Home धर्म जिन शासन से बड़ी संसार की कोई विभूति नहीं है…मुनि जयकीर्ति

जिन शासन से बड़ी संसार की कोई विभूति नहीं है…मुनि जयकीर्ति

42
0
  • दस दिवसीय जैन रामायण कथा का तीसरा दिन – उमडे श्रद्धालु-सायंकाल हुई महाआरती एवं भक्ति संध्या में झूमे श्रद्धालु-
  • प्रतिदिन प्रातः 8.15 बजे से 10.15 बजे तक हो रहा आयोजन – 27 मई को होगा भव्य समापन

जयपुर (विश्व परिवार)। राजस्थान जैन युवा महासभा, जैन कनेक्ट, दुर्गापुरा जैन मंदिर ट्रस्ट एवं महिला मंडल दुर्गापुरा के संयुक्त तत्वावधान में दिगम्बर जैन मुनि जयकीर्ति के मुखारबिंद से गुलाबी नगरी जयपुर की पुण्य धरा पर पहली बार दुर्गापुरा के श्री दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्र प्रभजी में दस दिवसीय जैन रामायण कथा का आयोजन चल रहा है। कथा में तीसरे दिन मुनि जयकीर्ति महाराज ने वनवास में मुनियों पर उपसर्ग, सीता की मुनि भक्ति सहित जटायु का उद्धार प्रसंग पर प्रकाश डाला। इस मौके पर बडी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

दुर्गापुरा दिगम्बर जैन महिला मण्डल की अध्यक्ष रेखा लुहाड़िया एवं महामंत्री रानी सोगानी ने बताया कि रविवार, 18 मई से मंगलवार, 27 मई, 2025 तक प्राचीन जैन ग्रन्थ ‘पद्मपुराण’ पर आधारित जैन रामायण कथा के भव्य संगीतमय आयोजन मे तीसरे दिन मंगलवार को भगवान चन्द्र प्रभू के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन समाज श्रेष्ठी विनोद जैन कोटखावदा, वन्दन ग्रुप के रतन संघी, सुधीर जैन, सम्यक जैन प्रमिल गुप्ता एवं अन्य सभी अतिथियों ने किया।
ब्रह्मचारिणी पल्लवी दीदी द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया।

मुनि श्री जयकीर्ति महाराज के पाद पक्षालन समाज श्रेष्ठी नरेन्द्र – मुन्नी देवी, अतुल-शशि सोगानी, नमन – श्रुतिका सोगानी बापूनगर वालो एवं युवा समाजसेवी विनोद – दीपिका जैन कोटखावदा ने किया।
राजस्थान जैन सभा जयपुर के उपाध्यक्ष युवा समाजसेवी विनोद जैन कोटखावदा-दीपिका जैन कोटखावदा की 36 वीं वैवाहिक वर्ष गांठ पर समाज की ओर से स्वागत एवं सम्मान किया गया। इससे पूर्व कोटखावदा दम्पति ने मुनि श्री जयकीर्ति महाराज को श्रीफल भेट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस मौके पर आयोजन समिति की ओर से प्रदीप जैन,चेतन जैन निमोडिया,राहुल गोधा, कमलेश जैन, सुनील संघी, विमल गंगवाल,डॉ मनीष जैन ‘मणि’ जय कुमार जैन, रितु चांदवाड,रेखा लुहाड़िया, रेखा पाटनी, सीमा सेठी, मोना चांदवाड, प्रेम देवी बाकलीवाल, सुशीला काला, दीपिका गोधा आदि ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया।
इस मौके पर अतुल सोगानी, अशोक पाण्डया, रतन संघी, सुधीर जैन, सिद्धार्थ पाण्डया, प्रदीप जैन, विनोद जैन कोटखावदा, जी सी जैन, मनोज सोगानी, चेतन जैन निमोडिया आदि ने श्रीफल भेट कर मुनि श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।

तत्पश्चात कथा के मुख्य श्रोता राजा श्रेणिक के रुप में दुर्गापुरा दिगम्बर जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष समाज श्रेष्ठी प्रकाश चन्द-मनोरमा देवी चांदवाड दौसा वालो का गाजों बाजों के साथ सभागार में जयकारों के बीच आगमन हुआ।
राजा श्रेणिक परिवार प्रकाश चन्द – मनोरमा देवी, अनिल – मोना, संदीप – डिम्पल, सुनील – टीना चांदवाड परिवार द्वारा मुनि श्री को जिनवाणी भेट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात राजा श्रेणिक बने प्रकाश चन्द – मनोरमा देवी चांदवाड ने मुनि श्री से प्रश्न किया मुनि श्री द्वारा समाधान के रुप में रविषेणाचार्य द्वारा रचित प्राचीन जैन ग्रन्थ ‘पद्मपुराण’ में उल्लेखानुसार जैन रामायण कथा का वाचन प्रारम्भ किया।

गुरुदेव के मुखारविंद से राम कथा के तीसरे दिन मधुर संगीत और मधुर आवाज ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया….कथा के दौरान जैन धर्म की महानता के अद्भुत प्रसंग आये…..कपिल ब्राह्मण की दरिद्रता दूर हुई कपिल ब्राह्मण का मुनिराज से धर्मोपदेश सुनने के बाद पूरा जीवन ही परिवर्तित हो गया और उसने अपनी पत्नी को भी सारे उपदेश सुनाएं और दोनों ने अणुव्रत को अंगीकार किया और फिर प्रभु श्री राम से मिलने के बाद में उनकी दरिद्रता दूर हो गई और फिर बहुत पश्चाताप होने के बाद में उन्होंने “अरिहंत नाम के रसायन” को प्राप्त करके “जिनदीक्षा ” लेने का निर्णय किया और अपने जीवन को धन्य करके जिन शासन के पथ पर आरूढ़ हो गए…..और उधर लक्ष्मण का विवाह वरमाला के साथ में हुआ राम और लक्ष्मण का अतिवीर्य राजा के साथ में युद्ध हुआ और अतिवीर्य राजा को जिनमंदिर को देखकर वैराग्य हों गया…

