक की लापरवाही से होती है। यदि चालक अच्छा हो और वह यातायात नियमों का पालन करता हो तो दुर्घटनाओं की सम्भावना कम हो जाती है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए हमें यातायात संकेतों का भी ज्ञान होना जरूरी है। उन्होंने विस्तार से बच्चों को ”प्रोजेक्टर” के माध्यम से यातायात संकेतों का परिचय दिया तथा उनका पालन करने की नसीहत दी। उन्होंने बतलाया कि यह संकेत संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों में एक समान होते हैं। सड़क पार करने के लिए जेब्रा कासिंग का ही उपयोग करना चाहिए। इसी प्रकार आधी सड़क दाँयी ओर देखते हुए और शेष आधी सड़क बाँयी ओर देखते हुए पार करना चाहिए।
उन्होंने जानकारी दी कि पूरे विश्व में रोड एक्सीडेण्ट में सबसे ज्यादा लोग भारत में मारे जाते हैं। सड़क पर प्रतिवर्ष लगभग दो लाख लोग दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। लोगों की मृत्यु का पांचवा सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटना है। मरने वालों में अस्सी प्रतिशत संख्या बच्चों और युवाओं की होती है।
परमात्मा को अपना दोस्त बनाकर उनसे मन की बातें करें… ब्रह्माकुमारी प्रियंका दीदी
समर कैम्प के दूसरे सत्र में भगवान के साथ सम्बन्ध विषय पर बोलते हुए राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी प्रियंका दीदी ने कहा कि परमात्मा को हम अपना सच्चा दोस्त बनाकर उनसे अपना सुख-दु:ख बाँटें। तनाव ग्रस्त होने पर उन्हें अपने मन की बातें कहकर हल्के हो जाएं। आप उन्हें पत्र भी लिख सकते हैं।
ब्रह्माकुमारी प्रियंका दीदी ने बच्चों को बड़े ही सरल ढंग से परमात्मा का परिचय देते हुए बतलाया कि परमात्मा का कर्तव्यवाचक नाम शिव है जिसका अर्थ कल्याणकारी होता है। उनका रूप अतिसूक्ष्म ज्योतिबिन्दु स्वरूप और निवास स्थान परमधाम है। उनका कोई शारीरिक आकार नहीं है। इसीलिए उन्हें हम शरीर धारियों की तुलना में निराकार कहा जाता है। वह जन्म-मरण से न्यारे हैं। हमारे देश में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग भी उन्हीं की यादगार में बनाए गए हैं। पहले जमाने में शिवलिंग हीरे के बनाए जाते थे। ताकि पता चले कि ईश्वर ज्योतिस्वरूप है।
ब्रह्माकुमारी प्रियंका दीदी ने बाद में राजयोग के माध्यम से परमात्मा से सम्बन्ध जोडऩे की विधि बतलाते हुए राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास भी बच्चों को कराया। उन्होंने बतलाया कि रात्रि में सोने के पहले अपने मन की सारी बातें परमात्मा से करके सो जाएँ तो इससे मन का बोझ हल्का हो जाएगा और सुबह तरोताजा रहेंगे। यह बात बच्चों को बहुत पसन्द आयी।

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