रायपुर (विश्व परिवार)। ग्यारहवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर वैश्विक स्तर पर योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है । इसी श्रृंखला में आज, दूरदर्शन केन्द्र परिसर, शंकर नगर, रायपुर के ट्रांसमिशन हॉल में अपराह्न 04.00 बजे एक योग पूर्वाभ्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस पूर्वाभ्यास कार्यक्रम में दूरदर्शन केन्द्र, पत्र सूचना कार्यालय और केन्द्रीय संचार ब्यूरो के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया । इस अवसर पर भारतीय योग संस्थान, रायपुर के योगाचार्य श्री मुकेश सोनी ने योग संबंधी विस्तृत जानकारी दी ।
योगाचार्य ने बताया कि योग पूर्वाभ्यास में निरंतरता अत्यंत आवश्यक है क्योंकि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन का माध्यम भी है। नियमित योगाभ्यास से शरीर लचीला, स्वस्थ और ऊर्जावान बनता है, वहीं मन शांत, एकाग्र और स्थिर रहता है। यदि अभ्यास में रुकावट आती है, तो न केवल लाभों में कमी आती है, बल्कि पहले से प्राप्त संतुलन भी प्रभावित हो सकता है। उन्होंने बताया कि निरंतरता से शरीर धीरे-धीरे योगासनों के अनुरूप ढलता है और सांस-प्रश्वास की तकनीकों में दक्षता आती है। योग एक प्रक्रिया है, जिसमें समय के साथ सुधार होता है। यदि बीच में अभ्यास छोड़ा जाए, तो मांसपेशियाँ पुनः जकड़ सकती हैं और मानसिक लाभों में कमी आ सकती है। इसके अतिरिक्त, नियमित योग मन में अनुशासन, आत्मनियंत्रण और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और जीवनशैली विकारों जैसे तनाव, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि से बचाव करता है।
श्री सोनी ने बताया अतः योग में निरंतरता न केवल योग कौशल में प्रगति लाती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी समृद्ध करती है। यह शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। योग अभ्यास में निरंतरता का महत्व केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। योग की अवधारणा ही “युज” धातु से बनी है, जिसका अर्थ है जोड़ना, अर्थात् आत्मा का परमात्मा से, शरीर का मन से और व्यक्ति का ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़ाव। यह जुड़ाव तभी संभव है जब योग को जीवनशैली का हिस्सा बनाकर निरंतर अभ्यास किया जाए।
योग में निरंतरता के लाभ बताते हुए श्री सोनी बताया कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ: नियमित अभ्यास हृदय, फेफड़े, पाचन और स्नायु प्रणाली को मजबूत बनाता है। यह बढ़ती उम्र की प्रक्रिया को धीमा करता है। मनोवैज्ञानिक सुदृढ़ता: नियमित योग तनाव, चिंता और अवसाद से निपटने में मदद करता है। यह ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से मन की चंचलता को नियंत्रित करता है।
योगाचार्य ने कहा कि आध्यात्मिक जागरूकता: योगाभ्यास के साथ निरंतर ध्यान, आत्मनिरीक्षण और साधना से आत्मबोध की प्रक्रिया शुरू होती है, जो जीवन में स्थायित्व और संतुलन लाती है। जीवनशैली में अनुशासन: योग एक सतत प्रक्रिया है जो समयबद्धता, आहार संतुलन, नींद और विचारों में स्वच्छता लाने में मदद करती है। योगाभ्यास को यदि लंबे समय तक, निरंतर और श्रद्धा से किया जाए, तभी वह गहराई से फलित होता है। इसलिए यदि कोई योग से संपूर्ण लाभ प्राप्त करना चाहता है, तो उसे इसे एक दिनचर्या की तरह अपनाना होगा, न कि केवल उत्सव या विशेष अवसरों तक सीमित रखना चाहिए। निरंतर योग अभ्यास न केवल शरीर को स्वस्थ बनाता है, बल्कि अंततः व्यक्ति को आत्मा की ओर जागरूक भी करता है।