रायपुर (विश्व परिवार)। एम्स रायपुर द्वारा नेफ्रोलॉजी विभाग और योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग के सहयोग से किए गए एक शोध अध्ययन में यह प्रमाणित किया गया है कि एक विशेष रूप से तैयार की गई योग पद्धति, क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) से पीड़ित और पेरिटोनियल डायलिसिस (CAPD) पर निर्भर रोगियों के जीवन की गुणवत्ता (Quality of Life – QoL) में उल्लेखनीय सुधार ला सकती है।
यह अध्ययन भारतीय जर्नल ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित हुआ है और यह दर्शाता है कि योग, CKD रोगियों द्वारा झेली जा रही शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक कठिनाइयों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
डॉ. विनय राठौर, सहायक प्राध्यापक, नेफ्रोलॉजी विभाग, ने बताया कि CAPD पर रहने वाले मरीज अक्सर सामाजिक अलगाव, थकावट और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करते हैं।
जबकि एम्स रायपुर में उन्हें उच्च गुणवत्ता की डायलिसिस सेवा दी जा रही है, फिर भी मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए उन्हें अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है।
डॉ. विक्रम पाई, चिकित्सा अधिकारी (योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा), ने कहा कि यह अध्ययन इस बात की ओर इशारा करता है कि सरल एवं घर पर की जा सकने वाली योग पद्धति एक कम लागत वाली, संपूर्ण एवं सहयोगी चिकित्सा पद्धति के रूप में CKD रोगियों के दैनिक जीवन को बेहतर बना सकती है। हम इसी तरह के अध्ययन अब हेमोडायलिसिस पर रहने वाले और डायलिसिस पर न रहने वाले किडनी रोगियों पर भी कर रहे हैं। एम्स रायपुर के कार्यकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एम्स रायपुर पारंपरिक चिकित्सा और प्रमाण-आधारित योग जैसी उपचार पद्धतियों को एकीकृत करके मरीजों को समग्र स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।