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हर्षोल्लास के वातावरण में त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर में सिद्ध महामण्डल विधान का हुआ समापन

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श्रुतसंवेगी श्रमण श्री 108 आदित्य सागर मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित
रंगों से नही रंग बदलने वालों से डरों —108 आदित्य सागर महाराज

कोटा(विश्व परिवार) सिद्ध महामण्डल विधान हर्षोल्लास के मंगल मय वातावरण में आर के पुरम त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर में सम्पन्न हुआ। मंदिर अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि शाश्वत अष्टान्हिक महापर्व के तहत सिद्धशिला पर विराजमान सिद्ध परमेष्ठी के 1024 गुणों की पूजा अर्घ्य देकर पूजा सम्पन्न की गई।
प्रतिष्ठाचार्य डॉ.अभिषेक जैन ने सम्पूर्ण अनुष्ठान संगीतमय कराकर भक्तिभाव से 8 दिवसीय श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान एवं विश्वशांति महायज्ञ श्रुतसंवेगी श्रमण श्री 108 आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में सम्पन्न करवाया। समापन दिवस पर सर्वप्रथम पाण्डु शिला में 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर को विराजमन कर स्वर्ण कलशों से अभिषेक एवं शांतिधारा कर नित्य नियम पूजा से की गई। साथ ही भगवान के 1008 सहस्त्र नाम का की वृहद शांति धारा का वाचन मंत्रोचार के साथ किया गया इसके बाद सम्पूर्ण विश्व में शांति सौहार्द शांति बने रहे इसलिए विश्वशांति महायज्ञ का आयोजन किया गया था जिसमे चौबीस तीर्थंकर कुंड, गौतम गणधर कुंड एवं पंच परमेष्ठी कुंड बनाए गए। सचिव अनुज जैन ने बताया कि प्रातकाल विशालशोभा यात्रा का आयोजन मंदिर परिसर से आर के पुरम क्षेत्र में किया गया। जहां रथो पर विराजित होकर भगवान चांदी की पालकी निकले उनके पीछे रथों पर इंद्र—इंद्राणी व अन्य जैन समाज के लोग बडी संख्या में निकलें।
हवन कुंडो में अग्नि प्रज्वलित कर ऋषि मंडल, पंच परमेष्ठी, चौबीस तीर्थंकर, विदेह क्षेत्र के बीस तीर्थंकर, चौसठ ऋद्धि मंत्रो की आहुतियां दी गई। हवन कुंड में घी, धूप, कपूर, समिधा, गोला आदि डालकर आहुतियां दी गई। हवन कुंड से निकली सुगंध से बड़ा मंदिर का संपूर्ण जिनालय भक्ति भाव से महक उठा।

लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मानित
सभा के उपरान्त आचार्य आदित्य सागर जी महाराज को लंदन की संस्था द्वारा मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित किया गया। गुरूवर किसी सम्मान को हाथ नहीं लेते है अत: दिगम्बर जैन समाज के पदाधिकारी एवं मंदिर समिति के लोगो ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।
संस्था के इंडिया सी.ई.ओ.कृष्ण कुमार उपाध्याय ने कहा के ये संस्था के लिए गौरव का क्षण है जो आचार्य आदित्य सागर जी जैसे संत ने ये पुरस्कार स्वीकार किया।आध्यात्मिक गुरु और धर्म प्रेरणास्त्रोत आचार्य आदित्य सागर जी को समाज और युवाओं में नई सोच और चेतना लाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।इस अवसर पर राजमल पाटोदी,संजय जैन,विनोद जैन टोरडी,महावीर डुंगरवाल ,लोकेश बरमुडा,दीपक जैन ,पंकज जैन,प्रकाश जैन,राजकुमार वैद,अशोक पाटनी सहित बडी संख्या लोग उपस्थित रहे।

रंग बदलने वालों से डरों
श्रुतसंवेगी श्रमण श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि नीतिकार कहते है कि त्यौहार व व्यवहार पर हमेंशा विचार करना चाहिए। जिनका व्यवहार नहीं है उसका त्यौहार का विशेष महत्व नहीं होता है,न ही कोई कीमत होती है। उन्होने कहा कि कुछ व्यक्ति मौसम से अधिक बदल जाते है मौसम अपने निश्चित समय पर परिवर्तित होते है। इसलिए होली पर रंग बदलने वालो से सावधान रहें रंगो से नहीं। जो लोग बदल जाते है यदि फिर आपके जीवन मे आ रहे तो आपकी परिस्थितियों को देखकर आते है।

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