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दुर्लभ बीमारी एंटी फॉसफालिपिड सिंड्रोम से पीड़ित महिला का एम्स में सफल प्रसव

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  •   पूर्व में चार बार गर्भपात हो चुका था, एम्स के चिकित्सकों की निगरानी में ऑपरेशन, दोनों स्वस्थ
  • एक लाख की जनसंख्या में 50 रोगियों को होने की संभावना, एम्स में फिलहाल 20 रोगियों का उपचार

रायपुर (विश्व परिवार)अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तीन विभागों के चिकित्सकों ने मिलकर दुर्लभ ह्यूमेटोलॉजी डिसआर्डर एंटी फॉसफालिपिड सिंड्रोम से पीड़ित महिला का सफलतापूर्वक प्रसव कराया है। रायपुर के एक प्रतिष्ठित कालेज में शिक्षिका यह महिला रोगी और उसकी नवजात पुत्री दोनों स्वस्थ हैं और इन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

39 वर्षीय यह शिक्षिका मस्तिष्क से गले में आ रही एक नस में रक्त के थक्के होने के कारण रोगग्रस्त थी। यह पूर्व में चार बार गर्भवती हो चुकी थी परंतु दुर्लभ बीमारी के कारण उनका गर्भपात हो गया। एक बार सात माह के गर्भ का ही सिजेरियन करना पड़ा। महिला रोगी ने छह माह पूर्व एम्स के गायनोकोलॉजी विभाग और मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों से संपर्क किया। उस समय महिला दो माह की गर्भवती थी। एम्स के चिकित्सकों ने उनका उत्साहवर्द्धन करते हुए अपनी निगरानी में उन्हें चिकित्सा सेवाएं प्रदान की। इस दौरान उन्हें छह महीने तक प्रतिमाह लगभग एक लाख रुपये कीमत का इंजेक्शन भी लगाया गया जो एम्स में इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित रोगियों को निःशुल्क प्रदान किया जाता है।

मेडिसिन विभाग के ह्यूमेटोलॉजिस्ट डॉ. जॉयदीप सामंता और गायनी विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विनिता सिंह के निर्देशन में इस महिला का उपचार किया गया। रोगी को ब्लड थिनर और इंजेक्शन के माध्यम से स्थिर रखने का प्रयास सफल रहा। पांच दिन पूर्व महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया जिसे नियोनेटोलॉजी विभाग के डॉ. फाल्गुनी पाढ़ी के निर्देशन में रखा गया। अब महिला और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

डॉ. जॉयदीप ने बताया कि एंटीफॉसफालिपिड सिंड्रोम ऑटो इम्यून रोग है। इसके युवा महिलाओं को होने की ज्यादा संभावना होती है। यह बीमारी एक लाख लोगों में से 50 को होने की संभावना होती है। रोगी को रक्त के थक्के जमा हो सकते हैं और गर्भावस्था में परेशानी हो सकती है। वर्तमान में इसके 20 रोगी एम्स में चिकित्सा प्राप्त कर रहे हैं। इस बीमारी का जीवनभर रक्त थिनर के माध्यम से इलाज होता है।

डॉ. विनिता सिंह ने बताया कि इस प्रकार के दुर्लभ रोग से ग्रस्त महिलाएं एम्स के महिला रोग विभाग में नियमित रूप से आ रही हैं। विभिन्न विभागों के समन्वय से इन महिला रोगियों का सफलतापूर्वक प्रसव सुनिश्चित किया जा रहा है। मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. विनय पंडित ने कहा है कि ह्यूमेटोलॉजी रोगों के संबंध में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। इन रोगों के लिए विभाग में सभी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।

कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (रिटा) ने चिकित्सा प्रदान करने वाले तीनों विभागों के चिकित्सकों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि परस्पर समन्वय से इस प्रकार की जटिल बीमारियों से ग्रस्त रोगियों को त्वरित उपचार प्रदान करना सराहनीय पहल है।

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