Home धर्म 22 एवं23 मई दो दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा,जिन विम्वस्थापना तथा कलशारोहण विश्वशांति महायज्ञ

22 एवं23 मई दो दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा,जिन विम्वस्थापना तथा कलशारोहण विश्वशांति महायज्ञ

36
0

श्री सम्मैदशिखरजी (विश्व परिवार)। संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव विद्यासागरजी महामुनिराज एवं आचार्य श्री समयसागर महाराज के आशीर्वाद से गुणायतन प्रणेता मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज की प्रेरणा से श्री दिगंबर जैन सम्मेदाचल विकास कमेटी मधुवन श्री सम्मेदशिखर जी में दो दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा,जिनविम्वस्थापना, तथा कलशारोहण महामहोत्सव दिनांक 22 मई गुरुवार एवं 23 मई शुक्रवार को निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज मुनि श्री पवित्र सागर महाराज, मुनि श्री पूज्य सागर महाराज मुनि श्री अतुल सागर महाराज आर्यिकारत्न गुरमति माताजी, आर्यिकारत्न दृणमति माताजी स संघ तथा ऐलक श्री निश्चयसागर महाराज ऐलक श्री निजानंद सागर महाराज क्षु. श्री संयम सागर महाराज के संघ सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य वाल ब्र.अशोक भैया एवं इंदौर आश्रम के अधिष्ठाता अनिल भैया के निर्देशन में किया जा रहा है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं गुणायतन के मुख्य जन संपर्क अधिकारी वीरेंद्र जैन छावड़ा ने बताया 22 मई को प्रातः 5:45 बजे से अभिषेक एवं शांतिधारा गुणायतन स्थित जिनालय में होकर शोभायात्रा “श्री पावनधाम जिनालय” श्री सम्मेदाचल विकास कमेटी के कार्यक्रम स्थल तक पहुंचेगी एवं यंहा पर 7 बजे ध्वजारोहण, जाप्य अनुष्ठान,मंडपशुद्धी,नवीन वेदी शुद्धि, सकलीकरण,इन्द्र प्रतिष्ठा, अभिषेक शांतिधारा एवं पूजन होगी तथा मुनिसंघ आर्यिका संघ के मांगलिक देशना संपन्न होगी। इस शुभ मांगलिक अवसर पर गुणायतन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद काला,कार्याध्यक्ष एन, सी. जैन,महामंत्री अशोक पांडया सी. ई ओ सुभाष जैन,एन एल जैन,प्रद्युमन जैन,शैलेंद्र जैन, सिद्दार्थ जैन,कपूर जैन,निर्मल जैन सहित समस्त पदाधिकारियों ने समस्त श्रैष्ठी महानुभावों को आमंत्रित कर कार्यक्रम में पधारने का अनुरोध किया है। समस्त अतिथियों के आवास एवं भोजन व्यवस्था गुणायतन में की गई है।
प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने बताया प्रातः गुणायतन मंदिर परिसर में निर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज स संघ सानिध्य में संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागरजी महामुनिराज की अष्टदृव्य से पूजन की गयी तथा मुनि श्री के मुखारविंद से शांतिधारा एवं मांगलिक प्रवचन संपन्न हुये इस अवसर पर मुनि श्री ने कहा कि जैसे शिशु को पोषक तत्व दैना जरूरी होता है तभी शिशु की काया बलिष्ठ और स्वस्थ होती है ऐसे ही किसान अपने खेत में बींज को बोकर के उसमें खादपानी देता है तब फिर अंकुरण के पश्चात जो फसल आती है वह पुष्ट होकर आती है फसल आने के पहले अपने लहलहाते खेत को देखकर किसान को जो आनंद का सुःखद अहसास होता है वह किसान ही समझ सकता है,क्योंकि उसका परिश्रम पनप रहा है और जब उसकी फसल खेत से घर पर आ जाती है तो उसके चहरे की चमक बड़ जाती है। मुनि श्री ने कहा कि उपरोक्त संदर्भ में आचार्य गुरुदेव किसान कि इस सफलता को फिसलने पर फसल शव्द से सम्वोधित करते है,आचार्य गुरूदेव शव्दों के जादूगर थे,शब्दों का आपरेशन कर उसे जोड़ तोड़ करके एक नया अर्थ निकाल देते थे ऐसे शव्दों के प्रयोग से ही आचार्य श्री की साहित्य श्रंखला निकली है उसमें प्रमुख हिंदी भाषा में मूकमाटी महाकाव्य संग्रह है जिसमें ऐसे शव्दों का तथा हायकू का समीकरण किया गया है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है” आचार्य श्री शव्दों के पारखी एवं सारगर्भित प्रयोग करते थे।
आचार्य श्री ऐसे कई काव्यसंग्रह को लिखा जब पहली किताब श्रमण सग्गम् की सन्1975-76 कोलकाता के कल्याणमल झांझरी ने प्रकाशित कराई जो आज दस प्रतिमाओं के साथ अपनी साधना को कर रहे है।मुनि श्री ने 42 वर्ष पूर्व की स्मृतियों को संजोते हुये उस समय के समाज प्रमुखों का नाम लिया और कहा कि ये लोग राजस्थान से लेकर बुन्देलखण्ड तक पीछे लगे रहे मुनि श्री ने कहा कि दान धर्म करना तीर्थयात्रा कराना आसान है लेकिन खुद संयम का पालन कर परिवार को संयमित करना बहूत कठिन होता है उन्होंने कोलकाता के श्रावकों की बहूत तारीफ करते हुये कहा कि इनका पूरा गुरुप इधर उधर की बातें न करते हुये अपने पूरे समय का सदुपयोग करते थे। मुनि श्री ने अपनी यादों को ताजा करते 42 साल पूर्व की उन यादों को साझा किया एवं ऐलक दीक्षा से लेकर मुनि दीक्षा तक के कयी पलों को स्मरण कर उन सभी के परिवारों का नाम सहित उल्लेख कर आशीर्वाद प्रदान किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here