Home छत्तीसगढ़ संघ को करीब से समझने का मौका मिला-अरविंद नेताम

संघ को करीब से समझने का मौका मिला-अरविंद नेताम

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  • अगर समाज का अस्तित्व खतरे में है, तो जो भी मदद करेगा, हम उससे सहायता लेंगे

रायपुर (विश्व परिवार)। पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रमुख आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद आज एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने ऋऋस् प्रमुख मोहन भागवत को कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया और संघ की कार्यशैली की सराहना की. नेताम ने कहा कि यह पहली बार था जब उन्हें संघ के कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला, जिससे उन्हें संघ को करीब से समझने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ उनकी खुली और सार्थक बातचीत हुई, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई. विशेष रूप से, संघ और आदिवासी समाज के बीच वैचारिक दूरियों को कम करने के उपायों पर विचार-विमर्श हुआ. नेताम ने संघ से आग्रह किया कि आदिवासी समाज में एकजुटता की कमी को दूर करने के लिए कोई रास्ता निकाला जाए, उन्होंने कहा, कांग्रेस के दौरान लाए गए उदारीकरण ने आदिवासी समाज के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी. जब देश में सारी आशाएं खत्म हो जाती हैं, तो संघ ही एकमात्र स्थान बचता है जो मदद कर सकता है।
नेताम ने कहा कि यह पहली बार था जब उन्हें संघ के कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला, जिससे उन्हें संघ को करीब से समझने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ उनकी खुली और सार्थक बातचीत हुई, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा को गई, विशेष रूप से, संघ और आदिवासी समाज के बीच वैचारिक दूरियों को कम करने के उपायों पर विचार-विमर्श हुआ।
नेताम ने संघ से आग्रह किया कि आदिवासी समाज में एकजुटता की कमी को दूर करने के लिए कोई रास्ता निकाला जाए, उन्होंने कहा, कांग्रेस के दौरान लाए गए उदारीकरण ने आदिवासी समाज के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी. जब देश में सारी आशाएं खत्म हो जाती हैं, तो संघ ही एकमात्र स्थान बचता है जो मदद कर सकता है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संघ आदिवासियों को ‘वनवासी’ कहता रहा है, जिसका वे विरोध करते हैं। हालांकि, उनके दबाव के बाद अब संघ ने ‘आदिवासी’ शब्द का उपयोग शुरू किया है. नेताम ने बताया कि पहले वे डीलिस्टिंग (अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाने) के खिलाफ थे, लेकिन अब धर्मांतरण को रोकने के लिए उन्होंने इस मुद्दे पर सहमति जताई है. आदिवासी समाज के जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के मुद्दे को भी नेताम ने संघ के सामने रखा. उन्होंने कहा, अगर समाज का अस्तित्व खतरे में है, तो जो भी इस पर मदद करेगा, हम उससे सहायता लेंगे।

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