Home राजिम   अग्रणी समाजसेवी संजय राजू जैन राजिम का देहावसान,बेटियों ने दी पिता को...

अग्रणी समाजसेवी संजय राजू जैन राजिम का देहावसान,बेटियों ने दी पिता को मुखाग्नि

96
0
  • जैन समाज में सब कर रहे है दुख का अनुभव

राजिम (विश्व परिवार)। संजय जैन राजू (राजिम) अपने आप में समाज धर्म गुरु सेवा को समर्पित एक ऐसा व्यक्तित्व था जिसके चले जाने का समाचार सुनकर प्रत्येक धर्म प्रेमी चाहे वह छत्तीसगढ़ का ही या कहीं अन्य प्रदेश का, जो उन्हे जानता था
काफी दुख का अनुभव हो रहा है। वह काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
कीर्तिशेष संजय जैन राजिम अपने आप में गुरु भक्ति की मिसाल थे। समाज सेवा के हर काम में हुए अग्रणी भूमिका निभाते थे।
गुरु भक्ति का आलम यह था कि वे सैकड़ों किलोमीटर गुरु जी के साथ पद बिहार में रहकर अपनी गुरु की प्रति निष्ठा का भाव रखते थे वहीं के स्वकल्याण का मार्ग भी प्रशस्त किया करते थे।
मुझे याद है कि गोमटेश्वर बाहुबली के हाल ही में संपन्न हुए महामस्तिकाभिषेक के 20 दिन बाद जब में आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के दर्शन हेतु गोमटेश्वर से लगभग 80 किलीमीटर दूर एक छोटे से गांव में कुंदादि गिरी पर्वत के निकट पहुंचा तो मैंने देखा कि संजय जैन राजिम उनके साथ पैदल चलते चले आ रहे हैं। पूछा तो उन्होंने बताया कि विगत 20 दिनों से वह साथ में है। उनकी लगन के इस उदाहरण से उनके गुरु भक्ति को आंका जा सकता है कि राजिम से हजारों किलोमीटर दूर कर्नाटक के जंगल में गुरु जी के साथ पद बिहार कर उनकी सेवा में संलग्न रहना उनके गुरु भक्ति आंतरिक शुभभाव का ही दिग्दर्शन कराता है। जब भी उनसे मिलन हुआ गुरु भक्ति और समाज सेवा की चर्चा उन्होंने को।
कम उम्र 55 वर्ष की अल्पायु में उनके चले जाने पर सभी शुभ चिंतकों को हृदय से दुख हुआ है।
एक समाजसेवी के बिछड़ने को पीडा है। उनकी भव्य आत्मा के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए परिवार जनों के साथ संवेदना का भान है। दिवंगत आत्मा को उन्न गति प्राप्त ही एवं शोकाकुल परिवारजन इस बज्रपात को सहने की शक्ति रख सकें ईश्वर से प्रार्थना है। हार्दिक नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि के साथ उनके कम उम्र में चले जाने पर किसी ने सही ही कहा है
किसी को कुछ बरष की जिंदगी, सौ काम करती है।
किसी की सौ बरस की जिंदगी में, कुछ नहीं होता।।

नवापारा नगर की बेटियों ने समाज के लिए मिसाल कायम की है। पिता के निधन पर बेटे का फर्ज निभाते हुए अर्थी को कंधा तो दिया ही साथ ही साथ ही चिता को मुखाग्नि भी दी। बेटे ही नहीं बेटियां भी आज के समय में बेटों की तरह माता पिता के प्रति पूरा फर्ज निभाती हैं। बेटियाँ भी बेटों की ओर से की जाने वाली धार्मिक रस्मों को निभा रही हैं।
पहले पिता की चिता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता था। बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकतीं। इस रूढिवादी सामाजिक सोच से ऊपर उठकर बेटी अदिति, मुस्कान और श्रुति ने रविवार को अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। जब बेटियों ने अंतिम संस्कार किया तो वहां मौजूद हर एक शख्स की आँखें नम हो गई।
नवापारा नगर के स्थानीय दिगम्बर जैन समाज के सुश्रावक संजय राजू जैन का लंबी बीमारी के उपरांत 18 मई, रविवार को दोपहर 12.30 बजे देह परिवर्तन हुआ। उनका अंतिम संस्कार दोपहर 3.30 स्थानीय मुक्तिधाम में किया गया। संजय राजू जैन की तीन बेटियां अदिति, मुस्कान और श्रुति हैं। पिता की अंतिम इच्छा थी कि मेरी बेटियां ही मेरा अंतिम संस्कार करे। तीनों बेटियों ने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करते हुए विधि विधान पूर्वक पिता का अंतिम संस्कार किया।
बेटियों ने विधि-विधान के साथ निभाई रस्म
जब अंतिम यात्रा निकाली तो तीनों बेटियां, दोनों बहनें रजनी और रंजना तथा दामाद हिमांशु आगे आए और अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया। यही नहीं बेटियां घर से लेकर मुक्तिधाम तक पिता की शव यात्रा के साथ गई। श्मशान घाट में बेटियों ने पूरे रीति रिवाज के साथ पिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। वहीं बेटियों ने अपने दिल को कड़ा कर सभी रस्में निभाई। बेटियों ने कहा कि उनके पिता उन्हें बेटा ही मानते थे। आज उन्होंने अपने अधिकार को पूरा किया।
धर्मीनष्ठ होकर जीवन जिया
संजय राजू जैन का जीवन बहुत ही धर्म पूर्वक बीता। धर्म के प्रति उनकी विशेष रुचि थी। उन्होंने पट्टाचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज को अपना गुरु मानकर त्यागियों सा जीवन जिया। उन्होंने कुछ वर्षों तक समाज के बच्चों में संस्कार का बीजारोपण करने धार्मिक पाठशाला का भी कुशल संचालन किया। स्वयं स्वाध्याय करते थे और नियमित रूप से समाज के लोगों को स्वाध्याय करवाते थे। उनका सभी साधु संतों के प्रति अटूट सेवा भाव था। उनके आहार, विहार और निहार की सभी क्रियाओं में वे प्रथम पंक्ति में रहते थे। उनके निधन पर सामाजिक जनों के साथ साथ नवापारा नगर के नागरिकों ने भी शोक व्यक्त किया।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here