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काशी विश्‍वनाथ मंदिर में बंद होगी यह पूजा, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बड़ा फैसला

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(विश्व परिवार)-काशी विश्वनाथ मंदिर में अब मन्नत की हौद भराई पूजा पर रोक लगा दी गई है. मंदिर प्रशासन ने इस निर्णय को तत्‍काल प्रभाव से लागू कर दिया है. साथ ही मंदिर के ऑनलाइन पोर्टल के जरिए की जाने वाली पूजा बुकिंग में हौद भराई पूजा की बुकिंग भी बंद कर दी है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए और उन्‍हें जल्‍दी सहजता से बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन हो सकें, इसके लिए यह निर्णय लिया गया है. इसके अलावा प्रशासन ने मंदिर आने वाले भक्‍तों की सुविधा के लिए कुछ अन्‍य निर्णय भी लिए हैं |

क्‍या है हौद भराई पूजा?

काशी विश्वनाथ मंदिर में एक परंपरा चली आ रही थी जिसमें शिवलिंग की जो हद होती थी यानि चारों तरफ की दीवार उसमें दूध भरा जाता था. जिससे व्यावहारिक रूप से लोगों को दर्शन करने में दिक्कत होती है और यह परंपरा कोई पौराणिक पूजा नहीं है. लिहाजा अब इसे बंद किया जा रहा है. बाबा का अरघा दूध से भरा जाता है इसमें करीब 500 लीटर से अधिक दूध आता है. आमतौर पर कोई मन्‍नत पूरी होने पर भक्‍त ये पूजा कराते थे. इस पूजा में करीब 25 हजार रुपये खर्च होते थे |

शास्‍त्रीय नहीं है यह पूजा 

मंदिर में भीड़ के कारण हौद भराई की पूजा से श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन करने में परेशानी होती थी. श्रद्धालुओं की शिकायत के बाद मंदिर प्रशासन ने जब इसकी जांच कराई तो पता चला कि हौद भराई की परंपरा शास्त्रीय नहीं है. इसलिए अब इसे बंद किया जा रहा है. अब श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की वेबसाइट पर महादेव पूजा के कॉलम में केवल 13 प्रकार की पूजा की बुकिंग ही हो सकेगी |

काशीवासियों के लिए खास इंतजाम 

इतना ही नहीं काशी में रहने वाले लोग रोजाना श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर सकें इस‍के लिए भी विशेष इंतजाम किए जाएंगे. इसके तहत परिसर में काशीवासियों के प्रवेश के लिए अलग से प्रवेश द्वार बनाया जाएगा. इससे स्थानीय श्रद्धालुओं को दिक्कत नहीं आएगी. हालांकि सुरक्षा मानकों के अनुरूप छानबीन के बाद ही किसी भी काशीवासी को इस द्वार से प्रवेश मिलेगा. इसके लिए काशीवासियों को पहचानपत्र दिए जाएंगे. दरअसल, काशी में रहने वाले कई श्रद्धालुओं का रोजाना बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन का नियम है. ऐसे में इन लोगों को रोजाना आसानी से दर्शन हो सकें इस‍के लिए मंदिर प्रशासन अलग से व्‍यवस्‍था कर रहा है. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को गंगा द्वार, ढुंढिराज, गेट नंबर चार और सरस्वती फाटक द्वार से प्रवेश दिया जाता है |

गर्मी में नहीं जलेंगे 

इसके अलावा गर्मी में श्रद्धालुओं के पैर ना जलें इसके लिए मथुरा से मोटी मैट मंगवाई जा रही है. इस मैट पर चलकर श्रद्धालु गर्भगृह तक जाएंगे और बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन-पूजन करेंगे. ठंडक बनाए रखने के लिए मैट पर थोड़ी-थोड़ी देर में पानी डाला जाएगा |

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