रायपुर(विश्व परिवार)। श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी में हाइब्रिड मोड माध्यम से अर्थशास्त्र विभाग कला संकाय द्वारा आयोजित कार्यशाला में 200 से अधिक विद्यार्थी और शोधकर्ता हुए शामिल। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रोफेसर रविन्द्र के ब्राह्मे और प्रोफेसर गोवेर्धन भट्ट रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया तत्पश्चात अतिथियों के स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एस.के.सिंह और कुलसचिव डॉ. सौरभ कुमार शर्मा द्वारा किया गया।
अपने स्वागत उद्बोधन में कुलपति प्रोफेसर एस.के.सिंह ने अपने विचार व्यक्त कर कहा कि मार्गदर्शक सिद्धांत के लिए आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का यह आयोजन भारतीय ज्ञान प्रणाली, प्राचीन ज्ञान, बुद्धिमत्ता एवं विभिन्न नवीन शैक्षणिक प्रणालियों के लिए एक विस्तृत श्रृंखला है।
डीन ऑफ़ आर्ट्स डॉ.मनीष पाण्डेय ने बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ज्ञान परंपरा का वास्तविक महत्व बढ़ाना है। नई शिक्षा नीति के संपूर्ण पाठ्यक्रम में भारतीय परम्परा के कार्य्वयन को समझना है । भारतीय ज्ञान प्रणाली औपचारिक रूप से जीवंत परंपरा है जिसको हम रोज अपने दैनिक जीवन में अपनाते है जो हजारों वर्ष पुरानी पद्धति है।
आई. के.एस सेटर पं.रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय रायपुर के निदेशक मुख्य अतिथि प्रोफेसर रविन्द्र के ब्राह्मे ने अपने उद्बोधन में कहा है कि भारतीय ज्ञान परंपरा बहुत रोचक विषय है जिससे भारतीय ज्ञान का भविष्य में वृहद रूप से अनुसंधान सामने आएंगे। भारतीय ज्ञान परम्परा के आधार पर हमारी सोच का निर्माण हुआ हैं और इस ज्ञान का प्रयोग आर्थिक विकास के लिए सदेव होगा। प्राचीन समय मे आज से दो हजार साल पहले दुनिया के अर्थव्यवस्था को 25 से 30 प्रतिशत का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था से होता था और आधुनिक युग में आधुनिक सिद्धांतों का आधार हमारा भारतीय ज्ञान प्रणाली हैं । भारतीय ज्ञान परंपरा का सामाजिक और आर्थिक विकास में सहयोग रहेगा।
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में प्रोफेसर गोवेर्धन भट्ट सिविल इंजीनियरिंग विभाग, एनआईटी ने कार्यशाला में बताया कि पानी भोजन से भी अधिक महत्पूर्ण है। पानी ही इन सभी रूपों को ग्रहण करता है और पानी ही मध्यस्थता करता है। पानी सभी प्रकार के जीवन के लिए आवश्यक है। पानी जो ब्रह्मांड में बना है। उन्होंने वैदिक ऋचाओं और सूक्तों के उधारण देते हुए बताया कि बारिश का पानी हमेशा अमृततुल्य है ,इसकी तुलना हम धरती पर उपलब्ध कोई भी अन्य स्वादिष्ट पेय पदार्थ जैसे दूध घी से कर सकते हैं।
यूनिवर्सिटी के कुल सचिव डॉ. सौरभ कुमार शर्मा ने इस समारोह पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज यह एक दिवशी राष्ट्रीय पाठशाला प्राचीन सनातन विषय पर चिंतन एवं मठ करने के लिए आयोजित की गई है। विभिन्न विषयों के ज्ञान के साथ-साथ कुछ अलग-अलग ज्ञान और अध्यात्म से समृद्ध ज्ञान का अध्यन आवश्यक हो गया है । हर पाठ्यक्रम को भारतीय ज्ञान परंपरा के साथ जोड़ा जा रहा है। महाउपनिषद के अनुसार भारत की ज्ञान परंपरा तभी से प्रारंभ होती है जब से मानवता का विकास हुआ अतः हम संपूर्ण विश्व को अपना परिवार मानते हैं। सरकार ने नई शिक्षा नीति में ऋषि-मुनियों के ज्ञान को शामिल किया है।
प्रति कुलाधिपति हर्ष गौतम, प्रो. आर.आर.एल. बिराली एवं संयोजक डॉ. पुष्पा भारती दत्ता, प्रमुख एवं सहायक प्रोफेसर आयोजन सचिव डॉ. अर्चना तुपट, सहायक प्रोफेसर डॉ. नरेश गौतम, सहायक प्रोफेसर और आयोजन समिति के सभी सदस्य उपस्थित थे।
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