राम लक्ष्मण आगे बढ़ते हुए वंशधर पर्वत पहुँच गये बहुत भयानक जंगल था डरावनी आवाजो से सीता भी डर गयी और एक बाण छोड़ा तों सभी अग्निकुमार देव वहां से चले गये और पूरा शांत वातावरण हों गया हुए वही पर बैठे हुए दो मुनिराज ” देशभूषण और कुलभूषण ” का उपसर्ग दूर हुआ मुनीराज की पूजा भक्ति की और उनको केवलज्ञान प्राप्त हो गया फिर मुनिराज ने धर्मोपदेश दिया….आगे बढ़ते हुए दोनों ने भरत के राज्य की सीमा को पार कर दिया और और फिर एक नगर के बाहर उन्हें प्रवेश किया फिर सभी ने आराम किया और फलों का आहार किया फिर सीता के मन में मुनिराज को आहार दान देने की भाव जागृत हुए उसी समय वहां पर दो मासोपवासी चारण ऋद्धिधारी गुप्ती और सुगुप्ति नामक दो मुनिराज आकाश मार्ग से आते हुए दिखे उनका पड़गाहान किया पादक्षालन किया और आहार दान दिया आहार दान के प्रभाव से पंचआश्चर्य हुवा |इस समय एक कुरूप गिद्ध पक्षी ने वहां से जाते हुए मुनिराज के पाद पक्षालन का जल पी लिया और जैसे ही जल पिया उसका शरीर रत्नमय हो गया सुंदर हो गया पँख सोने के हों गये और उसका नाम ” जटायु “रख दिया और जटायु को जातिस्मरण हों जाने से बहुत पश्चाताप हुआ और उसने मुनिराज से पूर्व भव का वृतांत सुना और फिर अणुव्रत धारण कियें……..

हमें यह सीख मिलती है कि अपने जीवन में चाहे कितना भी धन ऐश्वर्य वैभव क्यों न हो लेकिन जिन शासन से बड़ी संसार की कोई विभूति नहीं है…. जिन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है और हमारे मुनिराज जो प्राणी मात्र का कल्याण करते हैं उनसे दयालु और कोई नहीं प्रभु श्री राम भी आगे बढ़ते बढ़ते अनेक जीवों का कल्याण करते हुए अनेक साधु भगवंत का उपसर्ग दूर करते हुए अतिशय पुण्य कमाते हुए आगे बढ़ रहे हैं.

आज की इस धर्म सभा में कई नीतियाँ गुरुदेव ने बतलायी जैसे जो देव शास्त्र गुरु के समक्ष भक्ति से नाचते है उन्हें संसार के सामने नहीं नाचना पड़ता है।
धन वही ज़ो धर्म के साथ रहता है धन वह नहीं है जो धर्म को छोड़कर रहता है वह धन मिट्टी के बराबर है जो धर्म से रहित है और धन थोड़ा हो या अधिक हो वह धर्म के साथ है तो सोने से भी क़ीमती है।

गुरु की किसी भी विद्या अथवा कला को सीखने के लिए उस विद्या उस कला में अंदर तक डूबना पड़ता है तल्लीन होना पड़ता है तभी वह विद्या और कला प्राप्त होती है
धर्मों रक्षते रक्षतः यतो धर्मों स्ततो जय।
संसार में सभी अवसर कई बार मिल सकते है लेकिन साधु सेवा का अवसर जो तन मन धन और भावों को समर्पित करके अवसर हासिल किया जाता है उस अवसर की तुलना इस संसार में और कई नहीं जितने विश्वास के साथ साधु की सेवा की जाती है उतना ही फल सेवा का प्राप्त होता है
जितना समर्पण साधु के प्रति किया जाता है उतनी ही कृपा साधु की प्राप्त होती है।
मुनि श्री ने गद्य एवं पद्य के माध्यम से मांगी तुंगी तीर्थ से मोक्ष गये जैन धर्म के आठवें बलभद्र श्री रामचन्द्र के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला।

प्रातः 11.30 बजे कथा का समापन हुआ ।मंच संचालन कर रहे राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने सायंकालीन एवं बुधवार को होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी।
आभार विनोद जैन कोटखावदा, राजेन्द्र काला एवं अनुज जैन ने व्यक्त किया।
राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप जैन एवं महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि सायंकाल 7.00 बजे राजा श्रेणिक परिवार प्रकाश चन्द – मनोरमा देवी, अनिल – मोना, संदीप – डिम्पल, सुनील-टीना चांदवाड परिवार दौसा वाले एवं उपस्थित सैकडो श्रद्धालुओं द्वारा जिनेन्द्र देव की आरती के बाद मुनि श्री की भव्य आरती की गई।

गुरु भक्ति के आयोजन के बाद पदमप्रभू चालीसा का पाठ, आध्यात्मिक एवं संदेशात्मक भजनों की प्रस्तुति दी गई।
राजस्थान जैन युवा महासभा के जिला अध्यक्ष संजय पाण्डया एवं जिला मंत्री सुभाष बज के अनुसार जयपुर से पूर्व पद्मपुराण पर आधारित जैन रामायण कथा संगीतमय का आयोजन मुम्बई, नागपुर, पटना सहित अन्य कई शहरों में किया जा चुका है। कथा के संगीतमय आयोजन के लिए कर्नाटक से संगीतकारों की टीम बुलाई गई है ।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here