Home रायपुर भगवान केवल भाव के भूखे होते हैं : पंडित चंद्रशेखर त्रिपाठी

भगवान केवल भाव के भूखे होते हैं : पंडित चंद्रशेखर त्रिपाठी

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रायपुर (विश्व परिवार)। संसार में व्यक्ति जिस भी भगवान अपने ईष्ट की आराधना करता है,मूल में वह सत्य की ही आराधना करता है। भगवान के अनेक रूप हैं,भक्त के भाव ही भगवान को खींच लाते हैं। भगवान को भाव से ही पाया जा सकता है,जिन्हें बाल रूप में चाहिए उन्हें लड्डू गोपाल मिलते हैं,जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम चाहिए उन्हें भगवान राम मिलते हैं। भगवान केवल भाव के भूखे हैं, जो भी भक्त भगवान को भाव से पुकारता है भगवान उनके घर आते हैं। जिस प्रकार शबरी के घर प्रभु राम आए,वह शबरी के भगवान राम के प्रति भाव ही था। यह बातें गुरुवार को आनंदम वर्ल्ड सिटी में भागवत कथा के दूसरे दिवस कथा व्यास पंडित चंद्रशेखर त्रिपाठी ने व्यक्त किए।

कथा व्यास पंडित त्रिपाठी ने कथा का शुभारंभ मंगलाचरण से किया। उन्होंने बताया कि तीन श्लोक में भागवत जी का मंगलाचरण हुआ है। इसमें पहले श्लोक में बताया गया है कि हमें किसका ध्यान करना चाहिए, दूसरे में बताया गया है कि किसका गान करना चाहिए और तीसरे में बताया गया है कि किसका पान करना चाहिए। श्लोकों का सार बताते हुए कथा व्यास ने कहा कि हमें सदैव भगवान का ध्यान करना चाहिए। हमें सदैव सत्य स्वरूप परमात्मा का गान करना चाहिए और भागवत कथा का रसपान करना चाहिए।
कथा व्यास पंडित त्रिपाठी ने कहा कि भगवान की कथा का श्रवण करने से सारे पाप मिट जाते हैं।

कथा व्यास ने कहा कि पंडित त्रिपाठी ने कहा कि भगवान की कथा का श्रवण करने से सारे पाप मिट जाते हैं। मनुष्य का परम धर्म है सबसे पहले भगवान की बगैर हेतु (उद्देश्य) की भक्ति करना चाहिए। मन में कोई मोह, लोभ नहीं होना चाहिए। आज घर तो सभी आलीशान चाहते हैं और बनाते हैं, परंतु घर में एक मंदिर के लिए जगह कम पड़ती है। सभी भगवान से घर,गाड़ी, धन आदि की चाह रखते हैं लेकिन उसी घर में भगवान का स्थान छोटा हो जाता है और कमरों और किचन का साइज बड़ा हो जाता है। हमें भगवान की भक्ति में मन लगाना चाहिए,भगवान कुछ वस्तु देने के लिए नहीं है हमें सद्गति प्रदान करने के लिए हैं।

पंडित त्रिपाठी ने कहा कि इस सृष्टि के सबसे पहले भगवान हमारे माता-पिता है, जिन्होंने हमें धरती पर लाया है। हमें प्रतिदिन प्रातः प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद गुरु की वंदना करनी चाहिए, क्योंकि गुरु ही आपको सदमार्ग बताते हैं। इस संसार में आप अनेक मकड़ जाल में फंसे हैं। गुरु ही इससे रक्षा करते हैं। इस संसार के भवसागर को पार तभी करेंगे जब कोई सद्गुरु प्राप्त होगा और सद्गुरु तभी मिलेगा जब आपके मन में भगवान को प्राप्त करने की दृढ़ इच्छा होगी,तभी आप सद्गति की ओर अग्रसर होंगे। परीक्षित जी ने भगवत प्राप्ति का दृढ़ संकल्प लिया और गंगा जी के पास पहुंचे तभी उन्हें सुखदेव जी मिले थे।
आनंदम वर्ल्ड सिटी में सरावगी परिवार की ओर से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के दूसरे दिन के मुख्य जजमान शंकरलाल अग्रवाल थे। मुख्य जजमान सहित श्री दिलीप, डॉक्टर विनीत श्रीवास्तव,एसके माथुर, सुमित अग्रवाल, रजनीकांत शुक्ला ने कथा व्यास पंडित चंद्रशेखर त्रिपाठी एवं श्रीमद् भागवत कथा का माल्यार्पण कर सम्मान किया। भागवत भगवान की आरती मुख्य जजमान सहित कथा पंडाल में उपस्थित सभी भक्तों ने की।

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