भोपाल (विश्व परिवार)। अहंकार” की खूंटी पर ही अशांति तनती है,असंतोष ही सारे झगड़े की जड़ है उपरोक्त उदगार मुनि श्री संधान सागर महाराज ने व्यक्त किये।उपरोक्त जानकारी देते हुये प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया राष्ट्रीय संत मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज के द्वारा “अ” अक्षर अहंकार से अंधविश्वास तक 20 प्रवचन संपन्न हुये मुनि श्री ने प्रतिदिन प्रवचन एवं भावनायोग के माध्यम से हम सभी को लगातार 21धर्मोउपदेश देकर जीवन में नकारात्मकता हटाकर जैन कुलाचार पालन का उपदेश दिया। मुनि श्री ने कहा कि आज अहंकार दूध पीते बच्चे के अंदर भी आ चुका है यदि उससे कहा जाये की सांरी बोलो तो वह नहीं बोलता और नाराज होकर भाग जाता है, उन्होंने सत्य और भ्रम में क्या अंतर है,का जबाब देते हुये कहा कि हम सुना रहे है यह सत्य है लेकिन आप सुन रहे है यह हमारा भ्रम भी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि “रात लम्वी हो सकती है, घनी हो सकती है लेकिन प्रभात निश्चित होगा यह विश्वास करो अविश्वास करने से अश्वाद अर्थात टेनसन हो सकता है टेंसन मत लो अटेंसन में रहो इटेंसन अच्छा रखोगे तो सभी आपको चाहेंगे,औरईट का जबाब पत्थर से दोगे तो अधीरता दिखाई देगी मुनि श्री ने कहा अधीरता ताकतवर की कमजोरी है,वंही “धीरज कमजोर की ताकत है” वर्तमान समय में मोवाईल के कारण अकर्मणयता बड़ रही है रात दिन युवावर्ग रील देखने में अपना समय नष्ट कर रहा है,तथा अविवेक के कारण प्रज्ञा अपराध कर रहा हैकोई भी काम होगा वह श्रद्धा से ही होगा।