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राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की जमीनी भागीदारी को सशक्त करने के लिए तमिलनाडु और पुडुचेरी के बीएलए का प्रशिक्षण ईसीआई द्वारा प्रारंभ

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नई दिल्ली (विश्व परिवार)। भारत निर्वाचन आयोग ने आगामी निर्वाचनों के मद्देनज़र तमिलनाडु और पुडुचेरी के बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) का प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। भारत के 11 राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के 229 बीएलए (बीएलए-I और बीएलए-II) नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (IIIDEM) में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। यह पूरा प्रशिक्षण कार्यक्रम अंग्रेज़ी और तमिल भाषाओं में द्विभाषिक रूप से आयोजित किया गया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत में बीएलए को संबोधित किया और निर्वाचन प्रक्रिया में बीएलए की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्हें लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951, मतदाता पंजीकरण नियम, 1960, निर्वाचन संचालन नियम, 1961 तथा समय-समय पर आयोग द्वारा जारी मैनुअल, दिशा-निर्देश और निर्देशों के अनुसार अपने उत्तरदायित्वों को निभाने में सहायता करेगा। यह IIIDEM में आयोजित दूसरा ऐसा प्रशिक्षण सत्र है। पहला प्रशिक्षण सत्र बिहार के बीएलए-I के लिए 16-17 अप्रैल, 2025 को आयोजित किया गया था।इंटरएक्टिव सत्रों के माध्यम से बीएलए को उनकी नियुक्ति, भूमिका और कानूनी ढांचे के तहत उनके उत्तरदायित्वों की जानकारी दी गई। बीएलए की नियुक्ति राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों द्वारा की जाती है और वे आरपी अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के अनुसार त्रुटिरहित निर्वाचक नामावलियों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बीएलए को अंतिम प्रकाशित निर्वाचक नामावली से असंतुष्ट होने की स्थिति में आरपी अधिनियम, 1950 की धारा 24(क) और 24(ख) के तहत प्रथम और द्वितीय अपील की व्यवस्था के बारे में भी जानकारी दी गई। निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के साथ संवाद भी शुरू किया है। इससे पूर्व आयोग द्वारा कुल 4,719 सर्वदलीय बैठकें आयोजित की गई हैं, जिनमें 40 बैठकें मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों (सीईओ), 800 जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) और 3,879 निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ईआरओ) द्वारा की गईं, जिनमें विभिन्न राजनीतिक दलों के 28,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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